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इराक: मानवता के खिलाफ अपराध हैं आईएसआईएस के बम हमले

पीड़ित नागरिकों को मुआवजा दो

(बेरूत) - ह्यूमन राइट्स वाच ने आज कहा,"बगदाद में भीड़ भरे बाजारों और अस्पतालों पर हाल के कार और आत्मघाती बम विस्फोट, जिसकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस के नाम से भी ज्ञात) ने ली है, मानवता के खिलाफ अपराध हैं. इराक़ी सरकार को आईएसआईएस के खिलाफ अपनी कोशिशों में "सैन्य चूकों और आतंकवादी कार्रवाइयों" के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए कानूनी कार्यान्वयन में सुधार लाना चाहिए.

ह्यूमन राइट्स वॉच के आतंकवाद और आतंकवाद-रोधी कार्यक्रम के निदेशक नदीम होउरी ने कहा, "आईएसआईएस ने नियमित रूप से विध्वंसक हमले किए हैं जिनका मकसद ज्यादा-से-ज्यादा आम इराकियों की हत्या करना और उन्हें यंत्रणा देना प्रतीत होता है. आईएसआईएस के खिलाफ इराक़ी और अंतर्राष्ट्रीय रणनीति में सभी तरफ से किए गए इन हमलों और ऐसे अन्य गैरकानूनी हमलों के शिकार लोगों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए."

सरकारों पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अपने अधिकार क्षेत्र में रहने वाले सभी लोगों के जीवन की रक्षा करने और अपराध करने वालों को न्यायिक प्रक्रिया तक लाने की जिम्मेदारी है. पीड़ितों की जरूरतों को पूरा करने के लिए तंत्र स्थापित करने पर विचार करना चाहिए, जो सिर्फ मुआवज़ा देने तक सीमित न हो.

हाल के हफ्तों में, कई घातक हमलों में मुख्य रूप से बगदाद के शिया-बहुल पूर्वी जिलों को निशाना बनाया गया है. इराक़ी पुलिस के अनुसार, 31 दिसंबर, 2016 को दो आत्मघाती हमलावरों ने बगदाद के मुख्य बाजार में खुद को उड़ा दिया जिसमें कम-से-कम 25 लोग मारे गए और 50 घायल हुए. आईएसआईएस ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली.

आंतरिक मंत्रालय के अनुसार, 2 जनवरी, 2017 को एक व्यस्त चौराहे पर कार बम विस्फोट हुआ जिसकी जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आत्मघाती हमलावर ने मजदूरों को काम देने का वादा करके अपनी कार तक बुलाया, फिर खुद को उड़ा दिया. रायटर्स ने बताया, पीड़ितों में नौ महिलाएं थीं जो उस समय चौराहे पर मिनीबस से गुजर रही थीं. थोड़ी देर बाद, करीब में ही अल-किंदी अस्पताल के पार्किंग में दूसरा कार बम विस्फोट हुआ, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई.

आंतरिक मंत्रालय के मुताबिक 5 जनवरी को सुबह के व्यस्त समय में पूर्वी बग़दाद के ही अल-ओबैदी इलाके में हुए एक कार बम विस्फोट में पांच लोगों की मौत हो गई और सात लोग घायल हो गए. आईएसआईएस ने इंटरनेट पर जारी बयान में कहा कि उसने शिया मुस्लिम के जन समूह को निशाना बनाया. उस दिन दूसरा विस्फोट एक सुरक्षा चौकी के पास केंद्रीय जिले बाब अल-मोदहम में हुआ, जिसमें आठ लोग मारे गए. दोनों मामलों में पार्क किए गए वाहनों में  बम रखे गए थे.

आईएसआईएस ने पूर्वी बगदाद के व्यस्त बाजारों में 8 जनवरी को दो हमले करने का दावा किया. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि पहले विस्फोट में हमलावर ने जामिला जिले के एक बड़े सब्जी बाजार में विस्फोटकों से भरी कार घुसा दी और उसमें विस्फोट कर दिया, जिससे 13 लोगों की मौत हो गई. सुरक्षा बलों ने इस कार को रोकने के लिए इस पर गोलियां चलाई. इस हमले के कुछ घंटों बाद ही विस्फोटक जैकेट पहने एक आत्मघाती हमलावर ने बलादीयत जिले के एक बाजार में खुद को उड़ा दिया, इस हमले में कम-से-कम सात लोग मारे गए.

जब "नागरिक आबादी के खिलाफ व्यापक या सुनियोजित हमले" के हिस्से के रूप में हत्या की जाती है - यानी,  राज्य या संगठित समूह द्वारा हत्या करने की नीति के रूप में - तो यह मानवता के खिलाफ अपराध बन सकता है, चाहे ऐसा सशस्त्र संघर्ष, राजनीतिक अशांति के संदर्भ में किया गया हो या शांति में. .

होउरी ने कहा, "आम तौर पर ये इराकी नागरिक हैं जो आईएसआईएस बम हमलों का आघात  झेलते हैं. ये पीड़ित अक्सर बेनाम और अनजान रह जाते हैं, फिर भी आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई में उनका और उनके परिवार का हित महत्वपूर्ण हैं."

2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति  स्वीकार की गई और महासभा हर दो साल पर इसकी समीक्षा करती है. इस रणनीति में  आतंकवाद पीड़ितों को मदद करने और उनके साथ एकजुटता दिखाने के महत्व को स्वीकार किया गया है. हालांकि आतंकवाद पीड़ितों के प्रति देश के विशिष्ट दायित्वों को रेखांकित करने के लिए कोई मान्य अंतरराष्ट्रीय दस्तावेज नहीं है, लेकिन इस बात को स्वीकृति मिल रही है कि देशों को ऐसी राष्ट्रीय सहायता प्रणालियां विकसित करनी चाहिए जो पीड़ितों और उनके परिवारों की जरूरतों को सामने रखे और उनका जीवन सामान्य करने में मदद करे.

आतंकवाद के प्रत्युत्तर में मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता के प्रचार और संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत बेन एमर्ससन ने 2012 में आतंकवाद पीड़ितों के मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए 14 सिद्धांतों की रूपरेखा निर्दिष्ट की थी और अनुरोध किया था कि हर देश आतंकवाद पीड़ित सभी लोगों को पर्याप्त और प्रभावी क्षतिपूर्ति प्रदान करें, चाहे किसी हमले के लिए कोई भी जिम्मेदार हो.

तब से, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आतंकवाद पीड़ितों के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा की आवश्यकता पर जोर देने के लिए बार-बार प्रस्ताव स्वीकार किए हैं. फरवरी 2016 में आतंकवाद पीड़ितों के मानवाधिकार पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ने सिफारिश की थी कि सभी सदस्य अपने-अपने देश के आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में पीड़ितों के अधिकारों को शामिल करें और यह सुनिश्चित करें कि इसके लिए सदस्य देशों के सभी प्रयास और कार्रवाई के केंद्र में पीड़ितों रहें.

इराक ने 2009 के कानून, जो कि 2015 में संशोधित हुआ, के माध्यम से "आतंकवाद और सैन्य चूकों" के शिकार लोगों को मुआवजा देने के लिए कुछ उपाय किए हैं. इस कानून के तहत आतंकवाद, सैन्य अभियानों और सैन्य त्रुटियों से प्रभावित लोगों को शारीरिक या मनोवैज्ञानिक नुकसान पर नकद मुआवजा, पेंशन और मकान या ज़मीन या घर बनाने के लिए परिवार को वित्तीय अनुदान मुहैया करा कर क्षतिपूर्ति करने के लिए एक समिति का गठन किया गया.

समिति ने कहा कि उसने नागरिकों, जिनकी संपत्ति 2016 में "आतंकवादी कार्रवाइयों या सैन्य त्रुटियों" की वजह से नष्ट हो गई थी,  के 15 हजार दावों का निपटारा किया है जिसमें कुल 70 बिलियन इराकी दिनार (59 मिलियन यूएस डॉलर) खर्च हुए. ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा, "हालांकि, हिंसा के शिकार इराकियों ने उपेक्षा और धीमी प्रक्रियाओं की बार-बार शिकायत की है." मुआवजे दाखिल करने में परिवारों की नियमित रूप से मदद करने वाले एक इराकी वकील ने कहा कि दावों पर कार्रवाई करने में अधिकारियों को औसतन दो साल का समय लगता है और सैन्य संघर्ष वाले प्रान्तों में रह रहे इराकियों के लिए स्थिति विशेष रूप से मुश्किल होती है क्योंकि दावा करने के लिए अधिकारियों से जरुरी दस्तावेज प्राप्त करना उनके लिए बहुत ही मुश्किल साबित होता है.

होउरी ने कहा, "हालाँकि इराकी अधिकारियों ने पीड़ितों के लिए मुआवजा तंत्र स्थापित कर दिया है, तो भी एक अधिक व्यापक राष्ट्रीय योजना विकसित करना जरुरी है. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ित यह महसूस करें कि उनकी मनोवैज्ञानिक और चिकित्सकीय मदद की जा रही है और यदि वे चाहें, तो अपने ऊपर हमला करने वालों के खिलाफ कानूनी प्रकियाओं में शामिल हो सकते हैं."

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