Skip to main content

पाकिस्तान- प्राणघातक गोलीबारी की पूरी जांच की जाए

पथराव कर रहे आंदोलन कारियों पर खतरनाक बल प्रयोग किया

(न्यूयार्क, जून 18, 2014) - ह्यूमन राइट वॉच ने पाकिस्तान प्रशासन से पथराव कर रहे प्रदर्शनकारियों पर की गयी पुलिस फायरिंग की निष्पक्ष और न्यायिक जांच कराने को कहा है।

जून 17, 2014 को राजनैतक दल पाकिस्तान अवामी तहरीक (पीएटी) के प्रदर्शनकारियों पर लाहौर के मॉडल टाउन इलाके में उनके मुख्यालय के सामने सुरक्षा अवरोधक तोड़ने की पुलिस की कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन पर बिना किसी चेतावनी के गोली चलायी गयी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस फायरिंग में गोली लगने से कम से कम आठ पीएटी सदस्यों की मौत हो गयी। एक अन्य मीडिया के प्रत्यक्षदर्शी ने लाहौर के जिन्ना अस्पताल के स्टाफ के हवाले से बताया है कि 80 पीएटी सदस्य घायल हुए हैं जिनमें से 40 को गोली
के घाव हैं। अस्पताल के सूत्रों ने अपने दस्तावेजों में 17 पुलिस वालों को घायलों के रुप में दर्ज किया है। स्थनीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पंजाब के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।

ह्यूमन राइट वॉच के एशिया निदेशक ब्राड एडम्स ने कहा, “पाकिस्तानी अधिकारियों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि पथराव कर रहे प्रदर्शनकारियों पर सीधी गोलीबारी क्यों की गयी”। उन्होंने कहा, “आज लाहौर में बड़ी तादाद में लोग मृत और घायल पाए गए हैं और इनका कोई स्पष्ट कारण नजर नही आता है”।

राजनैतिक दल पीएटी के मुखिया मुस्लिम धर्मगुरु और विपक्षी नेता ताहिरुल कादरी हैं। स्थीनय सुरक्षा के लिहाज से पीएटी ने अपने मुख्यालय के सामने चार साल से भी ज्यादा समय पहले सुरक्षा अवरोधक खड़े किए थे। प्रेस में आयी खबरों के मुताबिक पीएटी ने सस्यों ने अवरोधक हटाने की पुलिस का कार्रवाई का विरोध करते हुए पथराव किया था। पुलिस ने इसके जवाब में आंसू गैस, लाठीचार्ज और रबर बुलेट चलाने के साथ ही आक्रामक राइफलों से गोलीबारी की। नियोजन व विकास मंत्री एहसान इकबाल को पलिस के घातक बल प्रयोग को जायज ठहराते हुए बताया गया है और उनका कहना है कि मुख्यालय के अंदर मौजूद अज्ञात लोगों ने विरोध के दौरान फायरिंग की जिससे कई अधिकारी जख्मी हो गए थे।

मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारी सोहेल अजीम ने न्यूजवीक को बताया कि पुलिस ने भीड़ पर केवल रबर की गोलियां चलायी थीं। बल एवं बंदूकों के प्रयोग संबंधी संयुक्त राष्ट्र के मूल प्रावधानों के मुताबिक सुरक्षा बलों को ऐसे मौकों पर अंतरर्राष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक जहां तक संभव हो सके बलप्रयोग से पहले प्रदर्शनकारियों पर अहिंसात्माक तौर तरीकों का ही प्रयोग करना चाहिए। अगर कानून सम्मत बल का प्रयोग किया जाना जरुरी हो तब भी प्रशासन को घटना की गंभीरता को देखते हुए संयम से काम लेते कम से कम बल प्रयोग करना चाहिए। जानलेवा बल का प्रयोग केवल ऐसे मामलों में ही किया जाए जहाँ किसी की जान को खतरा हो।

मूल सिद्धांतो के तहत मृत्यु अथवा गंभीर रुप से घायल हो जाने की दशा में उपयुक्त एजेंसियों को हालात की समीक्षा कर सक्षम अधिकारी अथवा अभियोजक के पास समूची घटना की विस्तृत रिपोर्ट भेजनी चाहिए। सरकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि मानमाने तरीके से बल प्रयोग या आज्ञनेय अस्त्रों का प्रयोग करने वाले अधिकारियों को अपराधिक मामले चला कर सजा दी जानी चाहिए। अनुचित तरीके से बल प्रयोग या आज्ञनेय अस्त्रों का प्रयोग करने वाले सुरक्षा कर्मियों को इस तरह का काम न करने से रोक पाने में सक्षम उच्च अधिकारियों को भी दोषी माना जाना चाहिए।

पीएटी प्रदर्शनकारियों पर की गयी पुलिस की कार्रवाई देश भर में विरोधियों के खिलाफ राजनीति से प्रेरित हमले और सुरक्षा एजेंसियों की की लापरवाही को दर्शाती है। पुलिस व अन्य सुरक्षा बल देश में यातना, दुर्व्यवहार, गैर कानूनी हत्याओं और गंभीर आपराधिक लापरवाहियों के लिए जिम्मेदार हैं।

एडम्स ने कहा, “पाकिस्तानी सुरक्षा बलों का नागरिकों पर अतिशय बल प्रयोग और बेपरवाही का इतिहास रहा है”। उन्होंने कहा, “लाहौर की फायरिंग की घटना की निष्पक्ष व पारदर्शी जांच सुरक्षा बलों के प्रति उपजे अविश्वास को रोकने के लिए बेहद जरुरी है”।

GIVING TUESDAY MATCH EXTENDED:

Did you miss Giving Tuesday? Our special 3X match has been EXTENDED through Friday at midnight. Your gift will now go three times further to help HRW investigate violations, expose what's happening on the ground and push for change.
Region / Country