(बेरूत) - ह्यूमन राइट्स वॉच ने आज कहा कि 2022 विश्व कप अस्पष्ट मौतों सहित अन्य उत्पीड़नों, जिनका सामना पिछले 12 वर्षों में टूर्नामेंट को साकार करने के लिए प्रवासी श्रमिकों ने किया, के लिए राहत उपाय हेतु फीफा या कतर के अधिकारियों की किसी प्रतिबद्धता के बगैर समाप्त हो रहा है. टूर्नामेंट का फाइनल मैच 18 दिसंबर, 2022 को भव्य लुसैल स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा, जिस दिन कतर का राष्ट्रीय दिवस और अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस भी है.
ह्यूमन राइट्स वॉच की वरिष्ठ शोधकर्ता रोथना बेगम ने कहा, “इस बार का फीफा वर्ल्ड कप फाइनल अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस और कतर के राष्ट्रीय दिवस के दिन आयोजित हो रहा है, यह टूर्नामेंट और कतर के विकास को संभव बनाने में प्रवासी श्रमिकों की अपरिहार्य भूमिका को देखते हुए एक माकूल संयोग है. लेकिन यदि टूर्नामेंट की तैयारी पूरी करने वाले प्रवासियों के व्यापक उत्पीड़न, जिन्हें दूर नहीं किया गया है, के लिए फीफा और कतर राहत उपाय प्रस्तुत नहीं करते हैं तो वे अपने पीछे शोषण और बदनामी भरी विरासत छोड़ जाएंगे.”
19 मई, 2022 को ह्यूमन राइट्स वॉच ने मानवाधिकार संगठनों, प्रवासी अधिकार समूहों, श्रमिक संघों और फैन समूहों के वैश्विक संश्रय के साथ मिलकर फीफा और कतर के अधिकारियों से उन गंभीर उत्पीड़नों के लिए राहत उपायों की मांग की जिनका कष्ट श्रमिकों को 2010 में कतर को 2022 विश्व कप की मेजबानी हासिल होने के बाद से उठाना पड़ा है. तब से, दुनिया भर के लोगों, फुटबॉल संघों, प्रायोजकों, राजनेताओं और एथलीटों सहित अनेक वैश्विक संस्थाओं और किरदारों ने इस अभियान का समर्थन किया है.
पिछले कुछ वर्षों में, कतर के अधिकारियों ने श्रमिकों के संरक्षण को बेहतर करने के लिए कफाला (प्रायोजन प्रणाली) में सुधार सहित कई उल्लेखनीय सुधार किए हैं. कफाला मुख्य रूप से ब्रिटिश औपनिवेशिक-युग की प्रायोजन प्रणाली है जो 1971 में कतर की स्वतंत्रता से पहले अस्तित्व में आई थी, लेकिन अब इसके तहत श्रमिकों को अपने नियोक्ताओं की अनुमति के बिना नौकरी बदलने और देश छोड़ने की अनुमति है. विश्व कप के बुनियादी ढांचे की योजना व निर्माण के लिए जिम्मेदार निकाय, सुप्रीम कमिटि की महत्वपूर्ण पहलकदमियों में अवैध भर्ती शुल्क का भुगतान करने वाले श्रमिकों की प्रतिपूर्ति के लिए सार्वभौमिक प्रतिपूर्ति योजना शामिल है. लेकिन ह्यूमन राइट्स वॉच ने यह भी पाया है कि ये सुधार या तो बहुत देर से किए गए या सुधार का दायरा बहुत संकीर्ण था या ये ढुल-मुल तरीके से लागू किए गए, जिसका मतलब था कि विश्व कप के बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद करने वाले बहुत से श्रमिक असहाय छोड़ दिए गए.
जून से, फीफा ने कई समूहों को बताने के साथ ही बार-बार यह संकेत दिया कि उन्होंने श्रमिकों को मुआवजा देने और एक स्वतंत्र प्रवासी श्रमिक केंद्र के निर्माण में मदद करने की योजना बनाई है. हालांकि, टूर्नामेंट की पूर्व बेला पर वे राहत उपाय प्रदान करने में नाकाम रहे.
इसके बजाय, कतर के अधिकारियों और फीफा ने पूरी तरह गलत और भ्रामक दावे किए कि कतर की मौजूदा व्यवस्थाएं वर्तमान और इतिहास में श्रमिकों के व्यापक उत्पीड़न को संबोधित करने के लिए पर्याप्त हैं.
14 नवंबर को यूरोपीय संसद की सुनवाई में कतर के श्रम मंत्री और 19 नवंबर को टूर्नामेंट की पूर्व संध्या पर फीफा अध्यक्ष गियानी इन्फेंटिनो, दोनों ने दावे के साथ कहा कि कतर श्रम मंत्रालय का श्रमिक सहायता और बीमा कोष मुआवजा संबंधी मामलों का निपटारा करेगा. यह कोष 2020 में जाकर शुरू हुआ. यह श्रमिकों को उस स्थिति में प्रतिपूर्ति करता है यदि श्रमिकों को उनके पक्ष में श्रम अदालत के फैसले के बाद भी उनके नियोक्ता बकाया वेतन का भुगतान नहीं करते हैं.
हालांकि, बकाया वेतन के भुगतान तक सीमित इस कोष के इस्तेमाल की राह में कई बाधाएं हैं, जिनमें श्रमिकों को भुगतान के लिए आवेदन करने से पहले श्रम अदालत के फैसले प्राप्त करने में वर्षों का समय लगना, भुगतान की सीमा तय होना और प्रवासी श्रमिकों के किए अपने देश लौटने के बाद आवेदन करना लगभग नामुमकिन हो जाना शामिल हैं. यह कोष अपनी स्थापना से एक दशक पूर्व काम के दौरान लगी चोटों या मौतों या बकाया वेतन के मामलों का निपटारा नहीं करता है.
ज्यादा-से-ज्यादा श्रमिकों को राहत पहुंचाने के लिए मौजूदा मुआवजा योजनाओं का उपयोग कर राहत कोष का निर्माण किया जा सकता है, जिसके जरिए उन्हें राहत पहुंचाई जा सकती है जो अभी भी वेतन कटौतियों की भुगतान की मांग कर रहे हैं. ऐसे श्रमिकों के परिवारों से भी संपर्क करना चाहिए जिनकी मौत की परिस्थितियों की कतर के अधिकारियों ने कभी जांच नहीं की. ऐसा करने से कमाऊ व्यक्ति खो देने वाले परिवारों को मुआवजा, जिसकी परिवार के भरण-पोषण और बच्चों को स्कूल भेजने के लिए ज़रूरत है, प्राप्त करने मौका मिलेगा.
ह्यूमन राइट्स वॉच के ग्लोबल इनिशिएटिव्स की निदेशक मिंकी वर्डेन ने कहा, “फीफा का दावा है कि यह अब तक का सबसे सफल विश्व कप है, लेकिन कोई भी ऐसा सफल टूर्नामेंट नहीं हुआ है जब इतने सारे प्रवासी श्रमिकों की ऐसी मौतें हुई हों, जिन्हें पूरी तरह रोका जा सकता था. इनमें विश्व कप के दौरान हुई दो श्रमिक की मौतें भी शामिल हैं. बेहतर विरासत सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका यह होगा कि इस विश्व कप को साकार करने वाले प्रवासी श्रमिकों के उत्पीड़नों के लिए समुचित राहत उपाय किए जाएं.”
महीने भर चलने वाले इस टूर्नामेंट में प्रवासी अधिकारों के मुद्दों को वैश्विक स्तर पर अभूतपूर्व कवरेज मिला. प्रवासी श्रमिकों और मृतक श्रमिकों के परिवारों ने वेतन कटौती से लेकर व्यापक उत्पीड़नों, क़तर में काम करने के लिए भुगतान किए गए अवैध भर्ती शुल्क संबंधी ऋण चुकाने के संघर्ष, क़तर में अपने प्रियजनों, जिनकी मौत की वजह नहीं बताई गई, को खोने के बाद के संघर्ष और उत्पीड़न की रिपोर्ट करने या राहत मांगने पर मिली उदासीनता से संबंधित विवरणों को निडर होकर साझा किया.
फ़ुटबॉल पर ध्यान केंद्रित रखने की फीफा की तमाम कोशिशों के बावजूद, फ़ुटबॉल के कई अंदरूनी सूत्र और हितधारक पूरे हालत से अच्छी तरह से वाकिफ़ थे और उन्होंने मैदान में उतरने वाली टीम जितना ही महत्व फ़ुटबॉल की भुला दी गई प्रवासी श्रमिकों की टीम को दिया. वर्तमान और पूर्व फुटबॉल खिलाड़ियों ने मैदान के अंदर और बाहर अपना समर्थन व्यक्त किया. पत्रकारों ने क़तर और अपने देश लौट जाने वाले प्रवासी श्रमिकों के जीवन और वस्तुस्थितियों के बारे में विस्तार से रिपोर्टिंग की.
ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा, “हालांकि फीफा और कतर के अधिकारी अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड की वैश्विक तहकीकात से ध्यान भटकाने का प्रयास करते हैं, लेकिन इस विश्व कप का आयोजन अन्याय की बुनियाद पर टिका हुआ है – यह मुख्य रूप से दक्षिण एशिया और अफ्रीका से आए कम वेतन वाले प्रवासी श्रमिकों के उत्पीड़न और शोषण की कीमत पर साकार हुआ है.”
जैसे-जैसे टूर्नामेंट का समापन करीब आ रहा है, दुनिया खेल देख रही है और इस खूबसूरत खेल की चमक को धूमिल करने वाले उत्पीड़नों को लेकर असंतोष जारी रहेगा. व्यवसाय और मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों के तहत अपनी खुद की व्यवस्थाओं और जिम्मेदारियों को निभाने में विफल रहने के लिए अपनी टूटती साख को बचाने का फीफा के पास अब भी मौक़ा है. पिछले टूर्नामेंटों की तरह फ़ुटबॉल का शासी निकाय फीफा वर्ल्ड कप कतर 2022 लीगेसी फंड की जल्द घोषणा करने वाला है जो कि फीफा को टूर्नामेंट से प्राप्त अनुमानित 7.5 अरब अमेरिकी डॉलर आय का एक छोटा सा अंश होगा. फीफा शिक्षा परियोजनाओं और एक विश्व स्तरीय श्रम उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए इसका उपयोग करने की योजना बना रहा है. अभी भी समय है कि 2022 के विश्व कप को साकार करने वाले प्रवासी श्रमिकों के उत्पीड़नों के लिए राहत उपाय हेतु इस कोष का इस्तेमाल किया जाए.
रोथना बेगम ने कहा, “कतर को मेजबानी का अधिकार देते हुए फीफा ने प्रवासी श्रमिकों के कल्याण की कोई परवाह नहीं की और अब वह टूर्नामेंट को साकार करने के लिए भीषण गर्मी में खून-पसीना बहाने वाले दक्षिण एशिया और अफ्रीका के लाखों प्रवासी श्रमिकों के दम पर अरबों की कमाई करने को आमादा है. फीफा और कतर के अधिकारी अब कम-से-कम इतना कर सकते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस के मौके पर प्रवासी श्रमिकों के योगदान को स्वीकार करें और उत्पीड़न के शिकार एवं असहाय छोड़ दिए गए तमाम श्रमिकों को राहत उपाय प्रदान करने के लिए पतिबद्धता दिखाएं.”