भारत: नफरती भाषणों से भरा मोदी का चुनावी अभियान
प्रधानमंत्री, सत्तारूढ़ पार्टी का निशाना बने मुसलमान और दूसरे कमजोर समूह

हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने नागरिक समाज और मीडिया पर दमनात्मक कार्रवाई तेज कर दी है. सरकारी तंत्र द्वारा इंटरनेट पर पाबंदी आम बात हो गई है और इसने आतंकवाद निरोधी एवं हेट स्पीच कानूनों के तहत मनगढ़ंत आरोपों के आधार पर कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर मुकदमा दर्ज किए हैं. उन्होंने विदेशी अनुदान विनियमन का इस्तेमाल करके या वित्तीय अनियमितताओं के बेबुनियाद आरोपों के आधार पर अधिकार समूहों को खामोश करने का प्रयास किया है. सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभावकारी कानून और नीतियां लागू की हैं. इन कृत्यों के जरिए सरकारी तंत्र और उनके हिमायतियों ने ऐसे समुदायों, खासकर मुसलमानों को बदनाम करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. पुलिस की संलिप्तता और इसके द्वारा कार्रवाई करने में विफलता ने हिंदू राष्ट्रवादी समूहों को नागरिक समाज समूहों और अल्पसंख्यकों को बेखौफ होकर निशाना बनाने केलिए शह दी हुई है.
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