पिछले एक महीने में, भारत के कर्नाटक राज्य में कई सरकारी शिक्षण संस्थानों ने मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है. हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने इस भेदभावपूर्ण प्रतिबंध का समर्थन किया है और पिछले हफ्ते एक निर्देश पारित करते हुए कहा, “समानता, अखंडता और सार्वजनिक कानून व्यवस्था में बाधा डालने वाले कपड़े नहीं पहनने चाहिए.”
स्कूलों में हिजाब के मुद्दे पर हिंदू और मुस्लिम छात्रों के बीच बढ़ते तनाव और विरोध के बीच कर्नाटक सरकार ने तीन दिनों के लिए स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए हैं. 8 फरवरी को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मुस्लिम छात्रों द्वारा हिजाब पहनने के अधिकार का समर्थन करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. इसी दिन वायरल हुए एक वीडियो में हिंदू युवकों की भीड़ हिजाब पहने एक मुस्लिम छात्रा को आक्रामक तरीके से परेशान करती दिखी. एक दिन बाद, एक खबर के मुताबिक, प्रतिरोध की अगली कतार में शामिल छह मुस्लिम छात्राओं के फोन नंबर और घर का पता समेत उनके एडमिशन फॉर्म ऑनलाइन लीक कर दिए गए.
हिजाब पर प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत भारत के दायित्वों का उल्लंघन है. यह कानून व्यक्ति को बगैर किसी दवाब के अपने धार्मिक विश्वासों को प्रकट करने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और बिना किसी भेदभाव के शिक्षा के अधिकार की गारंटी देता है. इसी तरह, महिलाओं और लड़कियों को धार्मिक वस्त्र पहनने के लिए मजबूर करना भी अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत धार्मिक स्वतंत्रता और निजता के अधिकारों का उल्लंघन है.
हिजाब पर प्रतिबंध इसकी ताजा मिसाल है कि भारत का सरकारी तंत्र किस तरह मुसलमानों को अधिकाधिक हाशिए पर डालने की कोशिश कर रहा है. इसने उन्हें बढ़ती हिंसा के साये तले जीने के लिए छोड़ दिया है. राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर, भाजपा सरकारों ने ऐसे अनेकानेक कानूनों और नीतियों बनायीं हैं जो धार्मिक अल्पसंख्यकों और कमजोर समुदायों, खास तौर से मुसलमानों के खिलाफ सुनियोजित रूप से भेदभाव करते हैं.
दिसंबर 2021 में, हिंदू अति-राष्ट्रवादियों, जिनमें अनेक भाजपा से जुड़े हुए थे, ने उत्तराखंड में तीन दिवसीय धर्म संसद का आयोजन किया, जिसमें वक्ताओं ने खुले तौर पर मुसलमानों के संहार का आह्वान किया. हरियाणा राज्य में, भाजपा के मुख्यमंत्री ने हिंदू निगरानी समूहों की सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने पर रोक की मांग का समर्थन किया. मजदूर वर्ग के मुसलमानों को अक्सर बेखौफ़ होकर पीटा जाता है, धमकाया जाता है और प्रताड़ित किया जाता है. सैकड़ों जानी-मानी शिक्षित मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें खरीद-फरोख्त के लिए ऐप्स पर डाली गईं. ऐसा उन्हें अपमानित करने, नीचा दिखाने और डराने के लिए किया गया.
यह सब लड़कियों की “शिक्षा और भागीदारी” की हिमायत करने वाली सरकार कर रही है. इसे इन बातों पर खरा उतरना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूल समावेशी हों. साथ ही, सरकार को चाहिए कि लड़कियों के बिना किसी डर के हिजाब पहनने के अधिकार की हिफाज़त करे.