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अफगानिस्तान: विनाशकारी तालिबान शासन का एक साल

व्यापक भुखमरी के बीच महिला अधिकारों पर पाबंदी, मीडिया पर कार्रवाई और प्रतिशोध में हत्याएं

काबुल में तालिबान के संस्थापक मुल्ला मोहम्मद उमर की पुण्यतिथि पर अप्रैल 2022 में एक समारोह में एकत्रित तालिबान नेता. ©2022 एपी फोटो/इब्राहिम नोरूज़ी

(न्यूयॉर्क) – ह्यूमन राइट्स वॉच ने आज कहा कि तालिबान ने एक साल पहले अफगानिस्तान पर अधिकार करने के बाद मानवाधिकारों और महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने संबंधी कई वादे तोड़ डाले हैं. 15 अगस्त, 2021 को काबुल पर कब्जा करने के बाद, तालिबान अधिकारियों ने बहुत सारे अत्याचार किए हैं, इनमें महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों तथा मीडिया पर कठोर प्रतिबंध लगाना और अपने आलोचकों एवं कथित विरोधियों को मनमाने ढंग से हिरासत में लेना, प्रताड़ित करना और फ़ौरन उनकी हत्या करना शामिल है.
ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि तालिबान द्वारा मानवाधिकारों के हनन की व्यापक निंदा हुई है और इसने देश के गंभीर मानवीय संकट से निपटने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को खतरे में डाल दिया है. अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है,  मुख्य रूप से इसलिए क्योंकि विभिन्न सरकारों ने विदेशी सहायता में कटौती की है और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक लेनदेन को प्रतिबंधित कर दिया है. 90 फीसदी से अधिक अफगान तक़रीबन एक साल से खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं, जिससे लाखों बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हुए हैं और उनके समक्ष गंभीर दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा पैदा हो गया है.

अफगानिस्तान में ह्यूमन राइट्स वॉच की शोधकर्ता फेरेश्ता अब्बासी ने कहा, "अफगान लोग  मानवाधिकार के भयावह दौर से गुजर रहे हैं, वे तालिबान की क्रूरता और अंतरराष्ट्रीय उदासीनता दोनों के शिकार हैं. अफगानिस्तान का भविष्य अंधकारमय बना रहेगा, अगर विदेशी सरकारें तालिबान अधिकारियों के साथ और अधिक सक्रिय तौर पर नहीं जुड़ती और साथ ही अधिकारों के मामले में उनकी कारगुजारियों के प्रति सख्त रवैया नहीं अपनाती हैं."

सत्तासीन होने के बाद से, तालिबान ने ऐसे नियम लागू किए हैं जो महिलाओं और लड़कियों को अभिव्यक्ति, आवाजाही और शिक्षा जैसे सबसे बुनियादी अधिकारों का प्रयोग करने से व्यापक रूप से रोकते हैं. ये पाबंदियां जीवन, आजीविका, स्वास्थ्य देखभाल, भोजन और पानी के उनके अन्य बुनियादी अधिकारों को प्रभावित करती हैं. उन्होंने महिलाओं को अपने परिवार के किसी पुरुष सदस्य के बिना यात्रा करने या अपने कार्यस्थल पर जाने – जो कि तमाम परिवारों के लिए नामुमकिन शर्त है - से प्रतिबंधित कर दिया है और उन पर कई तरह की नौकरियां करने पर पाबंदी लगा दी है. तालिबान ने लगभग सभी लड़कियों को माध्यमिक विद्यालय में प्रवेश से वंचित कर दिया है.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि मानवाधिकार संबंधी तालिबान के भयावह अतीत और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के साथ सार्थक सहयोग करने की उनकी अनिच्छा ने उन्हें और अलग-थलग कर दिया है. विदेशी सरकारों को वैध आर्थिक गतिविधि और मानवीय सहायता सुचारू बनाने के लिए देश के बैंकिंग क्षेत्र पर लगे प्रतिबंधों में ढील देनी चाहिए, लेकिन तालिबान को भी अधिकारों का हनन ख़त्म करना चाहिए और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करनी चाहिए.

अब्बासी ने कहा, "तालिबान को चाहिए कि लड़कियों और महिलाओं को माध्यमिक विद्यालय स्तर की शिक्षा से महरूम करने के अपने खौफनाक और महिला विरोधी फैसले को तुरंत वापस ले. इससे यह संदेश जाएगा कि तालिबान अपनी सबसे निकृष्ट कार्रवाइयों पर पुनर्विचार के लिए तैयार है."

अनेक सरकारों ने लड़कियों की शिक्षा प्रतिबंधित करने के तालिबान के फैसले की निंदा की है  या आलोचना की है, जिनमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और जी-7 एवं जी-20 के लगभग सभी सदस्य शामिल हैं. किसी भी सरकार ने तालिबान के फैसले का बचाव करने या इसे सही ठहराने प्रयास नहीं किया है.

पिछले एक साल में, ह्यूमन राइट्स वॉच ने तालिबान द्वारा मानवाधिकारों के हनन पर कई मीडिया रिलीज़ और रिपोर्ट तैयार की हैं, और हाल ही में अफगानिस्तान के समग्र मानवीय और आर्थिक संकट से संबंधित प्रश्न और उत्तर के रूप में एक अद्यतन दस्तावेज़ जारी किया है, और इस संकट को दूर करने के लिए अनुशंसाएं भी की हैं. इनमें आम अफगानों को वैध वाणिज्यिक गतिविधि में अधिक प्रभावी ढंग से शिरकत करने की इजाज़त देने वाले समझौते पर  बातचीत के लिए अमेरिका और तालिबान का समर्थन करना शामिल है.

30 जुलाई को अमेरिकी हवाई हमले में अल-कायदा के नेता अयमान अल-जवाहरी की मौत हो गई, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि इस कार्रवाई ने अमेरिका और तालिबान के बीच जारी बातचीत को पटरी से उतार दिया हो. इन दोनों को देश का आर्थिक संकट दूर करने संबंधी समझौते को अंतिम रूप देने के लिए तत्परता दिखानी चाहिए.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि पूरे देश के बाजारों में भोजन और बुनियादी आपूर्ति उपलब्ध होने के बावजूद, पूरे अफगानिस्तान में जबरदस्त भुखमरी व्याप्त है. विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) की मूल्यांकन प्रणाली के मुताबिक लगभग 2 करोड़ लोग - आधी आबादी - या तो स्तर-3 "संकट" या स्तर-4 "आपातकालीन" खाद्य असुरक्षा स्तर में हैं. 5 साल से कम उम्र के दस लाख से अधिक बच्चे – खास तौर से भूख से मर रहे बच्चे – गंभीर कुपोषण के शिकार हैं. डब्ल्यूएफपी ने जून में बताया कि घोर प्रांत में दसियों हज़ार लोग "विनाशकारी" स्तर-5 के घातक कुपोषण की चपेट में हैं, जो अकाल का पूर्व संकेतक है.

कुल मिलाकर, अफगान लोग पिछले अगस्त से किसी-न-किसी प्रकार की खाद्य असुरक्षा की चपेट में हैं. वे पूरे दिन का भर पेट खुराक नहीं ले पा रहे हैं और बच्चों को काम पर भेजने के साथ-साथ भोजन का खर्च उठाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.

महिलाएं और लड़कियां इस आर्थिक प्रतिबंध से बेहिसाब तौर पर प्रभावित हुई हैं, जिन्हें सहायता और स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने में अधिकाधिक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि यदि संयुक्त राष्ट्र और अन्य सहायता प्रदाताओं ने 2022 में अपने कार्यों में पर्याप्त वृद्धि नहीं की तो मानवीय स्थिति और भी बदतर होगी.

अब्बासी ने कहा, "एक साल सत्ता में रहने के बाद, तालिबान नेताओं को चाहिए कि अपने द्वारा पैदा की गई तबाही को पहचान लें और इससे पहले कि और ज्यादा तादाद में अफगान इस संकट से पीड़ित हों और अधिक जानें चली जाएं, उन्हें अधिकारों के प्रति अपना रवैया बदलना चाहिए."

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