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ओलंपिक्स: भारतीय एथलीटों की यौन शोषण संबंधी शिकायतों पर कार्रवाई करे

प्रदर्शनकारियों की हिरासत के बाद स्पोर्ट एंड राइट्स एलायंस ने स्वतंत्र जांच की मांग की

नवनिर्मित संसद की ओर अपने विरोध मार्च की अगुवाई करते भारतीय पहलवान, दाएं से बजरंग पुनिया, संगीता फोगाट और विनेश फोगाट, नई दिल्ली, भारत, 28 मई, 2023. Ⓒ 2023 एपी फोटो/शोनल गांगुली

(न्योन, स्विटज़रलैंड) - स्पोर्ट एंड राइट्स एलायंस ने आज कहा कि अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) को तुरंत यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह द्वारा एथलीटों के कथित यौन शोषण के आरोपों की पूरी तरह से जांच की जाए. आईओसी ने 30 मई को एक बयान में, "स्थानीय कानून के अनुरूप निष्पक्ष आपराधिक जांच" की मांग की, लेकिन भारत का सरकारी तंत्र कार्रवाई करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. शिकायतकर्ताओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद ही पुलिस जांच शुरू की गई.

आईओसी को भारत सरकार से यह मांग करनी चाहिए कि वह उसे जांच की प्रगति के बारे में सूचित करे और यह सुनिश्चित करे कि जांच विश्वसनीय और समयानुसार हो.

छह महिलाओं और एक नाबालिग लड़की ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रमुख सांसद सिंह के खिलाफ पुलिस में यौन शोषण की शिकायत दर्ज की है. सिंह ने आरोपों से इंकार किया है और शिकायतकर्ताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है.

जब खिलाड़ियों ने प्रधानमंत्री द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन, जिसमें सिंह भाग ले रहे थे, की ओर जुलूस निकालने की कोशिश की तो भारतीय अधिकारियों ने दो ओलंपिक पहलवानों समेत अन्य एथलीटों को जबरन रोका और हिरासत में लिया. अधिकारियों ने 28 मई, 2023 को महीना भर से चले आ रहे उनके धरना स्थल को बलपूर्वक उखाड़ फेंका.

स्पोर्ट एंड राइट्स एलायंस के नेटवर्क कोऑर्डिनेटर जोआना मारानहाओ ने कहा, "भारत का सरकारी तंत्र कार्यस्थल पर यौन शोषण से हिफाजत सहित महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की रक्षा करने का खूब दावा करता है, लेकिन जब देश के अग्रणी एथलीटों द्वारा इस दावे को जांच की कसौटी पर परखा गया, तो उन्होंने पीड़ित को ही दोषी ठहराने और शर्मिंदा करने का रास्ता चुना.” मारानहाओ ने आगे कहा, "चुप्पी तोड़ने और यौन शोषण के बारे में खुलासा के लिए बहुत बड़े हौसला की दरकार होती है. खासकर ऐसे हालात में जब शक्ति संतुलन एथलीटों के एकदम खिलाफ हो, हम उनके साथ खड़े हैं और आईओसी से उन्हें संरक्षण प्रदान करने की मांग करते हैं. उनकी खैरियत हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए."  

भारत द्वारा साल 2013 में पारित कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम को पॉश अधिनियम के नाम से जाना जाता है. यह कानून  स्वास्थ्य, खेल, शिक्षा या सरकारी संस्थानों के कामगारों समेत सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में सभी कामगारों को सुरक्षा प्रदान करता है. साल 2012 में पारित यौन अपराधों से बच्चों का  संरक्षण अधिनियम (पोस्को) बाल यौन शोषण के तमाम रूपों को निषिद्ध करता है. पोस्को अधिनियम के तहत आरोपी सिंह ने कहा है कि कानून का "दुरुपयोग" किया जा रहा है और "सरकार को इसे बदलने के लिए मजबूर करने" की कसम खाई है.

शीर्ष स्तर के कम-से-कम 30 पुरुष और महिला भारतीय पहलवानों ने सर्वप्रथम 18 जनवरी को विरोध-प्रदर्शन शुरू किया. उनका कहना है कि सिंह और कुछ अन्य कोच एथलीटों का यौन शोषण करते रहे हैं. विरोध-प्रदर्शन की अगुआई ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया एवं साक्षी मलिक और दो बार की विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट ने की.

"मैंने अपने भाई की [9 साल की] बेटी के बारे में सोचना शुरू किया, जिसने अभी कुश्ती शुरू की है." फोगाट ने भारत की राजधानी नई दिल्ली में धरना स्थल पर अल जज़ीरा को बताया कि यही वो ‘पल’ था जिसके बाद उन्होंने भारत में पहलवानों के यौन शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ बोलने का फैसला किया.

पहलवानों ने स्वतंत्र जांच और कि जांच पूरी होने तक सिंह अपने पद से अलग रहेंगे, का आश्वासन दिए जाने के बाद विरोध-प्रदर्शन वापस ले लिया.

समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है. सरकारी अधिकारियों ने बताया कि समिति ने पाया है कि भारतीय कुश्ती महासंघ ने पॉश अधिनियम के अंतर्गत अनिवार्य आंतरिक शिकायत समिति का गठन नहीं किया था, लेकिन उन्होंने सिंह के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.

स्पोर्ट एंड राइट्स एलायंस ने कहा कि भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) जांच करने के लिए न तो कोई स्वतंत्र निकाय है और न ही इसकी कोई विश्वसनीयता है. शुरू में, आईओए ने विरोध प्रदर्शन करने वाले पहलवानों पर भारत की छवि खराब करने का आरोप लगाया, हालांकि बाद में इसके अध्यक्ष और पूर्व ओलिंपिक एथलीट पीटी उषा ने पहलवानों से मुलाकात कर समर्थन का वादा किया. सरकार द्वारा कार्रवाई नहीं करने पर एथलीटों ने सिंह की गिरफ्तारी की मांग करते हुए अपना विरोध-प्रदर्शन फिर से शुरू किया.

ह्यूमन राइट्स वॉच की ग्लोबल इनिशिएटिव्स की निदेशक मिंकी वर्डेन ने कहा, "लड़खड़ाती  हुई भारतीय न्याय प्रक्रिया को देखते हुए आईओसी को सार्वजनिक रूप से भाजपा सरकार से यह मांग करनी चाहिए कि अपनी पार्टी के सदस्य और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष को बचाने के लिए प्रदर्शनकारियों की आवाज़ दबाना बंद करे. आईओसी ने एथलीटों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है. ऐसे में इसे अपने मजबूत नेटवर्क का इस्तेमाल करना चाहिए और खेल में उत्पीड़न से बच्चों की सुरक्षा की मांग करने वाले एथलीटों के साथ खड़ा होना चाहिए."

आईओसी को एथलीटों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए, जैसा कि इसकी अपनी आईओसी मानवाधिकार रणनीति संबंधी अनुशंसाओं में निर्दिष्ट है. हाल के महीनों में भारत की राजनीतिक और न्यायिक संस्थाओं की निष्क्रियता को देखते हुए, आईओसी को भारत सरकार से अनुरोध करना चाहिए कि अधिकारी पारदर्शी, स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के जरिए भारतीय पहलवानों और अन्य प्रभावित लोगों की शिकायतें सुनें. आंतरिक जांच समिति में मुख्य रूप से ऐसे  विशेषज्ञ शामिल होने चाहिए, जिनके पास सुरक्षा और आघात से संबंधित जांच-पड़ताल का प्रमाणिक अनुभव हो. इसके अलावा उनके पास प्रक्रिया संबंधी सभी मामलों में सक्रिय रूप से भाग लेने की क्षमता हो, जिनमें अन्य कार्यों के साथ-साथ सुधार संबंधी सुझाव देना और शिकायत दर्ज करना भी शामिल है.

भारत ने ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों की पहली बार मेजबानी करने की अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं का सार्वजनिक रूप से इजहार किया है. अक्टूबर में, भारत मुंबई में 140वें आईओसी सत्र की मेजबानी करेगा, जिसे आईओसी सदस्य नीता अंबानी ने 2036 के लिए  प्रस्तावित मेजबानी प्रयासों को साकार करने की दिशा में "पहला कदम" बताया है. 2030 में, भारत मुंबई में ग्रीष्मकालीन युवा ओलंपिक खेलों की मेजबानी करेगा.

भारत के खेल मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना है कि भारत के लिए ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने का "यह सही समय है". गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की. इसके बाद प्रदर्शनकारी काम पर लौट आए हैं लेकिन उन्होंने अपना अभियान जारी रखने का संकल्प दोहराया है. सरकार को अब इस मामले के समाधान के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. वहीं आईओसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मेजबानी हेतु भारत का कोई भी प्रयास महत्वपूर्ण मानवाधिकार सुधारों, खास तौर से देश के अपने एथलीटों की सुरक्षा और स्वतंत्रता से जुड़ा हो.

यौन शोषण से निपटने में ओलंपिक प्रणाली की विफलता के बाद उत्तरजीवियों द्वारा गठित संगठन द आर्मी ऑफ सर्वाइवर्स की कार्यकारी निदेशक जूली एन रिवर-कोचरन ने कहा, "भारतीय पहलवानों द्वारा यौन शोषण के आरोपों को सामने लाना, विशेष रूप से इतनी ताकतवर हस्ती के खिलाफ, अविश्वसनीय रूप से बहादुराना, चुनौतीपूर्ण फैसला है और यह  व्यक्तिगत खतरों से भरा हुआ है. इन एथलीटों का समर्थन करना चाहिए और इन्हें सुरक्षा मुहैया करनी चाहिए. साथ ही न्याय और सुरक्षा संबंधी इनकी साहसपूर्ण मांगें पूरी की जानी चाहिए."

मानवाधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के तहत, और "ओलंपिक खेलों के स्वामित्वधारी" के बतौर, आईओसी की फौरी जिम्मेवारी है कि वह सभी एथलीटों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को प्राथमिकता दे. इसे भारत सरकार से यौन उत्पीड़न के आरोपों की पारदर्शी, स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच शुरू करने की मांग करनी चाहिए.

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