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चीन: तिब्बत में बड़े पैमाने पर डीएनए संग्रह के नए सबूत

अनुचित नियंत्रण हेतु ग्रामीण इलाक़े और बच्चे निशाने पर

किंघाई प्रांत स्थित युशु नगरपालिका के ड्रिटो काउंटी के निवासियों से डीएनए नमूने एकत्र करती पुलिस ("झाहे पुलिस स्टेशन ने डीएनए रक्त नमूनों का संग्रह किया," झिदोई काउंटी सार्वजनिक सुरक्षा, वीचैट, 10 सितंबर, 2021)

(न्यूयॉर्क) – ह्यूमन राइट्स वॉच ने आज कहा कि चीन का सरकारी तंत्र तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के कई शहरों और गांवों के निवासियों का मनमाने ढंग से डीएनए एकत्र करने और  अन्य कार्रवाइयों के जरिए बड़े पैमाने पर अपना नियंत्रण बढ़ा रहा है.

उपलब्ध जानकारी के अनुसार लोग अपना डीएनए नमूना देने से इनकार नहीं कर सकते हैं और पुलिस को किसी भी व्यक्ति के आपराधिक आचरण के लिए भरोसेमंद साक्ष्य की ज़रूरत नहीं है. अप्रैल 2022 में ल्हासा नगरपालिका की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि डीएनए एकत्र करने के लिए किंडरगार्टन के बच्चों और अन्य स्थानीय निवासियों से व्यवस्थित रूप से खून के नमूने लिए जा रहे हैं. दिसंबर 2020 में किंघाई प्रांत की एक तिब्बती बस्ती से संबंधित एक रिपोर्ट में बताया गया कि 5 साल और इससे बड़े सभी लड़कों के डीएनए एकत्र किए जा रहे हैं.

ह्यूमन राइट्स वॉच की चीन निदेशक सोफी रिचर्डसन ने कहा, "चीन की सरकार पहले से ही तिब्बतियों का व्यापक दमन कर रही है. और अब सरकारी तंत्र अपनी निगरानी क्षमताएं सुदृढ़ करने के लिए बिना सहमति के उनके खून के नमूने ले रहा है."

यह सामूहिक डीएनए संग्रह टीएआर के सभी सात जिलों या नगरपालिकाओं में किया जा रहा है, जो तिब्बती पठार के पश्चिमी भाग का हिस्सा हैं. संग्रह अभियान चीन के सरकारी तंत्र द्वारा पूरे क्षेत्र में जमीनी स्तर पर पुलिस की उपस्थिति दर्ज करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा है. सार्वजनिक रूप से उपलब्ध साक्ष्यों के मुताबिक लोग इस संग्रह में शामिल होने से इनकार नहीं कर सकते हैं या पुलिस के पास किसी भी व्यक्ति के आपराधिक आचरण संबंधी विश्वसनीय सबूत नहीं है जो इस तरह के संग्रह को उचित ठहराते हों. ह्यूमन राइट्स वॉच ने जिन रिपोर्टों का अध्ययन किया, उनसे संकेत मिलता है कि अस्थायी निवासियों सहित इन क्षेत्रों के सभी निवासियों का डीएनए संग्रह किया जाएगा. प्राप्त रिपोर्ट्स के मुताबिक कोई निवासी किसी भी आधार पर नमूना देने से इनकार नहीं कर सकता है.

ह्यूमन राइट्स वॉच के पास ऐसी रिपोर्ट्स हैं जिनसे पता चलता है कि इस पूरे क्षेत्र में सात जिलों के 14 अलग-अलग इलाकों (1 जिला, 2 काउंटी, 2 शहरों, 2 कस्बों और 7 गांवों) में यह अभियान जारी है या शुरू किया जाना है. सरकारी अधिप्राप्ति दस्तावेजों से पता चलता है कि जुलाई 2019 में टीएआर पुलिस ने क्षेत्रीय स्तर के डीएनए डेटाबेस स्थापित करने हेतु ठेकेदारों से निविदाएं आमंत्रित की थीं, एक और संकेत यह है कि अधिकारी इलाकावार संग्रह अभियान की तैयारी कर रहे थे. नवंबर 2019 में, पुलिस ने टीएआर की एक जिला-स्तरीय इकाई, न्यिंग्त्री में भी एक क्षेत्रीय डीएनए डेटाबेस के निर्माण की घोषणा की थी.

सात क्षेत्रों में से एक, चमडो नगरपालिका में डीएनए संग्रह का उद्देश्य "सत्यापन में सुधार और भगोड़े व्यक्तियों को पकड़ने में मदद करना" बताया गया. क्षेत्र के अन्य इलाकों में भी, निवासियों को यह बताया गया कि सामान्य अपराध का पता लगाने के लिए डीएनए संग्रह जरूरी है. जैसा कि एक आधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया है, "सार्वजनिक सुरक्षा संस्थानों द्वारा विभिन्न अवैध मामलों का पता लगाने और अवैध एवं आपराधिक तत्वों पर प्रभावी रूप से नकेल कसने के लिए" सामूहिक संग्रह जरूरी है.

चीन से बाहर के शोधकर्ताओं ने 2020 में बताया था कि टीएआर में 2013 में बड़े पैमाने पर डीएनए संग्रह शुरू हुआ. ये दावे 2013 में टीएआर में शुरू हुए फिजिकल्स फॉर ऑल प्रोग्राम नामक एक सामूहिक स्वास्थ्य जांच योजना संबंधी आधिकारिक खबर पर आधारित थे. कार्यक्रम का घोषित लक्ष्य स्वास्थ्य सेवा में सुधार करना है, लेकिन ह्यूमन राइट्स वॉच को 2017 में प्राप्त एक आधिकारिक दस्तावेज़ के अनुसार, शिनजियांग में अधिकारियों ने इसका उपयोग गुप्त रूप से 12 से 65 वर्ष की आयु के निवासियों का सामूहिक रूप से डीएनए संग्रह के लिए किया. हालांकि, ह्यूमन राइट्स वॉच को ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है कि टीएआर के अधिकारियों ने डीएनए संग्रह के लिए ऐसे कार्यक्रमों का इस्तेमाल किया है.

चीन के अन्य क्षेत्रों की पुलिस भी 2010 से बड़े पैमाने पर डीएनए संग्रह कर रही है. लेकिन उपलब्ध सबूतों से पता चलता है कि इन प्रयासों को या तो आबादी के उन उप-समूहों तक सीमित कर दिया गया है जिसे पुलिस समस्याग्रस्त मानती है, जैसे कि प्रवासी, पूर्व कैदी, संदिग्ध आपराधिक व्यक्ति और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा "विशिष्ट कर्मियों" के रूप में वर्गीकृत अन्य सामाजिक समूह. 2017 से पूरे चीन में देश के सभी पुरुषों के अनुमानित 8.1 से 26.4 प्रतिशत आबादी का डीएनए एकत्र करने के लिए एक पुलिस कार्यक्रम चलाया जा रहा है.

लोगों को खून के नमूने देने के लिए मजबूर करना या बिना सूचित, सार्थक और स्वतंत्र सहमति या औचित्य के खून के नमूने लेना किसी व्यक्ति की निजता, गरिमा और शारीरिक अखंडता के अधिकार का उल्लंघन कर सकता है. यह कुछ परिस्थितियों में अपमानजनक व्यवहार भी हो सकता है. सुरक्षा व्यवस्था के लिए पूरे क्षेत्र या आबादी का जबरन डीएनए संग्रहण मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन है, इस मामले में इसे आवश्यक या उचित नहीं ठहराया जा सकता है.

चिकित्सा संबंधी जानकारी की गोपनीयता के सम्मान का अधिकार भी स्वास्थ्य के अधिकार का एक प्रमुख सिद्धांत है. आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र समिति (सीईएससीआर) ने राज्यों को सलाह दी है कि "[सभी] स्वास्थ्य सुविधाओं, सामग्रियों और सेवाओं को ... गोपनीयता का सम्मान करना चाहिए." हालांकि निजता का अधिकार चिकित्सा जानकारी संबंधी गोपनीयता के निरपेक्ष नियमों को स्थापित नहीं करता है, फिर भी हस्तक्षेप या गोपनीयता का उल्लंघन पुख्ता आधार पर होना चाहिए. इस मामले में यह नहीं दिखाई देता जहां  ऐसे संग्रह को नियमित रूप से पुलिस को साझा किया जाता है और अन्य एजेंसियों की आंकड़ों तक पहुंच है.

डीएनए की जानकारी अत्यधिक संवेदनशील होती है और बिना सहमति के इसे एकत्र या साझा करने से इनका कई प्रकार से दुरुपयोग हो सकता है. सरकार द्वारा जबरन संग्रह या उपयोग निजता के अधिकार का गंभीर उल्लंघन है. हालांकि सरकार द्वारा डीएनए संग्रह को कभी-कभी जरूरी जांच उपकरण के रूप में उचित ठहराया जाता है, फिर भी निजता के अधिकार में ऐसे  हस्तक्षेप का व्यापक रूप से नियमन होना चाहिए एवं ऐसा केवल विशिष्ट उद्देश्यों और समुचित सुरक्षा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किया जाना चाहिए.

फिर भी, चीन की सरकार के आंकड़ा संग्रह अभियान सभी लोगों के डीएनए की जानकारी एकत्र करते हैं, भले ही वे किसी भी तरह से आपराधिक जांच से जुड़े हों अथवा नहीं, और न ही वे डीएनए नमूना संग्रह के बारे में सूचित सहमति प्राप्त करते हैं या इसके बारे में कोई स्पष्टीकरण देना आवश्यक समझते हैं.

बच्चों की निजता उनकी सुरक्षा, सामर्थ्य और गरिमा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है, और बच्चे की निजता पर कोई भी प्रतिबंध केवल तभी स्वीकार्य होता है जब वह वैधता, आवश्यकता और आनुपातिकता के मानकों को पूरा करता हो.

आनुवंशिक जानकारी का संग्रह, प्रसंस्करण और उपयोग बच्चों की निजता संबंधी खतरों को बढ़ा देते हैं. डीएनए में अत्यधिक संवेदनशील जानकारी होती है जो एक बच्चे, उनके परिवार के सदस्यों और विरासत में मिली उन चिकित्सा स्थितियों की विशिष्ट और स्थायी तरीके से पहचान करती है और यह विकलांगता और प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है. इस आंकड़े का इस्तेमाल और इसका खुलासा "बच्चों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकते हैं जो बाद में भी उनके जीवन पर प्रभाव डाल सकते हैं."

बच्चों से उनकी सूचित, सार्थक और स्वतंत्र सहमति के बिना उनका या उनके देखभालकर्ताओं  का सरकार द्वारा डीएनए संग्रह और शैक्षिक परिवेश, जहां वे सही मायने में अपना व्यक्तिगत स्वास्थ्य आंकड़ा प्रदान करने से इनकार नहीं कर सकते, में ऐसा संग्रह बच्चों की निजता का उल्लंघन है. इसके अलावा, सरकार द्वारा इस आकंडा संग्रह का घोषित उपयोग - अपराध का अनुसंधान - बच्चे के सर्वोत्तम हित के लिए उपयुक्त, वैध और उचित नहीं हैं.

यह बताया गया है इन गांवों में जारी डीएनए संग्रह जनवरी 2022 में इस क्षेत्र में चीन की सरकार द्वारा "द थ्री ग्रेट्स" (तीन महान कार्य) नामक अभियान का हिस्सा है. पूरे क्षेत्र के सात क्षेत्रों - ल्होद्रक (ल्होखा), ग्यात्सा (ल्होखा), नेदोंग (ल्होखा), चोंगये (ल्होखा), चुशुल (ल्हासा), ल्हासा शहर (ल्हासा), और बेई (न्यिंगत्री) - की आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट्स इस अभियान को "जमीनी स्तर पर सामाजिक शासन प्रणाली को मजबूत करने" के लिए जारी प्रयासों का हिस्सा बताती हैं, ऐसा मुख्य रूप से ग्रामीण स्तर पर पुलिस उपस्थिति बढ़ा कर किया जा रहा है, जो पहले केवल शहर के रूप में निर्दिष्ट प्रशासनिक केंद्रों तक ही विस्तारित था (च.: जियांग).

"द थ्री ग्रेट्स" को विस्तारित रूप में "प्रत्येक का महान निरीक्षण, (दा जू फेंग) महान जांच (दा दियायो यान) और महान मध्यस्थता" (दा हुआ जी) के रूप में जाना जाता है. इस अभियान के तहत नए स्थापित ग्रामीण पुलिस स्टेशनों या आस-पास के शहरी पुलिस स्टेशनों (पाइचुसुओ) में तैनात पुलिस घर-घर जाकर निवासियों से उनके विचार पूछती है. दक्षिणी तिब्बत के एक काउंटी ल्होद्रक में 'द थ्री ग्रेट्स' अभियान चला रही पुलिस से कहा गया कि "गांव में जाएं और [प्रत्येक] घर में प्रवेश करें ताकि सच्चाई का पता लगाने के लिए गहन जांच की जा सके."

रिचर्डसन ने कहा, "वास्तव में तिब्बती लोगों के लिए तीन 'महान' कार्य का मतलब होना चाहिए  - खौफ पैदा करने वाले इन उल्लंघनों को तत्काल रोकना और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की जांच करना एवं उन पर मुकदमा चलाना."

अतिरिक्त जानकारी केलिए नीचे देखें

 

तिब्बत में डीएनए संग्रह अभियान

आधिकारिक मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, निर्धारित क्षेत्र के निवासियों का डीएनए एकत्र करने का अभियान 2019 से चलाया जा रहा है.

  • मई 2019 से, टीएआर की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, टीएआर के सात जिला स्तरीय प्रशासनों में से एक, चमडो नगरपालिका में पुलिस ने विभिन्न प्रकार के बुनियादी आंकड़ों और सूचनाओं का एक साल तक संग्रह किया और नगरपालिका की पूरी आबादी के उंगलियों के निशान और डीएनए नमूने का डेटाबेस तैयार किया.

मई 2019 की चमडो नगरपालिका की रिपोर्ट बताती है कि पूरी आबादी का डीएनए एकत्र किया जाना था, और इसके मुताबिक पुलिस से कहा गया कि "[एक] भी गांव या मठ न छूटे और न ही कोई घर या व्यक्ति छूटना चाहिए." मई 2019 तक, चमडो में 3,737 पुलिस ने नगरपालिका के कम-से-कम 5,24,500 लोगों (69 प्रतिशत आबादी) का आंकड़ा एकत्र किया था. नतीजतन, उन्होंने आंकड़ों से "1,500 सुराग" इकट्ठे किए; जिसकी मदद से उन्होंने विशेष रूप से 'गैंगस्टरों का सफाया, बुराई का खात्मा और अराजकता के खिलाफ लड़ाई' के विशेष अभियान के जरिए "विभिन्न किस्म के 26 भगोड़ों को गिरफ्तार किया."

ल्होखा नगरपालिका में पुलिस ने दिसंबर 2021 की शुरुआत से जनवरी 2022 के अंत तक "द थ्री ग्रेट्स" अभियान के तहत "बुनियादी जानकारी" और डीएनए नमूने एकत्र किए. इस नगरपालिका के चोंगगी काउंटी से संबंधित एक पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि "किसी कस्बे का कोई गांव नहीं छूटना चाहिए, किसी गांव का कोई घर नहीं छूटना चाहिए और किसी घर का कोई भी व्यक्ति नहीं छूटना चाहिए." अप्रैल 2022 में, नागचू के न्यिमा काउंटी पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों ने काउंटी के बाहर काम करने वालों को छोड़कर लगभग सभी निवासियों का डीएनए एकत्र कर लिया है.

ह्यूमन राइट्स वॉच द्वारा देखी गई अन्य आधिकारिक रिपोर्ट में टीएआर के बाहर के तिब्बती क्षेत्रों में भी डीएनए संग्रह अभियान का जिक्र है. इनमें से किंघाई क्षेत्र के वर्ष 2021 के केवल दो इलाकों की रिपोर्ट - गोलोक जिला के मेंटांग और युशू नगरपालिका के ड्रिटो  - से यह संकेत मिलता है कि उन क्षेत्रों के सभी निवासियों से डीएनए एकत्र किया जा रहा था. किंघाई के गोलोक और हैनन जिला एवं सिचुआन प्रांत के बाथांग काउंटी में तिब्बती आबादी वाले शहर या कस्बों से संबंधित छह अन्य रिपोर्ट केवल पुरुषों के डीएनए संग्रह का विवरण प्रस्तुत करती हैं, जैसा कि चीन के अन्य हिस्सों में किया जाता है.

कई रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि कुछ डीएनए संग्रह अभियान में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शामिल किया गया है. गोलोक जिला के जिया दावू शहर में, पुलिस ने दिसंबर 2020 में 5 से 60 आयु के बीच के सभी पुरुषों से डीएनए एकत्र करने घोषणा की, हालांकि उस वर्ष की शुरुआत में न्यूनतम आयु 16 वर्ष निर्धारित की गई थी. अप्रैल 2021 के गोलोक के किंगझेंग शहर की एक रिपोर्ट की तस्वीरों में पुलिस प्राथमिक विद्यालय की पहली कक्षा के छात्रों से डीएनए एकत्र करती दिखाई देती है.

रिपोर्ट में ऐसे किसी साक्ष्य का विवरण नहीं है कि बच्चों या उनके देखभालकर्ताओं ने अपने डीएनए नमूने लिए जाने की सहमति दी. उदाहरण के लिए, किंगझेंग रिपोर्ट के अनुसार  स्थानीय सहायक पुलिस ने बच्चों को उनके डीएनए एकत्र करने के कारणों के बारे में "धैर्यपूर्वक समझाया" और "उपस्थित लोगों के भ्रम और संदेह तुरंत दूर कर दिए."

टीएआर में ल्हासा नगरपालिका के न्येमो काउंटी के किंडरगार्टन्स में डीएनए संग्रह अभियान संबंधी अप्रैल 2022 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने "सार्वजनिक सुरक्षा संस्थानों द्वारा एकत्र डीएनए नमूनों की आवश्यकता और महत्व" के बारे में विस्तार से बताया और इस तरह "जनता की शंकाओं और चिंताओं को तुरंत दूर कर दिया एवं एकत्रित लोगों का समर्थन और सहमति हासिल की." न्येमो में एक अन्य किंडरगार्टन में, रिपोर्ट बताती है, "स्कूल के शिक्षकों और छात्रों ने पुलिस के इस कार्य का समर्थन किया और अपनी सहमति दी." इन रिपोर्टों में इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि सहमति प्रक्रिया में माता-पिता शामिल थे.

उपलब्ध सबूत बताते हैं कि टीएआर में 2019 से पहले, पुलिस द्वारा डीएनए संग्रह आबादी के कुछ उप-समूहों पर भी केंद्रित था. मिसाल के लिए, जुलाई 2015 में, ल्हासा में पुलिस ने संभावित संदिग्धों से एकत्र डीएनए की जांच के लिए 10 मिलियन युआन (1.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की लागत से फोरेंसिक उद्देश्यों के लिए डीएनए जांच और पहचान डेटाबेस की खरीद की घोषणा की. इसके पहले मार्च 2018 में, पुलिस ने ल्हासा के तकत्से काउंटी के एक गांव से क्षेत्र के तमाम प्रवासी श्रमिकों का डीएनए एकत्र किया, लेकिन तब सभी पंजीकृत निवासियों से नमूने नहीं लिए गए थे. क्षेत्र में किए गए पिछले सरकारी प्रयासों के मुकाबले 2019 के बाद टीएआर में सामूहिक डीएनए संग्रह अभियान में बड़े पैमाने पर ऐसी जानकारी एकत्र की जा रही है.

तिब्बत के इलाकों के प्रत्येक निवासी का डीएनए संग्रह न केवल सहमति या गोपनीयता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है; बल्कि यह सरकार को जनसंख्या का बारीकी से प्रबंधन के ज्यादा मौके प्रदान करता है. चूंकि इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति से संपर्क और उनका पंजीकरण आवश्यक होता है, इसलिए यह चीनी अधिकारियों को निर्दिष्ट क्षेत्र में सभी लोगों की पहचान करने, सूची तैयार करने तथा उनकी निगरानी करने का अवसर देता है.

यह सही है कि इस तरह के संग्रह चीन के अन्य हिस्सों में चुनिंदा रूप से किए जाते हैं, लेकिन टीएआर और शिनजियांग के अनेक क्षेत्रों, और संभवतः अधिकांश क्षेत्रों में ऐसा व्यापक संग्रह यह दर्शाता है कि सरकारी तंत्र इन दो क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर आंकड़ा संग्रह और निगरानी क्षमता बढ़ाने की विशेष आवश्यकता महसूस करता है. तिब्बत में बड़े पैमाने पर डीएनए संग्रह, पूर्व में विशेष रूप से "द थ्री ग्रेट्स" अभियान और ग्रामीण-स्तर पर पुलिस पहल के माध्यम से,  व्यापक निगरानी और पुलिस की बढ़ती उपस्थिति का तार्किक विस्तार है. इसके प्रमुख तत्व नीचे दिए गए हैं.

'द थ्री ग्रेट्स' अभियान

तिब्बत में डीएनए संग्रह अभियान कुछ क्षेत्रों में जारी "थ्री ग्रेट्स अभियान" के साथ-साथ चलाया जा रहा है. दोनों के तहत एक गांव के प्रत्येक व्यक्ति का आंकड़ा संग्रह किया जाता है.

टीएआर के ग्यात्सा काउंटी और बेई शहर की आधिकारिक मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, थ्री ग्रेट्स अभियान में शामिल पुलिस को "एक घर, एक दस्तावेज" या "घर का एक सदस्य, एक पुलिसकर्मी" का उसूल लागू करना होता है, जिसका अर्थ है कि एक नामित पुलिस अधिकारी प्रत्येक घर और प्रत्येक व्यक्ति से संबंधित जानकारी संकलित करने के लिए जिम्मेदार होता है.

सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो की रिपोर्टें व्यक्तिगत सोच और राय के बारे में जानकारी संग्रह को "प्रत्यक्ष पुलिस-नागरिक संबंध स्थापित करने" और "सूचना तंत्र के विस्तार" के रूप में प्रस्तुत करती हैं. सरकार का कहना है कि जानकारी का उद्देश्य सेवाओं में सुधार करना है, जैसे निवासियों को ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने की सलाह देना या मदद की जरुरत वाले बुजुर्गों को सूचीबद्ध करना.

लगभग सभी रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि इसका प्राथमिक उद्देश्य अधिकारियों द्वारा ऐसे विवादों की पहचान करना है जिन्हें वे हल कर सकते हैं (थ्री ग्रेट में से तीसरा: "महान मध्यस्थता"). वर्ष 2018 से ही, चीनी सरकार ने सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों को छोड़कर अन्य किसी को भी अनौपचारिक विवाद की मध्यस्थता करने से प्रतिबंधित कर दिया है. पहले यह मध्यस्थता लामाओं, गांव के बुजुर्गों या स्थानीय रूप से सम्मानित अन्य व्यक्तियों  द्वारा आम तौर पर संपन्न किया जानेवाला तिब्बत का एक महत्वपूर्ण नागरिक कार्य था.

सुरक्षा एजेंसियां ​​स्थानीय विवादों को अशांति का संभावित कारण मानती हैं और व्यवहार में, "विवादों" को हल करने और "जनता की राय और सुझाव" एकत्र करने का उद्देश्य जनता में व्याप्त असंतोष की पहचान करना और उसे दबाना प्रतीत होता है. उदाहरण के लिए, दक्षिणी तिब्बत के ल्होद्रक काउंटी की एक रिपोर्ट बताती है कि पुलिस को "उजाड़ने और पुनर्वासित करने" के बारे में व्यक्तिगत राय पूछनी चाहिए. ऐसा लगता है कि यह कार्यवाही पुनर्वास संबंधी स्थानीय प्रतिरोध की पहचान करने से संबंधित है.

ल्होद्रक के हजारों ग्रामीणों को सुदूर सीमावर्ती स्थानों में बसाया जा रहा है और कुछ आधिकारिक रिपोर्टों के मुताबिक ये ग्रामीण वर्षों के सघन प्रयासों के बाद इस पर सहमत हुए हैं. चीनी अधिकारी ग्रामीणों को उनके मूल आवास स्थलों पर लौटने से रोकने के लिए व्यापक उपाय करते हैं और कानून के अनुसार पुनर्वासित ग्रामीणों की वापसी रोकने के लिए उनके पुराने घरों को ध्वस्त करना अधिकारियों को जिम्मेदारी है.

स्थानीय स्तर पर पुलिस की उपस्थिति में बढ़ोतरी और गृह भ्रमण की कवायद राष्ट्रव्यापी तौर पर जारी अभियान "फेंगकियाओ" या "मेपल ब्रिज एक्सपीरियंस" का हिस्सा है. यह माओवादी युग के एक सामाजिक नियंत्रण प्रयोग से प्रेरित है जिसमें स्थानीय निवासियों को पुलिस को जानकारी और सहायता प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था. "फेंगकियाओ" अभियान, थ्री ग्रेट्स की तरह, सार्वजनिक व्यवस्था के रूप में प्रस्तुत किया जाता है जिसमें इस बात पर जोर दिया जाता है कि स्थानीय विवादों की मध्यस्थता केवल पुलिस और स्थानीय अधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए.

जैसा कि इस अभियान का नारा है - "छोटे-बड़े तमाम मामलों को गांव तक रखें, विवादों को उच्च स्तर पर जाने न दें" - सरकार का मकसद है, दूसरों के बारे में स्थानीय निवासियों से जानकारी लेकर उन्हें पुलिस का सहयोगी बनाना और स्थानीय लोगों को अपनी शिकायतों को उच्च अधिकारियों तक ले जाने से रोकना और अन्य समुदायों में असंतोष के फैलाव पर नियंत्रण करना.

वर्तमान अभियान के अन्य घोषित उद्देश्य हैं, "सामाजिक स्थिरता के लिए छिपे हुए खतरों का खात्मा" और "प्रमुख व्यक्तियों के बारे में जानकारी संग्रह और प्रबंधन को मजबूत करना". "प्रमुख व्यक्ति" या "निर्दिष्ट कर्मी" (ज़ोंगडियन रेनयुआन) जैसे शब्द ऐसे व्यक्तियों या व्यक्तियों के किस्म के लिए हैं जिन्हें मनमाने ढंग से स्थिरता के लिए संभावित खतरा माना जाता है और सार्वजनिक सुरक्षा संस्थानों द्वारा नियंत्रित किया जाता है.

सिचुआन प्रांत के कांज़े (च.: गांज़ी) तिब्बती स्वायत्त जिले में इसी तरह के एक अभियान में  ऐसी पुलिस चौकियां शुरू की गई हैं जहां पूर्णकालिक सहायक कर्मी तैनात रहते हैं. इन वर्दीधारी सहायकों से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे आंकड़े एकत्र करने के लिए गृह भ्रमण करें और विवादों में मध्यस्थता करें और निरंतर संपर्क, आमने-सामने के संपर्क और ग्रामीण वीचैट समूहों  के माध्यम से "जनता से घनिष्ठ निकटता" बनाएं. कांज़े जिले के सेरशुल (च.: शिकू) काउंटी में आधिकारिक मीडिया गांव में चलाए जा रहे पुलिस अभियान को "माइक्रो पुलिस और ग्रामीण पुलिस" की पहल बताता है.

आधिकारिक रिपोर्ट्स में इस पर जोर दिया गया है कि इस पहल के तहत इन गांवों में तैनात सहायक कर्मी ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए सार्वजनिक शिक्षा प्रदान करते हैं. निर्वासन निगरानी संगठनों के शोधकर्ताओं के अनुसार, हालांकि, सेरशुल में पुलिस ने 2021 में 117 तिब्बतियों को गैर-न्यायिक तरीके से पुनर्शिक्षा शिविरों में हफ्तों तक हिरासत में रखा, जब अधिकारियों के दावों के मुताबिक उनके फोन की जांच में प्रतिबंधित सामग्री मिली. ह्यूमन राइट्स वॉच ने उन हालिया निर्वासन मीडिया रिपोर्टों की पुष्टि की है कि जिसमें टीएआर के नागचू (च.: नैकू) नगरपालिका के ग्रामीण इलाकों में स्थानीय पुलिस द्वारा प्रतिबंधित सामग्री और तस्वीरों के लिए मोबाइल फोन की सुव्यवस्थित जांच का जिक्र है.

ग्रामीण पुलिसिंग

पूर्व नेता हू जिंताओ द्वारा शुरू और शी जिनपिंग द्वारा विस्तारपूर्वक प्रस्तुत, "सामाजिक प्रबंधन" दृष्टि के तहत सरकारी तंत्र ने स्थानीय स्तर की पुलिस कार्रवाइयों को आमतौर पर "जमीनी प्रशासन" या बेहतर सेवा प्रदान करने के नाम पर तेज कर दिया है. टीएआर में, वर्तमान प्रक्रिया 2011 में शुरू हुई, जब राजनीतिक शिक्षा एवं सामाजिक सेवाएं प्रदान करने और अन्य कार्यों के लिए कैडरों की टीम को क्षेत्र के हर गांव में रहने के लिए भेजा गया था.

मई 2012 में, ब्लॉक स्तर पर उन्नत सुरक्षा प्रबंधन के लिए शहर के पड़ोस के पूरे क्षेत्र (चीन में जिन्हें "कम्युनिटीज" के रूप में जाना जाता है) में "ग्रिड प्रबंधन" और तकनीक आधारित अन्य शहरी पड़ोस निगरानी और निवारक पुलिसिंग व्यवस्थित रूप से शुरू की गई थी. मई 2013 में, टीएआर में सभी घरों को उन्नत दोहरे संपर्क परिवार (च.: शुंग्लींहू) के रूप में जानी जाने वाली इकाइयों में संगठित किया गया था, जिनमें प्रत्येक में 5 से 10 घर शामिल थे. इनका नेतृत्व हुज़हांग या घर के मुखिया के हाथों में था जो प्रत्येक इकाई के राजनीतिक अनुपालन एवं जरूरी सेवाओं के लिए पड़ोस या गांव के अधिकारियों के साथ संपर्क करने के लिए जिम्मेदार थे.

इस दौर में, तिब्बत के ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस थाने गांवों में नहीं, कस्बों में स्थित थे. अक्टूबर 2015 में किंघाई प्रांत में यह स्थिति बदल गई, जब किंघाई प्रांत के आधिकारिक मीडिया में यह घोषणा सामने आई कि 5,000 से अधिक पुलिस अधिकारियों - किंघाई पुलिस बल का करीब 10 से 20 प्रतिशत हिस्सा - को दो वर्षों तक सेवाएं देने के लिए गांवों में स्थानांतरित किया जाएगा. एक माह बाद, नवंबर 2015 में, किंघाई में 4,530 नए रंगरूटों ने "ग्रामीण पुलिस" का प्रशिक्षण प्राप्त करना शुरू किया. सरकारी मीडिया ने बताया कि वे "सामाजिक स्थिरता के निवारक नियंत्रण, अपराध की रोकथाम, सोशल मीडिया और इंटरनेट संदेशों की निगरानी, ​​वास्तविक आबादी की जानकारी और प्रबंधन" जैसे काम करेंगे.

उसी महीने, किंघाई के अधिकारियों ने घोषणा की कि गोलोक दारलाक और ज़ुन्हुआ काउंटियों में "बुनियादी स्थिरता के निर्माण को मजबूत करने" के लिए जारी आरंभिक परियोजनाओं का पूरे प्रांत में विस्तार किया जाएगा. "सामाजिक स्थिरता हेतु त्रि-आयामी नियंत्रण प्रणाली" के अंग के रूप में "सुरक्षा प्रकोष्ठों की स्थापना और निर्माण" का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. यह व्यवस्था किंघाई प्रांत की राजनीति और कानून समिति के प्रमुख झांग गोंगरोंग द्वारा "अस्थिरता के खतरे को सख्ती से खत्म करने" के लिए "जमीनी स्तर पर पुलिस और ग्रामीण पुलिस की क्षमता" को बढ़ाने के आह्वान का हिस्सा थी.

जुलाई 2020 तक ग्रामीण पुलिस स्टेशन टीएआर में दिखाई देने लगे, जब आरंभिक योजना के रूप में ल्हासा के पास के एक काउंटी चुशुल के 20 प्रशासनिक गांवों में से 17 में पहला फेंगकियाओ पुलिस स्टेशन स्थापित किया गया. तब से, रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि शिगात्से और चमडो समेत टीएआर के अन्य क्षेत्रों में भी ग्रामीण पुलिस स्टेशन स्थापित किए गए हैं.  तिब्बत की दक्षिणी सीमाओं के पास जैसे कि ल्हुंटसे काउंटी का त्सारी, ड्रोंगबा काउंटी का नागचू और गाम्बा काउंटी का रुओमोक्सिन में नए बसे गांवों में भी कई ग्रामीण पुलिस स्टेशन स्थापित किए गए हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर पुलिस की सघन उपस्थिति और गतिविधियों का मकसद शहरी क्षेत्रों में हासिल निगरानी क्षमता को उन समुदायों तक विस्तारित करना प्रतीत होता है जहां अधिकांश तिब्बती अभी भी रहते हैं और यह वर्तमान विकास नीतियों के तहत व्यापक राजकीय  हस्तक्षेप का हिस्सा है. यह सरकार द्वारा "जमीनी स्तर पर शासन" और "कानून के शासन" को बढ़ावा देने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जिसमें वास्तव में नागरिक समाज समूहों और ग्राम स्तरीय नेताओं को, खास तौर से सरकारी स्तर के भ्रष्टाचार और पर्यावरण नुकसान का स्थानीय स्तर पर विरोध या तिब्बती भाषा का प्रचार करने वालों को निशाना बनाया जाता है.

2018-21 के "आपराधिक-गिरोह-विरोधी" अभियान में इस दृष्टि की पुष्टि की गई, जिसमें  सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं को "अंडरवर्ल्ड ताकतों" के रूप में निशाना बनाया गया. तब से उस अभियान को सभी स्तरों पर सार्वजनिक सुरक्षा कार्य का नियमित हिस्सा बना दिया गया है. बेई कू, न्यिंगत्री (च.: लिंझी) नगरपालिका के मुख्य शहर के आपराधिक-गिरोह-विरोधी अभियान मुख्यालय की एक टीम के कार्य संबंधी रिपोर्ट के मुताबिक "गहन पूछताछ के लिए जमीनी स्तर पर काम करना और गृह भ्रमण" इस वर्ष किए गए चार कार्यों में से पहला महत्वपूर्ण कार्य था.

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