(न्यू यॉर्क) - ह्यूमन राइट्स वॉच ने आज कहा, "नई सैटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं कि बर्मा के रखाइन राज्य के रोहिंग्या मुस्लिम बहुल शहरी क्षेत्रों में सैकड़ों इमारतें नष्ट कर दी गई हैं." 2 सितंबर, 2017 को ली गईं सैटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं कि मोंगडॉ नगर की प्रशासनिक राजधानी मोंगडॉ शहर में 450 इमारतों को आग लगाकर नष्ट कर दिया गया. सैटेलाइट-आधारित हीट सेंसिंग तकनीक से 28 अगस्त को इस क्षेत्र में लगी आग की जानकारी मिली.
ह्यूमन राइट्स वॉच के एशिया उप-निदेशक फिल रॉबर्टसन ने कहा, " मोंगडॉ के शहरी इलाकों की व्यापक तबाही से पता चलता है कि बर्मा के सुरक्षा बलों ने केवल अलग-अलग गांवों में ही रोहिंग्या मुसलमानों पर हमला नहीं किया है. देश के हर नागरिक की रक्षा करना बर्मा सरकार का दायित्व है, लेकिन यदि राजधानी जैसे क्षेत्रों में भी सुरक्षा नहीं मिल सकती तो वहां कोई स्थान सुरक्षित नहीं.
सैटेलाइट तस्वीर में जो क्षति दर्शाई गई है, वह शहर के मध्य में दो क्षेत्रों में केन्द्रित है- रोहिंग्या मुस्लिम बहुल क्षेत्र मोंगडॉ जेल के ठीक उत्तर और पूर्व में. विशेषज्ञों के विश्लेषण से पता चलता है कि तबाही के मंज़र आगलगी से होने वाले नुक्सान की तसदीक करते हैं.
सैटेलाइट ने पहले-पहल 28 अगस्त की देर सुबह और दोपहर की शुरुआत में शहर के इन क्षेत्रों में सक्रिय आग का पता लगाया. राज्य काउंसेलर के सूचना कार्यालय ने 27 और 29 अगस्त को आगलगी के शिकार इन इलाकों में टकरावों की खबर दी और आरोप लगाया गया कि दोनों मामलों में रोहिंग्या आंतकवादियों ने रोहिंग्या और हिंदुओं के घरों को जला दिया, हालाँकि उसने इन दावों के समर्थन में कोई सबूत नहीं दिया.
रॉबर्टसन ने कहा, "बर्मा सरकार को चाहिए कि स्वतंत्र निरीक्षकों को वहां जाने की अनुमति दे ताकि वे आग के स्रोतों का निर्धारण कर सकें और मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किए जाने के बारे में बांग्लादेश पलायन कर गए रोहिंग्या शरणार्थियों द्वारा लगाये जा रहे आरोपों की जांच कर सकें. सरकार और सैन्य अधिकारियों ने बार-बार बिना प्रमाण के दावे किये हैं, यह इस जरुरत को और भी तत्काल सामने लाता है कि पत्रकार और निरीक्षकों को रोहिंग्या क्षेत्र में जाने की अनुमति दी जाए कि वास्तव में वहां क्या हो रहा है."