(कुवैत)– 26 और 27 नवम्बर 2014 को खाड़ी और एशियाई देशों की बैठक से श्रम मंत्रियों को श्रम कानून सुरक्षा को बेहतर बनाना चाहिए, अत्याचारपूर्ण आप्रवासन नीतियों में सुधार करना चाहिए, और मजदूर संघोंतथा गैर सरकारी समूहों के साथ वार्ता में वृद्धि करनी चाहिए, 90 मानवाधिकार संगठनों और यूनियनों ने आज कहा।
खाड़ी में लगभग 24 लाख घरेलू मजदूरों सहित, एशिया और अफ्रीका से आए ठेके पर काम करने वाले लाखों मजदूर, अदत्त मजदूरी, पासपोर्ट जब्त किए जाने, शारीरिक दुर्व्यवहार, और जबरन मजदूरी सहित, तरह-तरह के दुर्व्यवहार के शिकार हैं।
“चाहे यह लोगों की नजरों से छिपा घरेलू मजदूरों के प्रति दुर्व्यवहार का परिमाण है या निर्माण मजदूरों के बीच होने वाली मौतों की चौंकानेवाली संख्या, खाड़ी में प्रवासियों की दुर्दशा तत्काल और गंभीर सुधार की मांग कर रही है,” रोथना बेगम, ह्यूमन राइट्स वाच में मध्य पूर्व की महिलाओं के अधिकारों की अनुसंधानकर्ता ने कहा। “इसमें अत्याचारपूर्ण काफला वीज़ा प्रायोजन प्रणाली की सम्पूर्ण जांच शामिल होनी चाहिए।”
मंत्रीगण एशियाई मूल के देशों और गंतव्य के खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के देशों के बीच श्रम प्रवासन संबंधी एक अंतर-क्षेत्रीय मंच, अबू धाबी वार्ता के तीसरे दौर में बैठक करेंगे। गैर सरकारी समूहों ने पहले दो दौरों में भाग लिया था लेकिन इस वर्ष की सभा में उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था। जीसीसी देशों से आए श्रम मंत्रियों को एक प्रारूपी घरेलू मजदूर अनुबंध पर और प्रवासी घरेलू काम की देखरेख के लिए एक पार-जीसीसी निकाय के प्रस्तावित गठन पर चर्चा करने के लिए 23 और 24 नवम्बर को अलग से बैठक करने वाले हैं।
खाड़ी में विभिन्न परिमाणों में इस्तेमाल की जाने वाली काफला प्रणाली अधिकांश मजदूरों को अपने अनुबंध के ख़त्म होने से पहले जब तक उन्हें उनके नियोक्ता की अनुमति नहीं मिल जाती एक नई नौकरी करने से रोकती है जिससे कई मजदूर अत्याचारपूर्ण परिस्थितियों में फंसे रह जाते हैं। कई प्रवासी मजदूरों को सिर्फ अपने घर में अपने परिवारों की मदद के लिए ही नहीं बल्कि भर्ती के दौरान लिए गए विशाल कर्ज को चुकाने के लिए भी बहुत ज्यादा आर्थिक दबाव झेलना पड़ता है। प्रवासियों के मूल के देशों और गंतव्य खाड़ी राज्यों दोनों में, ख़राब तरीके से निगरानी रखी जाने वाली मजदूर भर्ती एजेंसियां अक्सर प्रवासी मजदूरों से जरूरत से ज्यादा शुल्क वसूलती हैं, उनकी कामकाजी दशाओं के बारे में उन्हें धोखे में रखती हैं, या कार्य स्थल में दुर्व्यवहार से सामना होने पर उनकी मदद करने में असफल रहती हैं।
साऊदी अरब और क़तर में, प्रवासी मजदूर वहाँ के अधिकारियों से “एग्जिट परमिट” के लिए अपने नियोक्ता की अनुमति प्राप्त किए बिना देश छोड़कर नहीं जा सकते हैं। कुछ नियोक्ताओं ने मजदूरों की इच्छा के विरुद्ध उनसे काम निकलवाने के लिए मेहनताना देने, पासपोर्ट लौटाने, या “एग्जिट परमिट” के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
इंटरनैशनल ट्रेड यूनियन कॉन्फेडरेशन (आईटीयूसी), द्वारा किए गए नवम्बर के एक विश्लेषण “शोषण का सुगमीकरण,” से पता चला कि किस तरह जीसीसी देशों में राष्ट्रीय श्रम क़ानून में मौजूद कमियां या तो आंशिक रूप से या पूरी तरह से घरेलू मजदूरों को अलग रखती हैं।
ह्यूमन राइट्स वाच की अक्टूबर की एक रिपोर्ट, “मैंने तुम्हें पहले ही खरीद लिया था,” एमनेस्टी इंटरनैशनल की अप्रैल की एक रिपोर्ट, “मेरी नींद ही मेरा विश्राम है,” में क्रमशः संयुक्त अरब अमीरात और क़तर में घरेलू मजदूरों के खिलाफ दुर्व्यवहार का एक जैसा स्वरुप देखने को मिला जिसमें अदत्त मजदूरी, आराम के लिए कोई समय नहीं, अत्यधिक काम का बोझ, भोजन का अभाव, और कार्य स्थल में कैद जैसे दुर्व्यवहार शामिल हैं। कई मामलों में, घरेलू मजदूरों ने शारीरिक या लैंगिक दुर्व्यवहार की रिपोर्ट की और तस्करी सहित जबरन मजदूरी जैसी परिस्थितियों में रह रहे थे।
“जीसीसी देशों द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रस्ताव घरेलू मजदूरों के अधिकारों, सुरक्षा, और गरिमा की रक्षा के लिए जरूरी बदलावों की दृष्टि से काफी कम जान पड़ते हैं,” इंटरनैशनल डोमेस्टिक वर्कर्स फेडरेशन (आईडीडब्ल्यूएफ) की महासचिव एलिज़ाबेथ टैंग ने कहा। “जीसी देशों को दुनिया भर में देशों की बढ़ती संख्या में शामिल हो जाना चाहिए जो घरेलू मजदूरों के लिए अपने श्रम क़ानूनों की सम्पूर्ण सुरक्षा का विस्तार कर रहे हैं जिसमें न्यूनतम मजदूरी, सप्ताह में एक दिन आराम का दिन, संगठित होने का अधिकार, और सामाजिक लाभ जैसे मुद्दे शामिल हैं।”
जीसीसी ने घरेलू मजदूरों के लिए एक संभावित क्षेत्र व्यापी मानक रोजगार अनुबंध पर चर्चा की है। हाल के मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि जीसीसी भी घरेलू मजदूरों को काम पर रखने से संबंधित नीतियों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए एक निकाय की स्थापना करने पर विचार कर रहा है जिसमें भर्ती एजेंसी और सरकारी प्रतिनिधि शामिल रहेंगे। इन विकास कार्यों में पारदर्शिता की कमी है और प्रवासी घरेलू मजदूरों, मजदूर संघों, और प्रवासी अधिकार संगठनों के साथ अपर्याप्त परामर्श जैसी परेशानियाँ देखने को मिली हैं। प्रवासियों के मूल के देश भी एक अलग प्रक्रिया के माध्यम से अपने खुद के मानक अनुबंध पर चर्चा कर रहे हैं।
“मानक अनुबंध श्रम क़ानून सुधार के लिए एक विकल्प नहीं हैं, और सिर्फ इनका सहारा लेने से आईएलओ डोमेस्टिक वर्कर्स कन्वेंशन के मानकों को पूरा करने के लिए काफी नहीं है,” आईटीयूसी की महासचिव शैरन बरो ने कहा। “जीसीसी को प्रवासियों के मानव और श्रम अधिकारों का सम्पूर्ण सम्मान करने वाली श्रम प्रवासन नीतियाँ विकसित करने के लिए मूल के देशों के साथ बेहद निकटवर्ती सहयोग से- न कि अलग रहकर - काम करना चाहिए।”
खाड़ी में प्रवासी अपने खुद के देशों की अर्थव्यवस्था और जहाँ वे काम करते हैं उन देशों की अर्थ व्यवस्था दोनों में एक महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। 2011 में, जीसीसी देशों में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों ने विप्रेषण में 60 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा रकम घर भेजी। श्रम-गंतव्य देशों के सम्बन्ध में मजदूरों के मोलभाव की ताकत के अभाव के साथ मिलकर, उनके मूल देश में नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा का मतलब है कि वे बेहतर श्रम सुरक्षा के लिए जितना दबाव डालते हैं वह कमजोर है।
“अगले कुछ दिनों में हुई बैठकों से क्षेत्रीय न्यूनतम मानकों को बढ़ावा देने का सुनहरा अवसर मिला है जिससे श्रम संबंधित परिस्थितियों में नीचे की ओर उलटी दौड़ से बचने में मदद मिलेगी,” माइग्रेंट फोरम एशिया के विलियम गोईस ने कहा। “सरकारों को खुद प्रवासी मजदूरों और उनका प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों के परामर्श से एक ठोस कार्य योजना और उसकी प्रगति पर निगरानी रखने के लिए मानदंड विकसित करने चाहिए।”
कुवैत यूनिवर्सिटी लॉ स्कूल 23 नवम्बर 2014 को एक कार्यक्रम का आयोजन करेगा जिसमें एमनेस्टी इंटरनैशनल, ह्यूमन राइट्स वाच, आईडीडब्ल्यूएफ, आईटीयूसी, और माइग्रेंट फोरम एशिया के पैनल के सदस्य प्रवासी घरेलू मजदूरों के अधिकारों पर चर्चा करेंगे।
समूह सिफारिश करते हैं कि सरकारों को:
- घरेलू मजदूरों सहित, प्रवासी मजदूरों के लिए व्यापक श्रम क़ानून संरक्षण की स्थापना और उन्हें लागू करना चाहिए;
- यह सुनिश्चित करने के लिए काफला (प्रायोजन) वीज़ा प्रणाली में सुधार करना चाहिए कि मजदूर अपने नियोक्ताओं से पहले उनकी अनुमति प्राप्त करने की अनिवार्यता के बिना अपना नियोक्ता बदल सकते हैं;
- साऊदी अरब और क़तर में “एग्जिट परमिट” की जरूरत को हटा लेना चाहिए;
- मजदूरों के लिए भर्ती शुल्क को ख़त्म करने सहित, मजदूर भर्ती एजेंसियों को नियंत्रित और उनकी निगरानी करने की प्रणाली को मजबूत करना चाहिए;
- यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रवासियों को न्याय और सहायता सेवाओं तक पहुँच प्राप्त है; और
- इथियोपिया, यूगांडा, तथा केन्या जैसे अफ्रीका के श्रम-मूल के देशों को शामिल करने और गैर सरकारी समूहों की भागीदारी के लिए अबू धाबी वार्ता का प्रसार करना चाहिए।
सरकारों को अंतर्राष्ट्रीय श्रम एवं मानवाधिकार मानकों को दृढ़ बनाना चाहिए और उन्हें लागू करना चाहिए, समूहों ने कहा। इनमें शामिल हैं घरेलू मजदूरों के लिए मर्यादित कार्य पर इंटरनैशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ) कन्वेंशन 189, आईएलओ जबरन मजदूरी प्रोटोकॉल, और सभी प्रवासी मजदूरों और उनके परिवार के सदस्यों के अधिकारों की सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन।
अबू धाबी वार्ता के पहले दौर का आयोजन 2008 में संयुक्त अरब अमीरात द्वारा और दूसरी बैठक का आयोजन 2012 में मनीला में किया गया था।
इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले समूहों में शामिल हैं:
- Amnesty International
- Building and Woodworkers’ International
- Human Rights Watch
- International Domestic Workers Federation
- International Trade Union Confederation
- Migrant Forum Asia
- Solidarity Center
- Action Aid
- Anti-Slavery International
- Asian Pacific Forum on Women, Law and Development (APWLD)
- Center for Women's Global Leadership (CWGL)
- International Union of Food, Agricultural, Hotel, Restaurant, Catering, Tobacco and Allied Workers' Association
- Migrant Rights International
- Post 2015 Women's Coalition
- Public Services International
- SOLIDAR
- General Federation of Bahrain Trade Unions, Bahrain
- Domestic Workers Rights Network (DWRN), Bangladesh
- Association for Community Development (ACD), Bangladesh
- National Domestic Women Workers Union (NDWWU), Bangladesh
- Refugee and Migratory Movements Research Unit, Bangladesh
- WARBE Dev, Bangladesh
- Cambodia Domestic Workers Network (CDWN), Cambodia
- Legal Support for Women and Children (LSCW), Cambodia
- Hong Kong Domestic Workers General Union (HKDWGU), Hong Kong
- Hong Kong Federation of Asian Domestic Workers Unions (FADWU), Hong Kong
- Overseas Domestic Workers Union (ODWU), Hong Kong
- Progressive Union of Domestic Workers in Hong Kong (PLUDW), Hong Kong
- Thai Migrant Workers Union (TMWU), Hong Kong
- Union of Nepalese Domestic Workers in Hong Kong (UNDW), Hong Kong
- Center for Indian Migrant Studies, India
- Migrant Domestic Workers Trust, India
- Migrant Forum India
- Migrants Rights Council, lndia
- National Domestic Workers Movement, India
- Tamil Nadu Domestic Workers Union, India
- Tamil Nadu Domestic Workers Welfare Trust, India
- Confederation of Indonesian Trade Unions (CITU) KSPI/CITU, Indonesia
- Congress of Domestic Workers in Yogyakarta (KOY), Indonesia
- JALA PRT, Indonesia
- KAPPRTBM (Domestic and Migrant Workers Protection Action Committee), Indonesia
- Konfederasi Serikat Buruh Sejahtera Indonesia (KSBSI), Indonesia
- Merdeka Domestic Workers Union, Semarang, Indonesia
- Migrant CARE, Indonesia
- Rural Women's Voices, Indonesia
- Sapulidi Domestic Workers Union, Jakarta, Indonesia
- Tunas Mulia Domestic Workers Union, Yogyakarta, Indonesia
- All Nepal Federation of Trade Unions (ANTUF), Nepal
- Home Workers Trade Union of Nepal (HUN), Nepal
- Migrants' Center AHRCDF, Nepal
- POURAKHI, Nepal
- Pakistan Rural Workers Social Welfare Organization (PRWSWO), Pakistan
- Center for Migrant Advocacy, Philippines
- Federation of Free Workers (FFW), Philippines
- Federation of Free Workers Women's Network (FWN), Philippines
- KAKAMMPI, Philippines
- Kanlungan Center, Philippines
- Scalabrini Migration Center, Philippines
- Sentro ng mga Nagkakaisa at Progresibong Manggagawa, SENTRO, Philippines
- Trade Union Congress of the Philippines (TUCP), Philippines
- Unlad Kabayan, Philippines
- Domestic Workers Union (DWU), Sri Lanka
- Good Shepherd Sisters, Sri Lanka
- Sri Lanka Nidahas Sevaka Sangamaya (SLNSS), Sri Lanka
- Hope Workers Centre, Taiwan
- Hsinchu Catholic Diocese Migrants & Immigrants Service Center (HMISC), Taiwan
- Homenet Thailand, Thailand
- Network of Domestic Workers in Thailand, Thailand
- Thai Domestic Workers Network, Thailand
- Mehru Vesuvalia (individual capacity)
- Domestic Services Workers Union, Ghana
- Jamaica Household Workers Union, Jamaica
- Solidarity with Migrants, Japan
- Joint Committee with Migrants in Korea (JCMK), South Korea
- National House Managers Co-operatives (NHMC), South Korea
- Cambodian Migrant Workers Solidarity Network (CMSN), Malaysia
- Centro de Apoyo y Capacitación para Empleadas del Hogar (CACEH), Mexico
- Nigeria Labour Congress (NLC), Nigeria
- Federación de Trabajadoras del Hogar del Perú (FENTRAHOP), Peru
- Humanitarian Organization for Migration Economics (HOME) Singapore
- Transient Workers Count Too (TWC2), Singapore
- Federation of Somali Trade Unions (FESTU), Somalia
- South African Domestic Service and Allied Workers Union (SADSAWU), South Africa
- Trade Unions' Congress of Tanzania (TUCTA), Tanzania
- National Union of Domestic Employees (NUDE) Trinidad and Tobago
- The Service Workers Centre Cooperative Society Limited (Trinidad)
- AFL-CIO, USA
- Centro de los Derechos del Migrante, USA
- National Domestic Workers Alliance (NDWA), USA
- United House and Domestic Workers Union in Zambia, Zambia