भारत में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते कोविड-19 संक्रमण के कारण ऐसा मालूम पड़ता है कि इससे निपटने की तमाम सरकारी व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. 21 अप्रैल को भारत में 3 लाख 16 हजार नए संक्रमण दर्ज किए गए. यह किसी भी देश में एक दिन के संक्रमण का रिकॉर्ड आंकड़ा है. इसी दिन भारत में कोविड-19 संक्रमण से 2,100 से अधिक मौतों भी हुईं. लैंसेट कमीशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक जून के पहले सप्ताह तक प्रति दिन होने वाली मौतों का आंकड़ा 2,320 तक पहुंच सकता है.
जांच, दवा, एम्बुलेंस सेवा, अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन सपोर्ट - हर तरफ इन स्वास्थ्य सुविधाओं की कमियां दिखाई दे रही हैं. यहां तक कि दाह संस्कार या दफन करने संबंधी सुविधाएं भी अपर्याप्त साबित हो रही हैं. फोन कॉल, सोशल मीडिया पोस्ट और व्हाट्सएप ऐसे लोगों की फरियादों से अटे पड़े हैं, जो हताशा में अपने गंभीर रूप से बीमार दोस्तों या रिश्तेदारों के लिए मदद मांग रहे हैं. स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि वे इन हालातों में बुरी तरह थक-हार चुके हैं और असहाय महसूस कर रहे हैं.
पिछले साल महामारी की शुरुआत में अनेक लोगों ने भारत में तबाही की आशंका जताई थी, लेकिन महामारी की दूसरी लहर कहीं अधिक तबाही मचा रही है. दुर्भाग्य से, भारत सरकार ने महीनों का लंबा समय गंवा दिया, जब वायरस के काबू में रहने के दौरान वह देश के बहुत ही कमजोर स्वास्थ्य ढांचे को चुस्त-दुरुस्त कर सकती थी.
इसके बजाय, सरकारी तंत्र विरोधाभास भरे सन्देश देता रहा. सरकार ने सावधानी बरतने की अपील तो की लेकिन साथ ही इसने एक हिंदू धार्मिक आयोजन, जिसमें लाखों लोगों ने गंगा में पवित्र स्नान किया, की न केवल अनुमति दी बल्कि इसका समर्थन भी किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से धैर्य बरतने और अनुशासन में रहने की अपील की, लेकिन विधानसभा चुनावों के दौरान विशाल रैलियों को संबोधित करने के लिए उन्हें और विपक्षी पार्टी के नेताओं को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस सप्ताह अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी, जिस चुनौती से भारत के कई राज्य जूझ रहे हैं, संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “सरकार जमीनी हकीक़त से कितनी बेखबर है? आप ऑक्सीजन की कमी के चलते लोगों को मरता नहीं छोड़ सकते.”
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून सभी को स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य मानक के अधिकार की गारंटी देता है और सरकारों को बाध्य करता है कि स्वास्थ्य सुविधाओं तक सभी जरुरतमंदों की पहुंच सुनिश्चित करें.
भारत सरकार को अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़कर इसे दूसरों पर थोपना बंद करना चाहिए, विभिन्न संघीय एवं राज्य संस्थाओं के बीच सहयोग सुनिश्चित करना चाहिए और इस बदतर होती सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति से निपटने के लिए तेजी से काम करना चाहिए. इसका मतलब है दवा की आपूर्ति श्रृंखलाओं की अड़चनें दूर करना, स्वास्थ्यकर्मियों को सहयोग देना, वैक्सीन निर्माण बढ़ाना और समान रूप से इसका वितरण करना, तथा सुरक्षित व्यवहार को बढ़ावा देना. सिर्फ तभी भारत संभावित संहार से बच पाएगा.