भारतीय कर अधिकारियों ने आज दिल्ली और मुंबई स्थित बीबीसी के कार्यालयों पर छापे मारे, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्बन्ध में दो-भाग वाली आलोचनात्मक डाक्यूमेंट्री के प्रसारण के विरुद्ध बदले की कार्रवाई प्रतीत होती है. मोदी के नेतृत्ववाली सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने बीबीसी को “दुनिया का सबसे भ्रष्ट संगठन” बताया.
अधिकारियों ने कहा कि वे कर चोरी के आरोपों की जांच के लिए “तलाशी नहीं, बल्कि सर्वेक्षण” कर रहे हैं. हालांकि, उन्होंने छापे की कार्रवाई के दौरान कार्यालयों को सील कर दिया और बताया जाता है कि कुछ दस्तावेज और कई पत्रकारों के फोन जब्त कर लिए.
एडिटर्स गिल्ड ने छापे को “सरकारी नीतियों या सत्ता प्रतिष्ठान की आलोचना करने वाले प्रेस संगठनों को डराने और परेशान करने के लिए सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल की प्रवृत्ति का जारी रूप” कहा है.
मोदी सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल कर भारत में बीबीसी डाक्यूमेंट्री को प्रतिबंधित कर दिया और सोशल मीडिया कंपनियों को इन्हें हटाने के लिए मजबूर किया. यह फिल्म नरेन्द्र मोदी द्वारा मुसलमानों की रक्षा करने में विफल रहने और उनकी सरकार द्वारा अपनाए गए भेदभावपूर्ण कानूनों एवं नीतियों पर रोशनी डालती है.
डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध और उसके बाद के छापे नागरिक समाज समूहों और मीडिया की स्वतंत्रता पर सरकार की बढ़ती कार्रवाई का हिस्सा हैं. भाजपा सरकार ने बार-बार पत्रकारों, सरकार के आलोचकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाते हुए कार्रवाइयां की हैं. इनमें आतंकवाद-निरोधी और राजद्रोह कानूनों के तहत मुकदमा चलाना, वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों पर उनके कार्यस्थलों और घरों पर छापे मारना, और मुखर पत्रकारों एवं आलोचकों को देश से बाहर जाने से रोकना शामिल है. भारत सरकार पर पत्रकारों को निशाना बनाने के लिए इजरायल निर्मित स्पाइवेयर पेगासस के इस्तेमाल का भी आरोप है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने हाल के अपने एक संपादकीय में आगाह किया है कि मोदी द्वारा “स्वतंत्र न्यूज़ मीडिया को डराने, सेंसर करने, चुप कराने या दंडित करने की शक्तियों” के दुरुपयोग ने उन्हें “लोकलुभावन और सत्तावादी नेताओं” की श्रेणी में डाल दिया है.
भारत सरकार इस वर्ष बीस देशों के समूह (जी20) की अध्यक्षता, जो कि बारी-बारी से इसके सदस्य देशों को प्राप्त होती है, कर रही है. वह सितंबर में दिल्ली में शिखर सम्मेलन आयोजित करेगी. मोदी ने जी20 को एक ऐसा अवसर बताया है जिससे दुनिया “लोकतंत्र की जननी भूमि” भारत की विविधता और शौर्य से रूबरू होगी.
सरकार के कार्यों के बरक्स तौले जाने पर ये शब्द खोखले लगते हैं. जी20 के सदस्यों सहित विश्व के नेताओं को चाहिए कि भारत पर लोगों के शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार की रक्षा समेत मानवाधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय बैठकों में किए गए अपने वादों को पूरा करने के लिए दबाव डालें.