(न्यू यॉर्क) - अप्रैल और मई 2019 में होने वाले भारत के संसदीय चुनाव में हिस्सा लेने वाले उम्मीदवार और राजनीतिक दलों को मानवाधिकार संरक्षण को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए, ह्यूमन राइट्स वॉच ने एक खुले पत्र में यह मांग आज की. ह्यूमन राइट्स वॉच ने उम्मीदवारों से कहा कि वे कई प्रमुख मुद्दों पर मानवाधिकार सुधार के लिए प्रतिबद्धता दिखाएं.
दक्षिण एशिया निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा, “भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, लेकिन लोकतंत्र का मतलब चुनावों में भाग लेने से कहीं अधिक है. उम्मीदवारों को सभी भारतीयों के मौलिक अधिकारों का सम्मान करने और उन्हें मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए और सांप्रदायिक विभाजन और घृणा फैलाने के प्रयासों को अस्वीकार करना चाहिए.”
ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि उम्मीदवारों को निम्नलिखित मुद्दों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखानी चाहिएः हत्याओं और यातनाओं के लिए सुरक्षा बलों की जवाबदेही सुनिश्चित करना; देशद्रोह, आपराधिक मानहानि और आतंकवाद निरोधी कानूनों के दुरुपयोग को समाप्त करके अभिव्यक्ति और सभा करने की स्वतंत्रता की रक्षा करना; उन कानूनों को लागू करना जो महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करते हैं जिनमें यौन हिंसा शामिल है; दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ भेदभाव और हिंसक हमलों को समाप्त करना; विकलांगता और शरणार्थी अधिकारों का संरक्षण करना; निजता पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को बरकरार रखना; और मानवाधिकार विदेश नीति को बढ़ावा देना.
गांगुली ने कहा, “भारत में मतदाताओं के लिए ऐसे नेताओं का चुनाव करना महत्वपूर्ण है, जो वास्तव में मानवाधिकारों की रक्षा करते हैं. इसका मतलब है कि हर उम्मीदवार को समानता, स्वतंत्रता और न्याय के सिद्धांतों को बढ़ावा देना चाहिए.”