Skip to main content

भारत में लड़की के कथित बलात्कार और हत्या के विरोध में प्रदर्शन

सरकार को चाहिए कि यौन हिंसा से निपटे, न्याय सुनिश्चित करे

9 वर्षीय दलित लड़की के कथित बलात्कार और हत्या के विरोध में भारत के नई दिल्ली में 4 अगस्त, 2021 को कैंडललाइट मार्च निकालते कार्यकर्ता. © 2021 पंकज नांगिया/अनादोलु एजेंसी वाया गेटी इमेज

रविवार को 9 साल की एक दलित लड़की की हत्या के बाद, भारत की राजधानी दिल्ली में यौन हमलों के खिलाफ़ विरोध-प्रदर्शनों का नया सिलसिला शुरू हो गया है. मृतका के परिवार का आरोप है कि उनकी बच्ची के साथ तब बलात्कार किया गया और उसकी हत्या की गई जब वह दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में एक श्मशान घाट से पानी लाने गई थी. श्मशान घाट के पुजारी और तीन अन्य कर्मचारियों ने लड़की के माता-पिता को बताया कि वाटर कूलर से पानी पीने के दौरान उसे बिजली का झटका लगा था. उन्होंने मृतका के माता-पिता को इसके लिए राजी कर लिया कि वे पुलिस को सूचित किए बिना शव का अंतिम संस्कार कर दें. पुलिस ने पुजारी और तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया है और बलात्कार के आरोपों के साथ-साथ संभावित जातीय हिंसा की भी जांच कर रही है.

आनन्-फानन में दाह संस्कार किए जाने की वजह से मौत के कारणों की जांच कर रहे मेडिकल बोर्ड ने कथित तौर पर पुलिस को बताया कि शरीर के केवल जले हुए अवशेष बरामद होने के कारण वे आगे जांच करने में असमर्थ हैं.

सन् 2012 से ही लैंगिक हिंसा की घटनाओं पर देश भर में विरोध प्रदर्शन नियमित रूप से होते  रहे हैं, जब दिल्ली में एक बस में एक छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था और उसकी हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद कड़े कानून बनाए गए और नीतिगत सुधार हुए. हालांकि, सरकार बलात्कार संबंधी कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने में विफल रही है. अपराध संबंधी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 2019 में भारत में बलात्कार के 32 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए यानी लगभग हर 17 मिनट में बलात्कार की एक घटना हुई. भारत में बदले की कार्रवाई से मुकम्मल सुरक्षा के अभाव और साथ ही बलात्कार को लांछन मानने और इसकी रिपोर्ट दर्ज करने में निरंतर बाधाओं का मतलब है कि यह संख्या काफी अधिक होगी.

दलित जैसे हाशिए के समुदायों की लड़कियों और महिलाओं को ऐसी व्यवस्था से न्याय मिलने की बेहद कम उम्मीद रहती है जो जाति, पैसा और रसूख के आधार पर पक्षपात करती हो. ऐसे मामलों में, खासकर जब संदिग्ध प्रभावशाली जाति से होते हैं, पुलिस और राजनेता अक्सर पीड़िता और उसके परिवार को धमकी देकर या सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर जांच को विफल करने का प्रयास करते हैं. साल 2019 में दलितों के खिलाफ अपराधों में 7 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई, जिनमें बलात्कार के 3,486 मामले शामिल थे.

इस तरह के अपराधों के लिए दोषियों को सजा से बच जाने और पीड़ितों को ही दोषी ठहराए जाने से भारत में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा आम बात हो गई है. पिछले माह, गोवा के समुद्र तट पर कथित तौर पर दो लड़कियों से बलात्कार की घटना के बाद, राज्य के मुख्यमंत्री ने उनके माता-पिता से ही यह सवाल पूछा कि उनकी बेटियां देर रात बाहर क्यों थीं.

सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पुलिस, चिकित्सा पेशेवर और अदालतें यौन हिंसा के मामलों का निपटारा करने के लिए पूरी तरह संवेदनशील और प्रशिक्षित हों, वे यौन हिंसा की उत्तरजीवियों का सम्मान करें और उन्हें मुफ्त एवं पर्याप्त कानूनी सहायता तथा मुआवजा सहित कानूनी रूप से अनिवार्य सहायता उपलब्ध कराएं.

Your tax deductible gift can help stop human rights violations and save lives around the world.

Region / Country