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भारत: अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न में बढ़ोतरी

विदेशों में सरकार की कारगुजारियों के बढ़ते सबूत

भारत में आम चुनाव के दौरान मतदान केंद्र पर वोट डालने के लिए कतार में खड़े मतदाता, भोपाल, 7 मई, 2024. © 2024 गगन नायर/एएफपी वाया गेटी इमेज

(बैंकॉक) – ह्यूमन राइट्स वॉच ने आज अपनी विश्व रिपोर्ट 2025 में कहा कि मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव, दुश्मनी और हिंसा को बढ़ावा देने वाले चुनाव अभियान के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जून 2024 में तीसरी बार सत्ता में वापसी हुई. भारत सरकार देश की सीमाओं से बाहर असहमति दबाने की कोशिशों के आरोप में लगातार संलिप्त रही, जिसमें अपने आलोचकों के वीजा रद्द करना और विदेश में अलगाववादी नेताओं की हत्या के लिए उन्हें निशाना बनाना शामिल है.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने 546 पृष्ठों की विश्व रिपोर्ट, जो कि इसका 35वां संस्करण है, में 100 से अधिक देशों में मानवाधिकार स्थितियों की समीक्षा की है. अपने परिचयात्मक आलेख में कार्यकारी निदेशक तिराना हसन ने कहा, “दुनिया के ज़्यादातर हिस्सों में सरकारों ने राजनैतिक विरोधियों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर कठोर कार्रवाई की और उन्हें गलत तरीके से गिरफ़्तार कर जेल में डाला. सशस्त्र समूहों और सरकारी बलों ने गैरकानूनी तौर पर नागरिकों की हत्या की, अनेक लोगों को उनके घरों से बेदखल किया और मानवीय सहायता तक पहुंच को बाधित किया. 2024 में हुए 70 से ज़्यादा राष्ट्रीय चुनावों में से कई में, सत्तावादी नेताओं ने अपने भेदभावपूर्ण प्रचार अभियानों और नीतियों के ज़रिए चुनावी बढ़त हासिल की.”

ह्यूमन राइट्स वॉच की एशिया उप निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं का बखान करना पसंद करते हैं, लेकिन अल्पसंख्यकों और आलोचकों पर अपनी सरकार की बढ़ती दमनात्मक कार्रवाई को छिपाना उनके लिए लगातार मुश्किल होता जा रहा है. एक दशक की भेदभावपूर्ण नीतियों और दमन ने कानून के शासन को कमजोर किया है और हाशिए के समुदायों के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों को सीमित कर दिया है.”

  • पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हुई नृजातीय हिंसा में मई 2023 से अब तक 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं. सितंबर में, मुख्यतः ईसाई कुकी-ज़ो समुदाय और ज़्यादातर हिंदू मैतेई समुदाय के सशस्त्र समूहों के बीच हिंसा हुई, जिनमें खबरों के मुताबिक कम-से-कम 11 लोग मारे गए.
  • भारत के सरकारी तंत्र ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) जैसे विदेशी आर्थिक सहायता प्राप्त करने संबंधी उत्पीड़नकारी कानून और आतंकवाद निरोधक कानून - गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, फर्जी वित्तीय जांच तथा अन्य तरीकों का इस्तेमाल नागरिक समाज समूहों और कार्यकर्ताओं पर गैरकानूनी हमलों के लिए किया.
  • अगस्त में कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में 31 वर्षीया डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए. इस हत्या ने इस बात को उजागर किया कि भारतीय महिलाओं के समक्ष कार्यस्थल पर हिंसा और अन्य प्रकार के उत्पीड़न का खतरा बना हुआ है और यौन हिंसा के लिए न्याय पाने में वे गंभीर बाधाओं का सामना कर रही हैं.
  • कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और पाकिस्तान ने भारतीय खुफिया एजेंसियों पर संदिग्ध आतंकियों और अलगाववादी नेताओं की हत्या करने के लिए उन्हें निशाना बनाने का आरोप लगाया. अक्टूबर 2024 में, कनाडा की नेशनल पुलिस सर्विस ने आरोप लगाया कि भारतीय एजेंट कनाडा के अंदर आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं. भारत सरकार ने भारत में काम करने वाले ऐसे विदेशी पत्रकारों और भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों के वीज़ा संबंधी विशेषाधिकार रद्द कर दिए, जो सरकार के आलोचक थे.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि भारतीय सरकारी तंत्र को मुसलमानों, ईसाइयों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियां ख़त्म करनी चाहिए और प्रभावित लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करना चाहिए. उन्हें चाहिए कि नागरिक समाज समूहों को परेशान करना बंद करें, मणिपुर में नृजातीय समूहों और सुरक्षा बलों की हिंसक कार्रवाइयों की जांच करें और सुरक्षा बहाल करने के लिए सामुदायिक नेताओं के साथ मिलकर काम करें.

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