Skip to main content

भारत में महिला का सामूहिक बलात्कार और हत्या

महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानूनों पर अमल करें

भारत के अहमदाबाद में 2 दिसंबर, 2019 को हुए एक विरोध प्रदर्शन में बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बढ़ते मामलों के खिलाफ़ नारे लगाते लोग. © 2019 एपी फोटो/अजीत सोलंकी
 
भारत के हैदराबाद शहर में 27-वर्षीया पशु चिकित्सक ने अपने परिवार को फ़ोन कर बताया कि वह टायर पंक्चर होने के कारण रास्ते में फंसी हुई है और एक ट्रक चालक तथा उसके दोस्तों ने मदद की पेशकश की है.
 
फिर उसने फोन कॉल्स का जवाब देना बंद कर दिया. बाद में उसके परिवार को पता चला कि उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर हत्या कर दी गई.
 
पिछले बुधवार को हुई इस हत्या के बाद सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन और त्वरित न्याय की मांग को लेकर आन्दोलनों का दौर शुरू हो गया है. तेलंगाना के पुलिस अधिकारियों ने “मदद” के लिए महिला को कथित तौर पर रोकने वाले चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.
 
राज्य के गृह मंत्री, जिन पर कानून लागू करवाने की जिम्मेदारी है, ने पीड़िता को दोषी ठहराया  कि उसने पुलिस के बजाय अपनी बहन को फ़ोन किया. ऐसा नहीं है कि इससे फर्क पड़ता. उसके परिवार ने बताया कि जब उन्होंने उस रात गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करने की कोशिश की, तो पुलिस ने कहा कि वह किसी के साथ भाग गई होगी.
 
जब सार्वजनिक स्तर पर और मीडिया में आक्रोश प्रकट हुआ, तब जाकर शिकायत दर्ज करने में देरी के लिए तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया गया.
 
यह सब घटनाएं भयावह स्मृतियों को कुरेदती हैं. भारतीय अखबारों में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ वीभत्स हिंसा और न्याय के तदन्तर अभाव से जुड़ी ख़बरें आए दिन छपती रहती  हैं. 2012 में दिल्ली में 23-वर्षीय मेडिकल छात्रा ज्योति सिंह के सामूहिक बलात्कार और हत्या को लेकर देशव्यापी विरोध के बाद भारत सरकार ने महत्वपूर्ण कानूनी सुधार लागू किए. हालांकि, जैसा कि ह्यूमन राइट्स वॉच ने पाया है, ये बदलाव काफी हद तक कागज पर हैं. यौन हिंसा उत्तरजीवियों को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करने से लेकर स्वास्थ्य देखभाल, परामर्श और कानूनी सहायता हासिल करने में भारी अवरोधों का सामना करना पड़ता है. ताकतवर  अपराधियों को अक्सर सरकारी तंत्र का संरक्षण मिलता है. साथ ही, दिनोंदिन, पीड़ित और अपराधी के धर्म को लेकर धार्मिक पूर्वाग्रह भड़काये जा रहे हैं.
 
भारत सरकार के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल के मुकाबले 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 6 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. पुलिस ने बलात्कार के 33,658 मामले -  हर दिन औसतन 92 मामले दर्ज किए हैं.
 
महिलाओं और लड़कियों को सम्मानपूर्ण और हिंसा-मुक्त जीवन का अधिकार है. इन घटनाओं से चिंतित भारतीयों को चाहिए कि वे महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर केंद्रित पिछले सप्ताह संपन्न   संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के इन शब्दों पर विचार करें: “क्रोधित हों. अपनी सरकार से बदलाव की मांग करें.”
 
सरकार को चाहिए कि अपनी काहिल राजनीतिक बयानबाजी बंद करे और उसे यह समझना चाहिए कि अपराधियों के लिए हिंसक सजा की जो मांग की जा रही है, महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा में उसकी नगण्य भूमिका है. भारत में पर्याप्त रूप से कठोर कानून हैं. जो चीज जरूरी है वह है -  कानून पर अमल, पुलिस जवाबदेही, अधिकाधिक संवेदनशील और जवाबदेह आपराधिक न्याय एवं स्वास्थ्य सेवा प्रणाली, और लिंग आधारित भेदभाव दूर करने हेतु एक सुसम्बद्ध अभियान. ऐसा माहौल जिसमें महिलाएं और लड़कियां सुरक्षित जीवन जी सकें.

Your tax deductible gift can help stop human rights violations and save lives around the world.

Region / Country