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ईरान: खतरों से घिरे हिरासत में हजारों प्रदर्शनकारी और कार्यकर्ता

अनुचित सुनवाई; प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ऐसे आरोप जिनमें सजा-ए-मौत की आशंका

तेहरान में विरोध प्रदर्शन करते ईरानी, ईरान, 1 अक्टूबर, 2022.    © 2022 एपी फोटो/मिडिल ईस्ट इमेजेज

(बेरूत) - ह्यूमन राइट्स वॉच ने आज कहा कि ईरान के सरकारी तंत्र ने हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं के खिलाफ संदिग्ध राष्ट्रीय सुरक्षा आरोपों और पूरी तरह अनुचित सुनवाइयों के जरिए व्यापक असंतोष और विरोध-प्रदर्शनों के खिलाफ अपने हमले तेज कर दिए हैं. 31 अक्टूबर, 2022 को तेहरान प्रांत के न्यायपालिका प्रमुख ने कहा कि न्यायपालिका ने विरोध प्रदर्शनों के लिए गिरफ्तार लोगों के खिलाफ लगभग 1,000 अभियोग पत्र जारी किए हैं.

29 अक्टूबर को ईरान के खुफिया मंत्रालय और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के खुफिया संगठन ने हिरासत में ली गई दो महिला पत्रकारों पर अमेरिकी खुफिया एजेंसी समर्थित संस्थाओं के प्रशिक्षण में भाग लेने का आरोप लगाया. इन पत्रकारों - नीलोफ़र हमीदी और इलाहेह मोहम्मदी ने मोरैलिटी पुलिस की हिरासत में महसा (जीना) अमीनी की मौत, जिसके बाद व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए, के मामले में खबर की रिपोर्टिंग की थी. अधिकारियों ने अपने आरोप के समर्थन में कोई सबूत जारी नहीं किए हैं.

ह्यूमन राइट्स वॉच की वरिष्ठ ईरानी शोधकर्ता तारा सेपेहरी फ़ार ने कहा, "ईरान का शातिर सुरक्षा तंत्र हर मुमकिन रणनीति का इस्तेमाल कर रहा है, जिसमें प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक बल का इस्तेमाल, मानवाधिकार रक्षकों और पत्रकारों की गिरफ्तारी एवं उन्हें बदनाम करना और व्यापक असंतोष को कुचलने के लिए झूठे मुकदमे शामिल हैं. इसके बावजूद हर नया अत्याचार केवल इस बात की तसदीक करता है कि ईरान के लोग भ्रष्ट निरंकुश शासन में बुनियादी परिवर्तन की मांग क्यों कर रहे हैं."

प्रदर्शनकारियों और असंतुष्टों के खिलाफ अस्पष्ट रूप से परिभाषित राष्ट्रीय सुरक्षा आरोप लगाने  का ईरान का लंबा इतिहास रहा है जो कहीं से भी अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं. ईरान की ख़ुफ़िया एजेंसियां और सरकारी मीडिया संस्थान नियमित तौर पर कार्यकर्ताओं और असंतुष्टों के खिलाफ झूठे दावे करते हैं और इन्हें बढ़ावा देते हैं.

वालंटियर कमिटि टू फॉलो-अप ऑन द सिचुएशन ऑफ डीटेनीज के नाम से ख्यात ईरान के कार्यकर्ताओं के एक अनौपचारिक नेटवर्क ने कहा कि 30 अक्टूबर तक प्रदर्शनकारियों की व्यापक  गिरफ्तारी के अलावा, खुफिया एजेंसियों ने 130 मानवाधिकार रक्षकों, 38 महिला अधिकार रक्षकों, 36 राजनीतिक कार्यकर्ताओं, 19 वकीलों और 38 पत्रकारों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से अधिकांश फिलवक्त हिरासत में हैं.

नेटवर्क के अनुसार इनमें शामिल हैं: अलीरेज़ा खोशबख्त, ज़हरा तोहिदी, होदा तोहिदी, हुसैन रोनाघी, माजिद तवाकोली, बहरेह हेदयात, मिलाद फ़दाई असल, सबा शेरदूस्त, हुसैन मासूमी, यल्दा मोएरी, विदा रब्बानी, रौलोला नखेई, मोहम्मदरेज़ा जलेईपर, अमीरमद (जदी) मिरमिरानी, फतेमेह सेपेहरी, तौमज सालेही, मोजगन इनानलू, नेदा नाजी, मरज़ीह अमीरी, माजिद डोरी और अराश रमज़ानी.

इस समूह के अनुसार, अधिकारियों ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के 308 छात्रों और 44 बच्चों को भी गिरफ्तार किया है. बीते तीन हफ्तों में, सुरक्षा बलों ने बार-बार विश्वविद्यालय परिसरों में कार्रवाई करते हुए आंसू गैस सहित अत्यधिक बल का प्रयोग किया है और छात्रों को गिरफ्तार किया है. विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के कारण दर्जनों छात्रों के विश्वविद्यालय प्रवेश पर रोक लगा दी है.

अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शनों का समर्थन करने वाले निर्देशक, अभिनेता, गायक और फुटबॉल खिलाडियों समेत दर्जनों मशहूर हस्तियों को कथित तौर पर तलब किया है, उनसे पूछताछ की है या उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया है.

ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स न्यूज एजेंसी (एचआरएएनए) के अनुसार, 16 सितंबर से कम-से-कम 133 शहरों और 129 विश्वविद्यालयों के साथ-साथ कई माध्यमिक स्कूलों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं.

मानवाधिकार समूह 45 बच्चों सहित कम-से-कम ऐसे 284 लोगों की मौत की जांच कर रहे हैं जिनके बारे में जानकारी मिली है. सरकारी मीडिया के अनुसार, दर्जनों सुरक्षा बल भी कथित तौर पर मारे गए हैं. ह्यूमन राइट्स वॉच ने देश भर के 13 शहरों में आम तौर पर शांतिपूर्ण और अक्सर भारी भीड़ वाले प्रदर्शनों पर शॉटगन, असॉल्ट राइफल और हैंडगन सहित सुरक्षा बलों के अत्यधिक या घातक बल के गैरकानूनी इस्तेमाल संबंधी तथ्य और आंकड़े एकत्र किए हैं.

24 अक्टूबर को न्यायपालिका के प्रवक्ता मसूद सेतायशी ने मीडिया को बताया कि देश भर में मुकदमों की सुनवाई शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने तेहरान में 315 अभियुक्तों पर "सभा करने और राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ सांठ-गांठ करने," "राज्य के खिलाफ झूठा प्रचार करने," और "सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने" का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने चार लोगों पर खास ईरानी कानून "करप्शन ऑन अर्थ" के तहत आरोप लगाया है, जिसके तहत मौत की सजा हो सकती है. यह आरोप "लोगों को डराने के लिए हथियारों के उपयोग", "सुरक्षा अधिकारियों को घायल करने," "राष्ट्रीय सुरक्षा भंग करने के लिए सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति नष्ट करने" और "ईरान के इस्लामी गणराज्य के विरुद्ध युद्ध छेड़ने" के आधार पर लगाया गया है.

हम्शाहरी अखबार के मुताबिक, करमान प्रांत में 25, सेमनान में 89, जंजान में 118, खुज़ेस्तान में 105, काज़विन में 55, कुर्दिस्तान में 110 और अल्बोर्ज़ प्रांत में 201 लोगों को आरोपित किया गया है. सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत के न्यायपालिका के प्रमुख के अनुसार, वहां भी 45 अभियोग पत्र जारी किए गए हैं.

ईरानी अधिकारियों ने बंदियों को विभिन्न प्रकार की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक यातनाएं दी हैं और उनके साथ अन्य दुर्व्यवहार किए हैं. कुर्दिस्तान प्रांत में विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार की गई दो महिलाओं ने ह्यूमन राइट्स वॉच को बताया कि अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित किया, जिसमें उन्हें डंडों से पीटना, बिजली के झटके देना, यौन अत्याचार, मानसिक यातना और धमकी  शामिल हैं.

22 साल के मोहम्मद घोबाडलू और तीन अन्य लोगों पर 29 अक्टूबर को न्यायाधीश अबोलघसेम सलावती की अध्यक्षता वाली अदालत में "करप्शन ऑन अर्थ" कानून के तहत  आरोप लगाया गया. घोबाडलू के वकील अमीर रईसियन ने ट्विटर पर लिखा कि न्यायाधीश ने उन्हें या घोबाडलू के परिवार को मुकदमे के दौरान उपस्थित रहने की अनुमति नहीं दी. अभियोग पत्र के अनुसार, घोबाडलू पर कार दुर्घटना द्वारा एक सुरक्षा अधिकारी की हत्या और पांच अन्य को घायल करने का आरोप है, लेकिन रईसियन ने अभियोग और कानूनी परीक्षक की रिपोर्ट में विसंगतियों की ओर इशारा किया है.

सेपेहरी फ़ार ने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि विशेष रूप से हिरासत में लिए गए लोगों और मौत की सजा के खतरे का सामना कर रहे लोगों के बारे में सतर्क रहे. शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए गिरफ्तार सभी लोगों की बिना शर्त रिहाई और उन पर दर्ज झूठे मुकदमों की वापसी की मांग उनकी मुख्य प्राथमिकता होनी चाहिए."

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