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भारत: अल्पसंख्यकों, आलोचकों के उत्पीड़न में बढ़ोतरी

हिंसा, भेदभावपूर्ण नीतियां भारत को वैश्विक नेतृत्वकर्ता की भूमिका से पीछे धकेलती हैं

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हुई नृजातीय हिंसा के खिलाफ़ मुंबई में नारेबाजी करते एक्टिविस्ट, भारत, 24 जुलाई, 2023. © 2023 एपी फोटो/रफ़ीक मकबूल

(बैंकाक) – ह्यूमन राइट्स वॉच ने आज जारी अपनी विश्व रिपोर्ट 2024 में कहा कि अधिकारों का सम्मान करने वाले लोकतंत्र के रूप में वैश्विक नेतृत्व की भारत सरकार की दावेदारी कमजोर हुई है क्योंकि उसने साल 2023 के दौरान धार्मिक और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव एवं अपमानित करने वाली अपनी सख्त नीतियां और कार्रवाइयां लगातार जारी रखीं. हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार ने आतंकवाद सहित राजनीति से प्रेरित आपराधिक आरोपों के आधार पर कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, विपक्षी दलों के नेताओं और सरकार के अन्य आलोचकों को भी गिरफ्तार किया.

ह्यूमन राइट्स वॉच की एशिया उपनिदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा, "भाजपा सरकार की भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी नीतियों के कारण अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में बढ़ोतरी हुई है, जिससे भय का व्यापक माहौल बना है और सरकार के आलोचकों में खौफ़ पैदा हुआ है. इस उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करने के बजाय, सरकारी तंत्र ने पीड़ितों को ही दंडित किया है और इन कार्रवाइयों पर सवाल उठाने वाले को हैरान-परेशान किया है."

ह्यूमन राइट्स वॉच ने 740 पन्नों की विश्व रिपोर्ट, जो कि इसका 34वां संस्करण है, में 100 से अधिक देशों में मानवाधिकार स्थितियों की समीक्षा की गई है. अपने परिचयात्मक आलेख में, कार्यकारी निदेशक तिराना हसन ने कहा कि साल 2023 न केवल मानवाधिकारों के हनन और युद्धकालीन अत्याचारों के लिहाज से, बल्कि सरकारों के चुनिंदा आक्रोश और लेन-देन आधारित कूटनीति के लिए भी एक अहम साल था, जिसने उन लोगों के अधिकारों पर भी भारी आघात पहुंचाया जो इन सौदों का हिस्सा नहीं थे. उन्होंने आगे कहा कि लेकिन उम्मीद की किरण भी दिखाई दी जिसने एक अलग रास्ते की संभावना सामने रखी, उन्होंने सरकारों से कहा कि वे अपने मानवाधिकार दायित्वों का दृढ़ता से पालन करें.

भारतीय अधिकारियों ने छापे, वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों और गैर-सरकारी संगठनों को विदेश से मिलने वाले पैसों का नियमन करने वाले विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम के जरिए पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और आलोचकों को हैरान-परेशान किया. फरवरी में, भारतीय कर अधिकारियों ने नई दिल्ली और मुंबई स्थित बीबीसी कार्यालयों पर छापा मारा. यह साफ तौर पर दो-भाग वाली उस डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण के खिलाफ बदले की कार्रवाई थी जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुसलमानों को सुरक्षा प्रदान करने में विफलता को उजागर किया गया था. सरकार ने देश के सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जनवरी में भारत में इस बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर पाबंदी लगा दी.

31 जुलाई को, हरियाणा के नूंह जिले में एक हिंदू जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी और इसने तेजी से आसपास के कई जिलों को अपनी जद में ले लिया. हिंसा के बाद सरकारी तंत्र ने पूर्व की तरह ही मुसलामानों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में सैकड़ों मुसलामानों की संपत्तियों को अवैध रूप से ध्वस्त किया और अनेक मुस्लिम लड़कों एवं पुरुषों को हिरासत में लिया. इस विध्वंसक कार्रवाई का संज्ञान लेते हुए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से सवाल किया कि क्या वह "नृजातीय सफाया" कर रही है.

मई में पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई और अल्पसंख्यक कुकी जो समुदायों के बीच भड़की हिंसा में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई, हजारों लोग विस्थापित हुए, सैकड़ों घर एवं चर्च ध्वस्त कर दिए गए और महीनों तक इंटरनेट बंद रहा. राज्य के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता एन. बीरेन सिंह ने कुकी समुदाय को बदनाम कर, उन पर मादक पदार्थों की तस्करी में संलिप्त होने और म्यांमार के शरणार्थियों को आश्रय देने का आरोप लगाकर विभाजन को बढ़ावा दिया.

अगस्त में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य पुलिस ने "स्थिति पर नियंत्रण खो दिया है" और विशेष टीम को यौन हिंसा सहित अन्य प्रकार की हिंसा की जांच का आदेश दिया. सितंबर में, एक दर्जन से अधिक संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों ने मणिपुर में जारी हिंसा और उत्पीड़न पर चिंता जताई और कहा कि सरकार की प्रतिक्रिया बहुत धीमी और अपर्याप्त है.

भारतीय सरकारी तंत्र ने जम्मू और कश्मीर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सभा और अन्य अधिकारों पर प्रतिबंध लगाना जारी रखा. वहां से पूरे साल सुरक्षा बलों द्वारा गैर-न्यायिक हत्याओं की रिपोर्टें सामने आती रहीं.

महिला एथलीटों ने शिकायत दर्ज कराई कि भाजपा सांसद बृज भूषण सिंह ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष रहते हुए एक दशक तक उनका यौन शोषण किया. इसके बाद सरकार ने सांसद को बचाने की कोशिश की. ओलंपिक पदक विजेताओं सहित महिला पहलवानों द्वारा महिला एथलीटों के लिए न्याय और सुरक्षा की मांग करने पर सुरक्षा बलों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें जबरन हिरासत में लिया.

सितंबर में, भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (जी20) के शिखर सम्मेलन की अपनी मेजबानी में अध्यक्षता की, उल्लेखनीय है कि ऐसा मौका इसके सदस्य देशों को बारी-बारी से मिलता है. इसमें भारत ने अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने और समूह को अधिक प्रतिनिधिमूलक एवं समावेशी बनाने पर जोर दिया.

भारत ने डिजिटल सेवा संबंधी सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के इस्तेमाल को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जिससे कि सामाजिक और आर्थिक सेवाओं के वितरण का विस्तार किया जा सके. हालांकि, बड़े पैमाने पर इंटरनेट पर पाबंदियां , निजता और डेटा सुरक्षा की कमी और ग्रामीण समुदायों तक इंटरनेट सेवाओं की असमान पहुंच ने इन प्रयासों को बाधित किया.

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