Skip to main content

भारत- चुनाव पूर्व स्कूल-विद्यालयों को हिंसा मुक्त रखा जाए।

माओवादियों और सरकारी सैन्य बल स्कूलों को युद्ध क्षेत्र न बनाएं।

ह्यूमन राइट वॉच ने अपील की है कि माओवादी संगठन और भारतीय सुरक्षा बल बच्चों की सुरक्षा और उनके शिक्षा के अधिकार का आदर करते हुए अप्रैल और मई 2014 के चुनावों के कई सप्ताह पहले कम से कम विद्यालयों को युद्ध के मैदान में परिवर्तित न करें। नक्सलवादी के नाम से जाने जाने वाले माओवादियों को विद्यालयों पर हमला करना बंद कर देना चाहिए। सरकारी सुरक्षा बलों को भी बच्चों की जान जोखिम में न डालते हुए स्कूलों को बैरक अथवा आधार शिविर नही बनाना चाहिए।

हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक 21 मार्च को माओवादियों ने झारखंड राज्य के दो विद्यालयों पर हमला बोलते हुए परचे बांट कर गांववालों से चनावों का बहिष्कार करने का निर्देश जारी किया। वर्ष 2009 में संपन्न पिछले आम चुनावों के तीन महीने पहले माओवादियों ने विद्यालयों पर हमले की झड़ी लगा दी थी। इनमें से 14 हमले तो अकेले झारखंड और बिहार राज्य में हुए थे। पूर्व में भी बच्चो के शिक्षा के अधिकार में अतिक्रमण करते हुए चुनाव पूर्व सुरक्षा के मद्देनजर सुरक्षा बलों की तैनाती विद्यालयों में
की गयी थी।

ह्यूमन राइट वॉच में बाल अधिकार प्रभाग के उपनिदेशक बीड शेफर्ड के मुताबिक चुनावों से पहले माओवादियों ने विद्यालयों के खिलाफ हिंसा की गतिविधियां तेज कर दी हैं। माओवादियों और सरकारी सुरक्षा बलों को भारत के बच्चों के लिए शिक्षा के महत्व को समझना होगा और स्कूलों के नागरिक स्वरुप का आदर करना होगा जिसके अंतर्गत न इन पर हमले हो सकते हैं और न ही इनका सैन्यीकरण होना चाहिए।

भारत के उच्चतम न्यायालय ने 2010 में सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि किसी भी उद्देश्य के लिए विद्यालय भवनों को सैन्य या सुरक्षा बलों के कब्जे में न दिया जाए। इसके बाद भी हाल ही में जुलाई 2013 में ह्यूमन राइट वॉच ने बिहार के गया जिले के चोन्हा माध्यमिक विद्यालय में हथियारबंद राज्य पुलिस को काबिज पाया। वर्ष 2011 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने घोषणा की थी कि मे सैन्य संघर्ष के दौरान विद्यालयों पर हमला करने वाली सरकारों और सैन्य दस्तों को संघ के महासचिव
की बच्चों के खिलाफ हिंसा करने वाली‘लिस्ट ऑफ शेम’ में शामिल किया जाएगा।

सुरक्षा परिषद इन प्रावधानों का उल्लंघन करने वाली सरकारों तथा समूहों को हथियार आपूर्ति और यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही उनकी संपत्तियों पर रोक लगा सकती है।सुरक्षा परिषद इन मामलों को जांच व सजा के लिए अंतरर्राष्ट्रीय अपराध अदालत के पास भेज सकती है। अंतरर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के तहत सैन्य हमलों की परिधि में न आने वाले विद्यालयों पर किए जाने वाले हमले युद्ध अपराध की श्रेणी में आते हैं।

सुरक्षा परिषद ने सात, मार्च,2014 को कहा था कि सुरक्षा बलों का विद्यालयों का युद्ध के उद्देश्य से बैरक अथवा आधार शिविर के रुप में उपयोग बच्चों की सुरक्षा और उनकी शिक्षा के लिए खतरा हैं। सुरक्षा परिषद ने विद्यालयों के इस तरह के उपयोग की अंतरर्राष्ट्रीय निगरानी के दायरे में लाए जाने की वकालत की थी।

शेफर्ड ने कहा कि भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विद्यालयों पर हमले के दौरान बच्चों की शिक्षा बाधित न हो। उन्होंने कहा कि सरकार के पास ऐसी योजना होनी चाहिए जिससे इन परिस्थितियों में बच्चों को वैकल्पिक सुविधा और शिक्षा के लिए जरुरी उपकरण उपलब्ध कराए जाएं।

 

Make Your Gift Go Even Further

Make your year-end gift today and it will be multiplied to power Human Rights Watch’s investigations and advocacy as we head into 2026. Our exclusive match is only available until December 31.

Region / Country