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चीन--अधिवक्ता को रिहा करो, आरोपमुक्त करो

पू जीक्यिांग की आधिकारिक गिरफ्तारी कानून के राज के खिलाफ

(न्यू यार्क) मानवाधिकार संस्था, ह्यूमन राइट वॉच ने कहा है कि प्रमुख मानवाधिकार अधिवक्ता पू जीक्यिांग को तुरंत रिहा करते हुए उनको सभी आरोपों से मुक्त किया जाये। चीनी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पू को 13 जून 201 को अशांति फैलाने और गैरकानूनी तरीके से नागरिकों की निजी जानकारियां हासिल करने के आरोप में आधिकारिक तौर पर गिरफ्तार किया गया था। ह्यूमन राइट वॉच की चीन की निदेशक सोफिया रिचर्डसन के मुताबिक पू का अपराध का न्यायिक व्यवस्था के भीतर कानून का पालन सुनिश्चित करवाने से अधिक और कुछ भी नही है। उन्होंने कहा, “पू को गिरफ्तार करके राष्ट्रपति ज़ी ने कानून का शासन स्थापित करने की अपनी वचनबद्धता का उल्लंघन किया है और किसी ऐसे व्यक्ति के काम में बाधा पहुँचाई है जो कानूनी सुधार के प्रयासों का आलोचक था” ।

चीन में आशांति फैलाने के आरोप में 10 साल की कैद व नागरिकों की निजी जानकारियां हासिल करने के अपराध में तीन साल की कैद का प्रावधान है। इन दोनों आरोपों के सिद्ध हो जाने की दशा में पू को 13 साल की कैद हो सकती है। बीजिंग के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वह के अन्य अपराधों में शामिल होने की आशंकाओं की जांच कर रहे हैं। नेट पर जारी एक पोस्ट में पू के वकील ज्यिांग सिझी ने डर जताया है कि यह सजा लंबी हो सकती है। इन दोनों आरोपों का आधार अभी तक साफ नही हो पाया है।

थियेनान्मन नरसंहार पर 3 मई को बीजिंग में आयोजित एक छोटे से सेमिनार में हिस्सा लेने के बाद पू को एक दर्जन से ज्यादा कार्यकर्ताओं के साथ उनके घर से 4 मई की देर रात को गिरफ्तार कर लिया गया था। पू को अशांति फैलाने के आरोप में 6 मई को हिरासत में रखा गया। जबकि उसी आरोप में हिरासत में लिए गए चार अन्य व्यक्तियों को छोड़ दिया गया। पू को बीजिंग के सुधार गृह नंबर एक में रखा गया है। मधुमोह के शिकार पू को इंसुलिन की अतिरिक्त मात्रा और मधुमेह की दवाएं दी गयी और उन्हें एक बार अस्पताल ले जाया गया। मगर उनके वकील का कहना है कि पू से हर रोज 10 घंटे तक पूछताछ की गयी जिससे उनकी टांगें सूज गयीं।  पू के वकील ने उन्हें चिकित्सीय आधार पर छोडऩे की अर्जी दी जिसे अस्वीकार कर दिया गया। चीनी सुधार गृहों में केवल प्राथमिक उपचार की ही बेहतर व्यवस्था है। बीजिंग के कार्यकर्ता क्यो शुनिल की हिरासत के दौरान स्वास्थ्य बिगड़ने से मौत हो चुकी है।

वर्ष 1989 में हुए लोकतंत्र समर्थक आंदोलन में पू ने एक छात्र कार्यकर्ता की हैसियत से हिस्सा लिया था। थियेनान्मेन नरसंहार के बाद वह वकील बने और उन्होंने तीन साल तक बीजिंग ब्राडकास्टिंग इंस्टीट्यूट में कानून पढ़ाया। इस संस्थान को अब बीजिंग संचार विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है। आज उनकी गिनती चीन के प्रमुख वकीलों में होती है और उनका नाम चीन के मुख्यधारा के समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित होता है।  वर्ष 2013 में राज्य की ओर से प्रकाशित पत्रिका चाइना न्यूजवीक ने उनका चयन कानून के राज की स्थापना को प्रोत्साहित करने वाले सबसे प्रभावी व्यक्तियों की सूची में किया था। 

पू को यंत्रणादायी प्रशासनिक सुधार प्रणाली को खत्म करने के हिमायती के रुप में जाना जाता है जिसके तहत पुर्न शिक्षण के नाम पर बड़े मामलों में बंद लोगों से कठोर श्रम का काम लिया जाता है। पू को फरवरी 2013 में देश के ताकतवर सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री जाओं यांगकांग की सार्वजनिक आलोचना के लिए भी जाना जाता है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक जाओ को भ्रष्टाचार की गोपनीय जांच के चलते लंबे समय से सार्वजनिक जीवन में नही देखा जा रहा है।

यह पहली बार है जब पू को आपराधिक मामलों मे गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। पू को हाल के वर्षों में लगातार पुलिस की पूछताछ का सामना करना पड़ा है। पू को एक बार तब हिरासत में लिया गया था जब उन्होंने अक्टूबर 2010 में घोषणा की थी कि चीन के लेखक व कार्यकर्ता ली जियाबाओ को उस साल के नोबल शांति पुरस्कार दिया जा सकता है। 

मार्च 2013 में राष्ट्रपति जी जिनपिंग के सत्ता संभालने के बाद से सरकार ने नागरिक और राजनैतिक स्वतंत्रतता पर और भी प्रतिबंध लगा दिया है। इंटरनेट के प्रयोग पर सख्ती बरतते हुए वर्तमान सरकार ने ऑनलाइन अफवाह फैलाने, पोर्नोग्राफी के नाम पर, ऑनलाइन नेता चुनने, वीचैट को प्रतबंधित करने व शांतिपूर्ण ऑनलाइन अभिव्यक्ति पर पाबंदी लगा दी है। इस सरकार ने जन व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर दर्जनों उदारवादी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की है जिनमें नव नागरिक आंदोलन के संस्थापक जू जीयोंग और उइघर विद्वान इल्हाम तहोती शामिल हैं।

वकील लगातार राज्य के हमले का शिकार होते रहे हैं। मार्च 2014 में हेलांग जियांग प्रांत में अपने मुवक्किलों से मिलने की कोशिश कर रहे चार प्रमुख मानवाधिकार वकीलों को हिरासत में लेकर यातना दी गयी थी। थियेनान्मेन नरसंहार की 25 वीं बरसी से ठीक पहले मई में बड़ी तादाद में अपराधिक मामलों में कई वकीलों को हिरासत में लिया गया था।

अशांति फैलाने के आरोप में गुआंगडोंद प्रात से तांग जिंगलिंग को, शंघाई से ली सिहुई को तथा हेनान प्रातं से चांग वोयांग व जी लिंगलोंग को सार्वजनिक व्यवस्था बिगाड़ने के लिए भीड़ एकत्र करने के आरोप में हिरासत में लिया गया। इनमें से तांग, चांग और जी अभी भी हिरासत में हैं। इन वकीलों ने मानवाधिकार हनन के कई पीड़ितों की पैरवी की थी जिनमें जमीन की बेदखली और भेदभाव के मामले भी शामिल थे।

बीते सालों में सरकार ने जो कदम उठाए हैं वह मानवाधिकारों के खिलाफ उसके कड़े रुख को दर्शाता है।  मीडिया रिपोर्टों के आधार पर चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति ने दस्तावेज नं 9 जारी कर अपने कार्यकर्ताओं को सात प्रुख खतरों से लड़ने के निर्देश दिए हैं जिनमें वैश्विक मूल्य और सक्रियतावाद शामिल हैं।

पार्टी के केंद्रीय  संगठन विभाग, प्रोपेगंडा विभाग और शिक्षा मंत्रालय की पार्टी समिति ने इसी समय एक और दस्तावेज जारी कर विश्वद्यिालयों से नौजवान प्रवक्ताओं की वैचारिक शिक्षा को मजबूत किए जाने को कहा है। चीनी सरकार ने मुख्यधारा में काम कर रहे पत्रकारों को वैचारिक परीक्षा पास करने पर आधिकारिक प्रेस कार्ड रखने की इजाजत दी है।

रिचर्डसन ने कहा, “बीजिंग का पू, जू,तो हती और अन्य को कानूनी व्यवस्था को सुचारू रूप देने के संघर्ष में एक आवश्यक अंग न समझ कर ऐसा खतरा समझना जिन्हें खामोश किये जाने की जरूरत है, इस बात का मजबूत संकेत है कि पिछले वर्ष में स्थिति कितनी खराब हुई है।” उन्होंने कहा, “जब तक पू और अन्य की रिहाई नहीं होती, राष्ट्रपति ज़ी का कानूनी सुधार का दावा खोखला ही साबित होगा”.

 

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