(बेरूत) - बहरीन में सैकड़ों हज़ारों, ज्यादातर दक्षिण एशियाई प्रवासी कामगार, उनकी रक्षा के लिए अभीष्ट सरकारी सुधारों के बावजूद शोषण और दुर्व्यवहार का सामना करते हैं, ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने आज जारी एक रिपोर्ट में कहा।
123 पृष्ठो की रिपोर्ट, "बेहतर जीवन के लिए: बहरीन में प्रवासी कामगारों के साथ दुर्व्यवहार और सरकारी सुधार कार्यसूची," में बहरीन में प्रवासी कामगारों द्वारा सामना किए जाने वाले दुर्व्यवहार और शोषण के अनेक रूपों का प्रलेखन किया गया है और निवारण प्रदान करने और कामगारों की रक्षा को मजबूत बनाने के सरकार के प्रयासों का विवरण दिया गया है। बहरीन के अधिकारियों को पहले से मौजूद श्रम सुरक्षा उपायों और निवारण तंत्र को लागू करने और अपमानजनक नियोक्ताओं पर मुकदमा चलाने की ज़रूरत है, ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने कहा। सरकार को 2012 निजी क्षेत्र श्रम क़ानून का विस्तार घरेलू कामगारों तक करना चाहिए, जो प्रमुख सुरक्षा से बाहर रखे गए हैं।
"बहरीन के अधिकारी समझते हैं कि प्रवासी कामगारों ने देश के निर्माण में मदद की है और उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण सुधार आरम्भ किए हैं," ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) के प्रतिनिधि मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका निदेशक, जो स्टॉर्क (Joe Stork) ने कहा। "लेकिन अधिक सशक्त प्रवर्तन के बिना, ये सुधार मजदूरी का भुगतान करने में विफलता और कामगारों के पासपोर्ट रोक लेने जैसे अधिकारों के ज़्यादातर व्यापक उल्लंघनों पर ध्यान देने की ओर बहुत कम काम करते हैं।"
बहरीन में 458,000 से कुछ ही अधिक प्रवासी कामगार हैं, जो सार्वजनिक और निजी, कुल कार्य बल का लगभग 77 प्रतिशत है। अधिकांश निर्माण, व्यापार, विनिर्माण और घरेलू काम में कम कौशल, कम-मजदूरी के कामों में लगे हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने 62 प्रवासी कामगार से साक्षात्कार किया और सरकारी अधिकारियों, भर्ती एजेंटों, श्रम-भेजने वाले देशों के राजनयिकों, श्रम वकीलों, और कामगार अधिवक्ताओं के साथ मुलाक़ात की।
हाल ही के सरकारी सुधारों में सुरक्षा विनियम, मानव तस्करी से निपटने के उपाय, कामगार अधिकार शिक्षा अभियान, और प्रवासियों को अपने नियोक्ताओं को छोड़ने की ज़्यादा क्षमता देने वाले नियम शामिल हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने पाया कि अधिकारी कुछ सुरक्षा उपाय लागू करते हैं, जैसेकि ख़तरनाक रूप से गरम महीनों के दौरान दोपहर को निर्माण कार्य पर प्रतिबंध। लेकिन अधिकारियों ने पर्याप्त रूप से दूसरे अनेक कामगार रक्षा उपाय नहीं किए हैं, जैसेकि मजदूरी रोकने, भर्ती शुल्क लेने, और पासपोर्ट ज़ब्त के खिलाफ। ये सभी तरीके कामगारों के लिए काम की अपमानजनक स्थितियाँ छोड़ना कठिन बनाते हैं।
बहरीन में प्रवासी कामगारों को सामान्य रूप से बहरीनी समाज से भेदभाव और दुर्व्यवहारों का सामना भी करना पड़ता है। ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने मार्च 2011 में उच्च राजनीतिक अशांति की अवधि के दौरान दक्षिण एशियाई प्रवासी कामगारों के खिलाफ अनेक हिंसक हमलों का प्रलेखन किया है। कुछ मामलों में प्रवासियों ने कहा कि उनके हमलावर सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी थे। पाकिस्तान के कामगारों ने ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) को उन हमलों के सबूत दिए जिनके कारण उनके एक साथी कामगार की मृत्यु हो गई और दूसरे गंभीर रूप से घायल हुए।
ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने पाया कि प्रवासी कामगारों के अधिकारों का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं को विशिष्ट रूप से बहरीनी क़ानून में प्रदत्त दंडों का सामना नहीं करना पड़ता है और दुर्लभ रूप से ही, अगर कभी होता है, तो दंड संहिता में उल्लेख किए गए अनुसार और मानव तस्करी के खिलाफ क़ानून में उल्लिखित परिणामों का सामना करना पड़ता है। ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) को इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि बहरीनी अधिकारियों ने श्रम सम्बन्धी उल्लंघनों के लिए दंड देने हेतु, 2008 में शुरू किए गए तस्करी विरोधी क़ानून का इस्तेमाल किया है।
अनेक प्रवासी कामगारों की दुर्दशा उनके गृह देशों में शुरू हो जाती है, जहाँ अनेक लोग काफ़ी कर्ज़ ले कर, प्रायः पारिवारिक घर और क़ीमती सामान ज़मानत पर रख कर स्थानीय भर्ती एजेंसियों को बहरीन में 10 से 20 महीने की मजदूरी के बराबर शुल्क का भुगतान करते हैं। यह कर्ज़, जो कभी-कभी बिगड़ जाता है जब नियोक्ता मजदूरी रोक लेते हैं, बहुत से प्रवासियों को काम की अपमानजनक शर्तों को स्वीकार करने के लिए प्रभावी ढंग से मजबूर करता है। बहरीन में नियोक्ता नियमित रूप से कामगारों के पासपोर्ट ज़ब्त कर लेते हैं। प्रचलित प्रायोजन प्रणाली (केफैला - kefala) के साथ मिलकर, ये कार्यप्रणालियाँ कामगारों की नियोक्ताओं को छोड़ने और स्वतंत्र रूप से घर लौटने की क्षमता को बहुत सीमित कर देते हैं।
कामगारों ने ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) को लगातार बताया कि उनकी शिकायतों की सूची में बकाया मजदूरी सबसे ऊपर है। ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) द्वारा साक्षात्कार किए गए आधे कामगारों ने कहा कि उनके नियोक्ता तीन से दस महीने के बीच का उनका वेतन रोक लेते हैं। एक घरेलू कामगार को अपने नियोक्ता से पाँच साल तक मजदूरी नहीं मिली।
राजा एच. (Raja H.) ने 19 अन्य आदमियों के साथ निर्माण में काम किया था जिन्होंने कहा कि उन्हें चार महीने से भुगतान नहीं किया गया था। "मेरे पिता की मृत्यु हो गई है, और मैं सबसे बड़ा भाई हूँ," उसने कहा। "मेरे छोटे भाई-बहन हैं और एक भाई है जो पाकिस्तान में श्रमिक के रूप में काम कर रहा है। मैं अपने परिवार को फोन करता हूँ और वे मुझे पैसे भेजने के लिए कहते हैं। अगर मुझे पैसा नहीं मिलता है, तो मैं क्या कहूँ? मेरी एक पत्नी है और मेरे बच्चे स्कूल जाते हैं और यह एक बड़ी समस्या है।"
कामगारों ने कम मजदूरी, काम के अत्यधिक घंटे, और शारीरिक और मानसिक शोषण और घरेलू कामगारों के मामले में, यौन शोषण का भी वर्णन किया। निर्माण कामगारों ने लगातार भीड़ भरे और असुरक्षित श्रम शिविरों की समस्या उठाई। प्रवासी कामगारों द्वारा आत्महत्या की दर चिंताजनक रूप से उच्च है, ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने पाया। कुछ मामलों में, श्रम की स्थितियाँ बेगार की स्थिति के समान थीं।
घरेलू कामगारों ने, जिनमें से लगभग सभी महिलाएँ थी, अल्पतम विराम और किसी छुट्टी के दिन के बिना दिन में 19 घंटे तक काम करने का वर्णन किया। अनेकों ने कहा कि उन्हें अपने नियोक्ता का घर छोड़ने से रोका जाता है, और कुछ ने कहा कि उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं दिया जाता है।
"हमने प्रातः 5:30 से रात्रि 11 बजे तक काम किया," आयशा के. (Ayesha K.) ने कहा। "विराम का कोई समय नहीं। कोई आराम नहीं। यहाँ तक कि खाने के लिए भी कोई समय नहीं।" गल्फ़ डेली न्यूज़ (Gulf Daily News) ने 18 सितंबर, 2012 को 63 वर्षीय आकना सत्यवती (Aakana Satyawati) के मामले पर रिपोर्ट पेश की, जिसके नियोक्ता ने कथित रूप से उसे पिछले दो सालों से भुगतान नहीं किया था और लगभग 21 सालों तक उसे भारत में उसके परिवार से मिलने के लिए जाने की अनुमति नहीं दी थी, "निजी घरों में एकाकी, घरेलू कामगार अकसर अल्प वेतन के लिए भयावह काम के घंटे, और कभी-कभी शारीरिक और यौन शोषण के शिकार होते हैं," स्टॉर्क (Stork) ने कहा। "ये कामगार दुरुपयोग के अत्यधिक जोखिम का सामना करते हैं और फिर भी उनकी कानूनी सुरक्षा बहुत कम होती है।"
एक नया श्रम क़ानून जो जुलाई से प्रभावी हुआ है, घरेलू कामगारों के लिए वार्षिक अवकाशों सहित कुछ सुरक्षाओं का विस्तार करता है, और श्रम विवाद मध्यस्थता तक पहुँच सहित अन्यों को संहिताबद्ध करता है । हालाँकि, काम के अधिकतम दैनिक और साप्ताहिक घंटे और साप्ताहिक अवकाश दिवस स्थापित करने जैसे ज़रूरी सुधारों के अधिदेश करने में क़ानून विफल रहा है।
कुछ क्षेत्रों में, बहरीन ने उल्लेखनीय सुधार किया है, ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने पाया। 2006 में बनाई गई एजेंसी, श्रम बाजार नियामक प्राधिकरण (Labor Market Regulatory Authority), ने काम के वीज़ा के आवेदनों को सरल कर दिया है और कामगार शिक्षा अभियान व्यवस्थित करती है, जिनमें से कुछ कामगार के अधिकारों और निवारण के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। 2009 में पारित एक क़ानून ने "खुले" ट्रकों में कामगारों के परिवहन को तेज़ी से कम किया है, जिसके कारण अनेक लोगों को चोटें आई थीं और मृत्यु हो गई थी। सरकार द्वारा संचालित एक आश्रय ने 2006 से अपमानजनक नियोक्ताओं से भागने वाली महिला प्रवासी कामगारों को सहारा दिया है।
अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में, सुधार पर्याप्त दूर तक नहीं पहुँचे हैं, और न ही पर्याप्त कार्यान्वयन हुआ है, ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने पाया। जिन दो श्रम शिविरों में ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने दौरा किया, वहाँ के कामगारों ने कहा कि श्रम मंत्रालय (Labor Ministry) के निरीक्षकों ने उनके नियोक्ताओं को सालों पहले आवास संहिता के गंभीर और ख़तरनाक उल्लंघन के लिए उद्धृत किया था लेकिन नियोक्ताओं ने कभी भी अपेक्षित कार्रवाई नहीं की और शिविर खुले रहे।
श्रम मंत्रालय कर्मचारियों को, ज्यादातर मजदूरी से संबंधित, शिकायत दाखिल करने की अनुमति देता है, और श्रम विवादों में मध्यस्थता करता है। फिर भी अपमानजनक नियोक्ता अकसर निपटान करने से मना कर देते हैं और अकसर बैठकों के लिए मंत्रालय के अनुरोधों की उपेक्षा कर देते हैं। मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा के अनुसार 2009, 2010 और 2011 में, मध्यस्थों ने बहरीनी कामगारों द्वारा दाखिल की गई शिकायतों के 56 प्रतिशत की तुलना में, प्रवासी कामगारों द्वारा दाखिल की गई शिकायतों के केवल 30 प्रतिशत का समाधान किया।
जब प्रवासी कामगार शिकायतें दाखिल करते हैं, तो नियोक्ता अकसर इस तरह के आरोप लगाकर बदले की कार्रवाई करते हैं कि कामगार ने चोरी या इसी के समान अपराध किया है, या अनुमति के बिना "फ़रार" है, जिसके कारण कामगार संभावित रूप से बंदी बनाए जाने, निर्वासन, और पुनः प्रवेश पर प्रतिबंध के अधीन हो जाते हैं।
"अगर आप जाकर मंत्रियों से बात करते हैं और क़ानून देखते हैं तो सब कुछ सही है और कुछ भी संभाला नहीं जा सकता है," एक स्थानीय नागरिक समाज समूह, प्रवासी कामगार संरक्षण सोसायटी (Migrant Workers Protection Society) से, मैरियट डायस (Marietta Dias) ने कहा। "लेकिन जब आप [मंत्रालयों में] छोटे लोगों तक जाते हैं, तो जो लोग सभी चीजों को संसाधित करते हैं, उनके पास या तो कुछ करने का अधिकार नहीं होता या उन्हें क़ानून नहीं बताया जाता है।"
वकीलों ने ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) को बताया कि अदालतें अकसर कामगारों के अनुकूल फ़ैसले करती हैं, लेकिन उन मामलों को सुलझाने में छह महीने से एक साल के बीच तक का समय लगता है और वे अपील के अधीन होते हैं। इस समय के दौरान प्रवासी कामगार कानूनी रूप से काम करने में असमर्थ रहते हैं और इस दौरान इनकी कोई आय नहीं होती है, और कहते हैं कि वे विशिष्ट रूप से महसूस करते हैं कि उनके पास अदालत-से-बाहर प्रतिकूल निपटान स्वीकार करने के अलावा बहुत कम विकल्प होते हैं।
अनेक प्रवासी अपने वेतन का बड़ा, और कभी-कभी पूरा भाग छोड़ते हुए, घर वापसी के लिए हवाई जहाज के टिकट और उनके पासपोर्ट लौटाए जाने पर निपटान कर लेते हैं । कुछ कामगारों ने कहा कि उनके पासपोर्ट लौटाने और उनके वीज़ा रद्द करने के लिए उन्होंने पूर्व नियोक्ताओं को भुगतान तक किया है, जिससे वे देश छोड़ सकें।
नए श्रम क़ानून में शुरू की गई प्रकरण प्रबंधन प्रणाली (case management system) संभावित रूप से उपयोगी है, ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने कहा। इससे श्रम मुक़दमेबाज़ी सरल एवं कारगर होनी चाहिए और इसमें सिविल अदालतों में प्रवासी कामगारों की निवारण प्राप्त करने की क्षमता को मजबूत बनाने की संभावना है।
"बहरीन स्पष्ट रूप से प्रगतिशील प्रवासी श्रम प्रथाओं वाले देश के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त करना चाहता है," स्टॉर्क (Stork) ने कहा। "अधिकारियों को प्रवासी कामगारों के खिलाफ दुर्व्यवहार के लिए दंडाभाव की संस्कृति का समाधान करने से शुरू करना चाहिए जो अभियोजन और इसके क़ानूनों के अधीन दंड लागू करने की कमी का प्रत्यक्ष परिणाम है।"