(न्यूयॉर्क) - ह्यूमन राइट्स वॉच ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) हिंसा और उत्पीड़न समझौते की पहली वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर आज जारी एक रिपोर्ट में कहा कि सरकारों को इसकी संपुष्टि को प्राथमिकता देनी चाहिए. आईएलओ के सदस्य सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों द्वारा 21 जून, 2019 को स्वीकृत यह अभूतपूर्व संधि कार्यस्थल पर हिंसा और उत्पीड़न की रोकथाम और जवाबी कार्रवाई के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनी मानक निर्धारित करती है.
31-पृष्ठों की रिपोर्ट - "कार्यस्थल पर गरिमा और सुरक्षा: आईएलओ हिंसा और उत्पीड़न समझौता 2019 संबंधी मार्गदर्शिका," संधि में सरकारों के लिए निर्धारित मुख्य दायित्वों और आशाजनक कार्य प्रणालियों को प्रतिबिंबित करने वाले राष्ट्रीय कानूनों और नीतियों के तत्वों को उजागर करती है.
ह्यूमन राइट्स वॉच की महिला अधिकार एडवोकेसी निदेशक निशा वारिया ने कहा, "किसी को भी हिंसा और उत्पीड़न सहन नहीं करना चाहिए, लेकिन अनेक श्रमिकों - खासकर महिलाओं - के लिए यह अक्सर नौकरी पाने या बचाए रखने की अपरिहार्य मजबूरी है. आईएलओ हिंसा और उत्पीड़न समझौता सरकारों को महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करता है कि इस हिंसा की रोकथाम कैसे की जाए और श्रमिकों को लांछना एवं बदले की कार्रवाई से कैसे बचाया जाए ताकि वे आवाज़ उठा सकें और अपने लिए यथोचित न्याय प्राप्त कर सके."
12 जून, 2020 को उरुग्वे इस समझौते की पुष्टि करने वाला पहला देश बन गया, जोकि दूसरे पुष्टिकरण के बाद लागू होगा. अर्जेंटीना, बेल्जियम, फिजी, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आइसलैंड, आयरलैंड, इटली, नामीबिया, फिलीपींस, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन और युगांडा ने पुष्टिकरण के संकेत दिए हैं. इन देशों ने यह सहमति दी है कि उनके राष्ट्रीय कानूनों को संधि के मानकों के अनुरूप बनाया जाएगा और आईएलओ द्वारा इनके अनुपालन की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी.
#मी टू (#MeToo) आंदोलन और कोरोना वायरस महामारी के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर हमलों ने कार्यस्थल पर हिंसा और उत्पीड़न की रोकथाम के लिए कड़े उपायों और उत्तरजीवियों की सेवाओं और उपचार तक पहुंच सुनिश्चित करने के महत्व को सामने रखा है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने कृषि, घरेलू काम, शिक्षा, मत्स्य पालन, वस्त्र उद्योग, स्वास्थ्य, पत्रकारिता, खनन, सार्वजनिक कार्यालय और सेना सहित दुनिया भर में कार्यस्थल पर हिंसा और उत्पीड़न संबंधी तथ्यों और आंकड़ों का संकलन किया है.
आईएलओ ने पाया है कि बहुत से मौजूदा कानून ऐसे श्रमिकों, जिन पर हिंसा का सबसे ज्यादा खतरा है, उदाहरण के लिए घरेलू कामगार, खेतिहर मजदूर और अनिश्चित रोजगार वाले श्रमिकों को सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं. 2018 में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में पाया गया कि 189 में से 59 अर्थव्यवस्थाओं में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई भी विशिष्ट कानूनी प्रावधान नहीं थे.
यह संधि सरकारों के लिए न्यूनतम दायित्व का निर्धारण करती है, जिसमें कार्यस्थल पर उत्पीड़न और हिंसा के खिलाफ व्यापक राष्ट्रीय कानून सुनिश्चित करना और सूचना अभियानों एवं उच्च जोखिमवाले क्षेत्रों की शिनाख्त जैसे सुरक्षात्मक उपाय शामिल हैं. इसके लिए कुछ कदमों पर अमल जरूरी है, जैसे निरीक्षण और जांच – और शिकायत प्रणाली, व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा, सेवा व मुआवजा समेत राहत उपायों तक पीड़ितों की पहुंच.
संधि में अन्य के अलावा श्रमिकों, प्रशिक्षुओं, नौकरी से बर्खास्त कामगारों, नौकरी की तलाश तथा आवेदन करने वाले को सम्मिलित किया गया है और यह औपचारिक और अनौपचारिक, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, दोनों पर लागू होती है. यह संधि मुवक्किलों, ग्राहकों या सेवा प्रदाताओं जैसे तीसरे पक्षों की शिरकत से हिंसा और उत्पीड़न को संबोधित करने की जरूरत को भी शामिल करती है.
संधि मानती है कि हिंसा और उत्पीड़न भौतिक कार्यस्थल से परे जाते हैं और इसमें कार्यस्थल पर आने-जाने के लिए यात्राएं और इससे इतर घटनाएं, जैसे काम से संबंधित अन्य गतिविधियां शामिल हैं. संधि सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए भी बाध्य करती है कि नियोक्ताओं के पास कार्यस्थल संबंधी नीतियां हों और हिंसा एवं उत्पीड़न से निपटने के लिए निरोधात्मक उपाय हों.
संधि में खास तौर से घरेलू हिंसा और काम के संधि-स्थल समेत लिंग आधारित हिंसा को संबोधित किया गया है और सुरक्षा सहित उन कदमों के बारे में बताया गया है जिन्हें सरकारों को उठाना चाहिए ताकि घरेलू हिंसा उत्तरजीवी नौकरी से हाथ धोए बगैर मदद प्राप्त कर सकें.
कई वैश्विक श्रमिक और महिला अधिकार संगठन इन मानकों को बढ़ावा देने के लिए अभियान चला रहे हैं और सरकारों से इस संधि को जल्द मंजूरी देने का आग्रह कर रहे हैं. इनमें इंटरनेशनल ट्रेड यूनियन कन्फेडरेशन, इंटरनेशनल डोमेस्टिक वर्कर्स फेडरेशन जैसे वैश्विक ट्रेड यूनियन, साथ ही 16 डेज ऑफ़ एक्टिविज्म अगेंस्ट जेंडर-बेस्ड वॉयलेंस कैंपेन और वूमेन इन इंफॉर्मल एम्प्लॉयमेंट: ग्लोबलाइजिंग और ऑर्गनाइजेशन के साथ-साथ कई अन्य वैश्विक संगठन भी शामिल हैं.
रिपोर्ट में शामिल मुख्य आशाजनक कदम इसप्रकार हैं:
- जाम्बिया में, कार्यस्थल की परिभाषा में औपचारिक कार्यस्थलों से बाहर के स्थान भी सम्मिलित हैं और इसमें "कोई भी ऐसा स्थान शामिल है जहां कर्मचारी काम करते हैं या उनके काम करने की संभावना है, या जहां वे अक्सर जाते हैं या अपने रोजगार के सिलसिले में बार-बार जा सकते हैं या आकस्मिक तौर पर जा सकते हैं."
- भारत में यौन उत्पीड़न का नियमन करने वाला कानून छात्रों, कार्यस्थल पर जाने वाले मुवक्किल या ग्राहक जैसे तीसरे पक्षों, और प्रशिक्षुओं, शिक्षार्थियों एवं स्वयंसेवकों सहित प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कार्यरत लोगों को भी कार्यस्थल सुरक्षा प्रदान करता है. यह कानून संगठित और असंगठित क्षेत्रों दोनों पर लागू होता है.
- संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य में यह आवश्यक है कि सार्वजनिक नियोक्ता कार्यस्थल हिंसा की रोकथाम और उसे न्यूनतम करने के लिए कार्यक्रम विकसित करें और इन्हें लागू करें. इनमें नीति संबंधी लिखित विवरण, जोखिम मूल्यांकन, हिंसा की रोकथाम से जुड़े कार्यक्रम का निर्माण, कर्मचारियों का प्रशिक्षण, घटनाओं का दस्तावेजीकरण और सभी मामलों की सालाना समीक्षा शामिल है.
- फ़िनलैंड में, पेशागत सुरक्षा और स्वास्थ्य अधिनियम 2002 के मुताबिक कार्यों का प्रबंधन इस तरह से किया जाना चाहिए जिससे कि "जहां तक संभव हो हिंसा के खतरे और हिंसा की घटनाओं को रोका जा सके." इसमें उचित सुरक्षा उपकरण और व्यवस्थापन शामिल है, जिससे कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मचारियों के पास अकेले काम करने के दौरान मदद मांगने और खतरों या जोखिम से बचने के तरीके मौजूद हों.
- प्यूर्टो रिको नियोक्ता को आगंतुकों के खिलाफ किसी कर्मचारी के लिए सुरक्षा आदेश की मांग करने की अनुमति देता है यदि कर्मचारी कार्यस्थल पर घरेलू हिंसा का शिकार हो चुका हो.
- फिलीपींस और न्यूजीलैंड घरेलू हिंसा उत्तरजीवियों को कानूनी कार्रवाई करने, अपने पार्टनर को छोड़ने और स्वयं एवं अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए 10 दिनों का सवैतनिक अवकाश प्रदान करते हैं.
- स्पेन लैंगिक हिंसा पीड़ित महिला श्रमिकों को काम के घंटों में कमी और पुनर्गठन, अपना कार्यस्थल बदलने और रोजगार अनुबंध को निलंबित करने का अधिकार प्रदान करता है.
- कोलम्बिया और कोस्टारिका के पास कार्यस्थल हिंसा को संबोधित करने वाले ऐसे कानून और दिशा-निर्देश हैं जो श्रम निरीक्षकों को कार्यस्थल उत्पीड़न के मामलों में पीड़ित की शिकायतों के निपटारे संबंधी निर्देश देते हैं.
- जर्मन कानून कर्मचारियों को वेतन कटौती के बिना काम करने से इनकार करने की अनुमति देता है यदि नियोक्ता कार्यस्थल पर उत्पीड़न की रोकथाम हेतु उचित कदम नहीं उठाता हो..
वारिया ने कहा, "ऐसे श्रमिकों के समक्ष अक्सर हिंसा का सबसे ज्यादा खतरा होता है और उनकी किसी भी मदद तक न्यूनतम पहुंच होती है जो अन्य विशेषताओं के साथ-साथ लिंग, नस्ल, नृजातीयता, यौन उन्मुखीकरण, लैंगिक पहचान, विकलांगता या प्रवास की स्थिति के कारण हाशिए पर हैं. समझौते का पुष्टिकरण और इसका अनुपालन तमाम देशों के लिए इन उत्पीड़नों को समाप्त करने और कार्यस्थल पर सुरक्षा और गरिमा को बढ़ावा देने का एक बड़ा अवसर है."