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इराक: आईएसआईएस ने सामूहिक क़ब्रगाहों को लाशों से पाट दिया

क़त्ल किये गए लोगों में सुरक्षा बल, कैदी और महिलाएं शामिल

(इर्बिल) - इस्लामिक स्टेट (जिसे आईएसआईएस के नाम से भी जाना जाता है) ने मोसुल के करीब एक जगह पर संभवतः सैकड़ों बंदियों का क़त्ल कर उनके शवों का ढेर लगा दिया. ये बातें आज ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहीं.

कई गवाहों ने ह्यूमन राइट्स वॉच को बताया कि इराक़ी सुरक्षा बलों के सदस्यों सहित मारे गए लोगों के शव पश्चिमी मोसुल के करीब आठ किलोमीटर दूर खाफ्सा नामक एक जगह पर प्राकृतिक रूप से बने कुण्ड (सिंकहोल) में फेंक दिए गए. स्थानीय निवासियों ने बताया कि फरवरी के मध्य में पीछे हटने से पहले, आईएसआईएस ने इस इलाके में आधुनिक बारूदी सुरंगे बिछा दी थीं, जिन्हें आधुनिक विस्फोटक यंत्र या बूबी ट्रैप भी कहा जाता है.

ह्यूमन राइट्स वॉच की मध्य पूर्व उप-निदेशक लामा फकीह ने कहा, "यह सामूहिक कब्र आईएसआईएस के क्रूर और विकृत आचरण का एक भद्दा प्रतीक है- बहुत बड़ा अपराध. सामूहिक कब्र में बारूदी सुरंग बिछाना साफ़ तौर पर इराकियों को ज्यादा-से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की आईएसआईएस की एक कोशिश है."

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[ISIS] would bring in people every day after 10pm. We could hear the gunshots and the

screaming.

ISIS executed and dumped the bodies of hundreds of detainees at a site near Mosul, Iraq.

We’ve spoken to villagers, shepherds from the area who were walking around here and who witnessed executions, executions of truckloads of men, sometimes even women, who were loaded off trucks, walked up the hill, lined up and pushed into this pit known as Khafsa.

[ISIS] killed people [here], officers, officials, prisoners. I used to come here with my sheep.

2 or 3 months [after ISIS arrived], they started bringing individuals. 1 or 2 cars came each time with 4 or 5 people. They would execute them and throw them in Khafsa.

The mass grave is a naturally occurring sinkhole with water running through the bottom.

[It was hot] so we slept on the roof, but we were not able to because the stench [of the dead] was so unbearable. Later on, we went to the well to get water, and there was flesh and blood in the well. Flesh and blood.

The killings at the Khafsa sinkhole apparently continued regularly from late 2024 to mid-2015.

Eventually we closed the wells. We couldn’t draw water. It was full of blood from Khafsa.

We were inside our houses but the smell reached us. 3-4 kilometers away, the smell reached us.

Before they left, ISIS laid improvised landmines in the mass grave, maximizing harm to those who retook the area, and making it very difficult to exhume the bodies.

This is only one of many mass graves that ISIS has left across Iraq and Syria. But perhaps it’s the larges. It’s definitely the most notorious in Iraq.

This area needs to be protected. This is a mass grave site that the authorities should be cordoning off.

And they should take the steps they need to demine the area. And then to start the process of exhuming the bodies and returning them to their family members.

The victim’s families want the bodies, they want their sons and their rights.

 

 

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि जब तक बारूदी सुरंगे हटा नहीं ली जातीं इराकी अधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर इस जगह की सामूहिक कब्रों की सुरक्षा के लिए उन्हें चिह्नित कर  चारों ओर बाड़ लगा देना चाहिए. स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्राकृतिक कुण्ड के तली से पानी निकलता है, जिससे वहां से मानव अवशेषों को निकालना मुश्किल हो सकता है. यदि ऐसा करना मुमकिन है, तो यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत किया जाना चाहिए. अधिकारियों को इस जगह को एक स्मारक के रूप में विकसित करना चाहिए और क़त्ल के लिए न्याय की मांग कर रहे पीड़ित परिवारों का समर्थन करना चाहिए.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि यह जगह इराक और सीरिया के बीच आईएसआईएस की  दर्जनों सामूहिक कब्रों में से एक है, लेकिन यह अब तक सामने आई सबसे बड़ी सामूहिक कब्र हो सकती है. हालांकि इस जगह पर क़त्ल किए गए लोगों की संख्या का निर्धारण करना संभव नहीं है, लेकिन क़त्ल-ए-आम देखने वाले यहाँ के निवासियों के अनुमान और क्षेत्र के आईएसआईएस लड़ाकों ने जो उनसे कहा था, उसके मुताबिक़ मारे गए लोगों की संख्या हजारों में है.

फरवरी 2017 के मध्य में इराकी बलों ने इस इलाके को अपने नियंत्रण में लिया था. ह्यूमन राइट्स वॉच ने 7 मार्च को यहाँ का दौरा किया, लेकिन बारूदी सुरंगों की वजह से कुण्ड की बारीकी से जांच नहीं कर सका. कुण्ड में छोड़ दिए गए एक आधुनिक विस्फोटक यन्त्र से 25 फरवरी को एक पत्रकार और कम-से-कम तीन इराकी सुरक्षा बलों की मौत हो गयी.

स्थानीय निवासियों ने बताया कि उन्होंने 35 मीटर चौड़े कुण्ड में कई बड़े क़त्ल-ए-आम देखे, कभी-कभी ऐसा हर सप्ताह होता था जो कि जून 2014 से शुरू होकर मई या जून 2015 तक चलता रहा. स्थानीय निवासियों ने कहा कि उन्होंने पूर्व पुलिस, इराकी सुरक्षा बल के पूर्व सदस्यों, अवेकनिंग फोर्स (साहवा) के सदस्यों, 2007 से 2008 के बीच चरमपंथी लड़ाकों से लड़ने वाले सुन्नी सुरक्षा बलों की हत्या सहित कई क़त्ल-ए-आम के बारे में आईएसआईएस लड़ाकों को बातें करते सुना है.

मारे गए लोगों में से कुछ मोसुल से 10 किलोमीटर पश्चिम स्थित बडौस जेल के बंदी भी हो सकते हैं, जिस पर आईएसआईएस ने 10 जून 2014 को कब्जा कर लिया था. नौ बचे लोगों ने ह्यूमन राइट्स वॉच को बताया कि उस दिन आईएसआईएस लड़ाकों ने पास के रेगिस्तान की एक घाटी में 600 कैदियों को मार डाला था.

मोसुल से 30 किलोमीटर दक्षिण हम्माम अल-अलिल में चिह्नित और घेराबंदी की हुई आईएसआईएस की एक सामूहिक कब्र जिसका नवंबर 2016 में पता चला.  © बेल्किस विले / ह्यूमन राइट्स वॉच 2017

11 मार्च, 2017 को इराक़ी सुरक्षा बलों ने बताय कि उन्हें बडौस जेल से करीब दो किलोमीटर दूर  500 से 600 लाशों वाली एक अन्य सामूहिक कब्र मिली है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने ये संख्या कैसे निर्धारित की. 13 मार्च को, ह्यूमन राइट्स वॉच ने एक इराकी सैन्य कमांडर से मुलाकात की जो चार दिन पहले उस जगह पर गए थे और इराकी बलों को शव खोद कर निकालते देखा था. 15 मार्च को इराकी सेना की 9वीं डिवीजन के एक जनरल ने ह्यूमन राइट्स वॉच को बताया कि डिवीजन की देख-रेख में बगदाद के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने उस जगह से करीब 400 शवों को निकाला.

लापता व्यक्तियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय समिति (इंटरनेशनल कमिटी फॉर मिसिंग पर्सन्स) सामूहिक कब्रों की सुरक्षा और शव निकालने हेतु प्रभावी प्रक्रिया स्थापित करने के लिए काम करने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है. इस संगठन के फवाज़ अब्दुलअमीर ने ह्यूमन राइट्स वॉच को बताया, "ये खुदाई हमें स्वीकार्य नहीं हैं. ऐसा पर्याप्त अनुभवी प्रशिक्षित टीमों द्वारा किया जाना चाहिए क्योंकि वे अपराधवाली जगह पर मानव अवशेष के बीच काम करते हैं."

बिना अनुमति के अनौपचारिक और गैर-पेशेवर तरीके से शव निकाले जाने के बारे में यह दूसरी रिपोर्ट है.

राज्य या संगठित समूह द्वारा असैन्य नागरिक आबादी पर हमले के रूप में, हत्या की नीति के रूप में व्यापक या व्यवस्थित हत्या मानवता के खिलाफ अपराध है. किसी सशस्त्र संघर्ष के दौरान नागरिकों और नागरिक या सैन्य कैदियों की जानबूझकर हत्या युद्ध अपराध है.
इन अपराधों की जवाबदेही तय करने के लिए इराक को रोम स्टैचूट (संविधि) की अभिपुष्टि करनी चाहिए, इससे वहां हुए युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध 'अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय' के अधिकार क्षेत्र में आ जायेंगे. साथ ही इराक को युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के अभियोजन को अपने घरेलू कानूनों में शामिल करना चाहिए.


इराक में संघर्षरत सभी पक्षों को 1997 की ओटावा (बारूदी सुरंग प्रतिबन्ध) संधि का सम्मान करना चाहिए. इराक ने इस संधि की अभिपुष्टि की है.

फकीह ने कहा, "आईएसआईएस की सामूहिक कब्रों से अपने प्रियजनों के अवशेषों को निकालने की तीव्र इच्छा बखूबी समझी जा सकती है, लेकिन जल्दबाजी में ऐसा किया जाना लोगों की पहचान करने और साक्ष्य बचाने की संभावनाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाता है. खाफ्सा में मारे गए लोगों के अवशेषों को निकालना हालाँकि मुश्किल हो सकता है, अधिकारियों को हर संभव यह कोशिश करनी चाहिए कि अपने प्रियजनों को खोने वालों को न्याय सुनिश्चित हो.  "

खाफ्सा में हुई हत्याएं

खाफ्सा के पास के गांवों के पांच वाशिंदों ने ह्यूमन राइट्स वॉच को बताया कि 10 जून, 2014 को उन्होंने देखा कि आईएसआईएस लड़ाके चार बड़े ट्रकों में पुरुषों को भरकर कुण्ड की ओर लेकर गए. उनकी आंखों पर पट्टी बंधी थी और उनके हाथ भी बंधे हुए थे. खाफ्सा से तीन किलोमीटर दूर गांव अल-स्तबा के दो ग्रामीण, इसके पड़ोसी गांव स्वडा के दो लोग और वहां से तीन किलोमीटर दूर गाँव इर्बिद के एक निवासी जो मौके-ए-वारदात पर मौजूद थे, ने वहां का आँखों देखा बताया.

चश्मदीदों ने बताया कि लड़ाकों ने पुरुषों को उतारकर उनमें से अधिकतर को कुण्ड के किनारे पर इसप्रकार खड़ा कर दिया और गोलियां बरसाने लगे जिससे कि उनके शरीर कुण्ड में गिर जाएँ. उन्होंने कहा कि लड़ाकों ने कुछ लोगों को नजदीक से गोली मारी और उनके शरीर को कुण्ड में फेंक दिया. अल-अस्तबा के एक व्यक्ति और इर्बिद के ग्रामीण ने कहा कि आईएसआईएस लड़ाकों ने बाद में उनसे कहा कि उन लोगों ने जिनको मार डाला वो सारे बडौस के कैदी थे.

खाफ्सा कुण्ड में होने वाली हत्याएं स्पष्ट रूप से साल 2014 के अंत से 2015 के मध्य तक नियमित रूप से जारी रहीं. स्वडा के एक चरवाहे ने बताया कि सितंबर, 2014 में वह खाफ्सा के पास था और उसने आईएसआईएस लड़ाकों को कम-से-कम 13 महिलाओं के साथ एक पिकअप ट्रक में आते देखा. सभी महिलाओं के चेहरे और शरीर पूरी तरह ढंके हुए थे. उनकी आंखों पर पट्टी बंधी थी और हाथ भी बंधे हुए थे. उन्होंने कहा कि आईएसआईएस लड़ाकों ने कुण्ड की ढलान पर महिलाओं को गोली मार दी. उन्होंने बताया कि उसके बाद वे अपने तीन रिश्तेदारों की हत्या सहित एक-के-बाद-एक तीन अन्य सामूहिक कत्ले-ए-आम के गवाह रहे हैं.

अल-अस्तबा निवासी एक और चरवाहा ने बताया कि 2014 के आखिर में उन्होंने एक सामूहिक हत्या तब देखी थी, जब मस्जिद के लाउडस्पीकर से आईएसआईएस लड़ाकों ने अल-अस्तबा के ग्रामीणों को कुण्ड पर आने को कहा. उन्होंने कहा कि लड़ाके उनके तीन दोस्तों और चचेरे भाई को उस जगह पर लाये थे क्योंकि उन पर आईएसआईएस मोर्चों के जीपीएस कोऑर्डनेट इराकी सेनाओं को बताने का आरोप था. लड़ाकों ने शहर के निवासियों के सामने लकड़ी के तख्ते पर पुरुषों का सिर काटा और फिर शरीर को गड्ढे में फेंक दिया. चरवाहे ने कहा कि लड़ाकों ने सेना में अधिकारी उनके एक चचेरा भाई के बारे बताया कि उनकी भी हत्या कर शव को गड्ढे में फेंक दिया गया.

अल-अस्तबा के चरवाहे ने बताया कि 2014 के अंत में जब वे इस इलाके में अपनी भेड़ें चरा रहे थे तब उन्होंने आईएसआईएस लड़ाकों को दो कारों में आते देखा और लड़ाकों ने एक बहुत हठा-कट्ठा आदमी को खींच कर बाहर निकाला. वे उसे कुण्ड के ढलान पर ले गए और जब उसे गोली मारने ही वाले थे, तब वह एक लड़ाके को पकड़ कर कुण्ड में कूद गया. कई कत्ले -ए-आम के दो गवाहों ने कहा कि लड़ाकों ने अपने एक साथी को खोने के बाद ढलान पर लोगों को मारना शुरू कर दिया.

अल-अस्तबा के एक अन्य चरवाहे ने बताया कि फरवरी 2015 में जब वह अपने भेड़ों के साथ खाफ्सा से लगभग 30 मीटर की दूरी पर था, उसने देखा कि छह आईएसआईएस लड़ाके एक बड़ी  बस में आए और कम-से-कम 20 लोगों को कुण्ड के पास समतल मैदान पर ले गए. लड़ाकों ने पुरुषों को एक कतार में खड़ा किया, उन्हें गोली मारी और फिर उनका शरीर कुण्ड में फेंक दिया. उसने आगे बताया कि मार्च 2015 में वह अपनी भेड़ों के साथ फिर से उस इलाके में था और उसने देखा कि दो लड़ाके एक कार से उतरे, चार कैदियों को बाहर निकाला और उन्हें गड्ढे के पास गोली मार दी, फिर उनके शरीर को कुण्ड में फेंक दिया.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने खाफ्सा से 60 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व स्थित कुडीला के एक परिवार का साक्षात्कार किया है. यह परिवार मार्च 2016 में अपना घर छोड़ चुका था. परिवार के पति, जो एक पूर्व इराकी सैनिक था, ने कहा कि मार्च 2015 में आईएसआईएस ने सिगरेट बेचने के जुर्म में कयायार में उसे18 दिनों के लिए जेल में डाल दिया था. उन्होंने कहा कि उनके जेल में रहते लड़ाके कई कैदियों को वहां से ले गए थे और उन्होंने गार्ड को यह कहते सुना था कि उनको क़त्ल करने के लिए खाफ्सा ले जाया जा रहा है. वे कैदी वापस लौटकर नहीं आए.


स्वडा के एक और आदमी ने बताया कि 2015 के शुरू में उन्होंने लड़ाकों को कुण्ड की ओर 11 फ्रीजर ट्रक ले जाते देखा था. उन्होंने स्थानीय आईएसआईएस लड़ाकों से सुना था कि उस दिन उन ट्रकों में लाए गए करीब एक हज़ार लोगों की इस जगह पर हत्या कर दी गई.

खाफ्सा के पास रहने वाले पांच लोगों ने कहा कि उन्होंने  इस जगह पर 3,000 से लेकर 25,000 लोगों का क़त्ल किये जाने के बारे में सुन रखा है. उन्होंने बताया कि वे अक्सर चीखें और गोलियों की आवाजें सुना करते थे. 2015 की शुरुआत होते-होते शवों की दुर्गन्ध असहनीय हो गई थी और परिवार आईएसआईएस लड़ाकों को कह रहे थे कि अगर यह जारी रहा तो उन्हें मोसुल जाना पड़ेगा. अल-अथबा के एक निवासी ने बताया, "गर्मी के मौसम के कारण हमें छत पर सोना पड़ता था लेकिन शवों की तेज़ बदबू के कारण हम सो नहीं पाते थे. गंध बहुत ही तीखी थी." एक अन्य ने कहा, " बहुत ख़राब बदबू थी, हम अपने घरों के अंदर रहते थे लेकिन गंध तब भी हमारे पास पहुंचती थी."

शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए लड़ाके कई क्रेन लेकर लाए और कई बड़े ट्रेलरों की सामग्री कुण्ड में फेंक दी और फिर कई एक्स्कवेटर से कुण्ड के बाकी हिस्सों को मिट्टी से भर दिया. ये बातें दो निवासियों ने ह्यूमन राइट्स वॉच को दिए इंटरव्यू में बताई थीं. एक ने कहा, "उन्होंने [आईएसआईएस] ने हमें बताया था कि ट्रेलर भी शवों से भरे हुए थे." सभी स्थानीय लोगों ने कहा कि इसे भरने के बाद आईएसआईएस ने इस जगह पर कोई क़त्ल-ए-आम नहीं किया. उन्होंने बताया कि उसके बाद सड़ते शवों की दुर्गन्ध कम हो गई.
 

ह्यूमन राइट्स वॉच द्वारा सैटेलाइट तस्वीर के विश्लेषण से पता चलता है कि मार्च से जून 2015 के बीच कुण्ड को भरा गया था.

इस बीच इराकी सरकार ने फरवरी 2017 में कुण्ड के आसपास के इलाके को वापस अपने कब्जे ले लिया, तब तक भरी मिट्टी धंसने लगी थी. अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों द्वारा उस वक़्त ली गई तस्वीरों में अवशेष कुछ इस तरह से दिखाई देते हैं मानो भरे हुए गड्ढे के बीच में दो कारें फँसी  हों.

आईएसआईएस नियंत्रित क्षेत्र बनने से पहले ही एक अज्ञात उपयोगकर्ता द्वारा ओपन-सोर्स ऑनलाइन मानचित्र विकिमेपिया पर इसे आईएसआईएस की सामूहिक कब्र के रूप में दर्शाया गया था, लेकिन तब तक इस क्षेत्र में आईएसआईएस ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कर ली थी. अल-अथबा के दो चरवाहों और एक संघीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि 2004 के शुरू में ही इराक में आईएसआईएस के पूर्ववर्ती समूह अल-कायदा ने इस कुण्ड का इस्तेमाल उन लोगों के शवों को फेंकने के लिए किया था जिनकी हत्या उन्होंने अमेरिकियों या इराकी और कुर्दिस्तान के क्षेत्रीय सरकारों के साथ कथित रूप से सांठगांठ करने के लिए कर दी थी. 

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