संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने हाल ही में भारत से सुरक्षित स्कूल घोषणापत्र का समर्थन करने का आह्वान किया है. यह घोषणापत्र सशस्त्र संघर्ष के दौरान छात्रों, शिक्षकों और स्कूलों पर हमले की संभावना को कम करने के लिए व्यवहारिक कदम उठाने संबंधी अंतर-सरकारी राजनीतिक प्रतिबद्धता है. गुटेरेस ने बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह आह्वान किया, जिसमें उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि संयुक्त राष्ट्र ने जांच-पड़ताल में पाया कि भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा वर्ष 2020 में चार महीनों के लिए सात स्कूलों का इस्तेमाल किया गया.
ह्यूमन राइट्स वॉच ने पहले भी अपनी जांच-पड़ताल में पाया था कि भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा स्कूलों के इस्तेमाल से बच्चों की शिक्षा बाधित होती है और अनेक बच्चों, खास तौर से से लड़कियों को स्कूल छोड़ना पड़ता है या वे नियमित रूप से स्कूल नहीं जा पाते हैं.
भारतीय कानून पहले से ही सैन्य उद्देश्यों के लिए स्कूलों के इस्तेमाल को रोकते हैं. सैन्य अभियान में शरीक सुरक्षा बल शैक्षणिक संस्थानों में डेरा डालना तो दूर, उनमें प्रवेश करने के लिए भी अधिकृत नहीं है. सरकारी अधिकारियों पर भी स्कूल के किसी भी हिस्से की मांग करने पर बंदिश है.
भारत के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा है कि सुरक्षा बलों द्वारा स्कूलों का इस्तेमाल भारत के 2009 के निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम की "मूल भावना" का उल्लंघन करता है, और इसलिए "स्कूलों का कभी भी सुरक्षा बलों द्वारा अस्थायी आश्रय के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए."
भारतीय अदालतों ने, राज्य स्तर के न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय दोनों ने सुरक्षा बलों को अपने कब्जे वाले स्कूलों को खाली करने के आदेश दिए हैं.
गुटेरेस का आह्वान – यद्यपि यह आह्वान सर्वोच्च अधिकारी द्वारा किया गया है - भारत में स्कूलों को बेहतर तरीके से सुरक्षा प्रदान करने के संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के प्रयासों की महज नवीनतम कड़ी है. इसी कड़ी में 2014 में संयुक्त राष्ट्र महिला और बालिका अधिकार समिति ने यह पाया था कि "लड़कियों के समक्ष यौन उत्पीड़न और हिंसा का खतरा रहता है" और उसने भारत से "अंतर्राष्ट्रीय मानवीय और मानवाधिकार कानून मानकों के अनुरूप संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों द्वारा स्कूलों के कब्जे को प्रतिबंधित करने" के लिए कदम उठाने का आह्वान किया था. इसी तरह संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समिति भारत से सुरक्षा बलों द्वारा स्कूलों के इस्तेमाल को रोकने और इसे प्रतिबंधित करने का अब तक दो बार आग्रह कर चुकी है.
भारत सरकार को बिना देरी किए सुरक्षित स्कूल घोषणापत्र का अनुमोदन करना चाहिए - जैसाकि 109 देश कर चुके है - और यह सुनिश्चित करने के लिए घोषणापत्र की प्रतिबद्धताओं को लागू करना चाहिए कि स्कूलों को अंततः सैन्य इस्तेमाल से सुरक्षित किया जाए, और भारत में सभी बच्चे सुरक्षित माहौल में अध्ययन कर सकें.