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बांग्लादेश: मजदूरों के उत्पीड़न की बुनियाद पर मुनाफ़ा बटोरती शिपिंग कंपनियां

यूरोपीय संघ को सुरक्षित और टिकाऊ शिप रीसाइक्लिंग के बढ़ावा हेतु कानून में संशोधन करना चाहिए

चट्टोग्राम, बांग्लादेश में पर्याप्त सुरक्षा उपकरणों के बिना जहाज को कबाड़ में तब्दील करते मजदूर. ©2023 अनुक्ता.
  • अनेक यूरोपीय शिपिंग (जहाजरानी) कंपनियां अपने पुराने हो चुके जहाजों को जानबूझकर बांग्लादेश के खतरनाक और प्रदूषणकारी यार्डों में कबाड़ में बदलने के लिए भेज रही हैं.
  • बांग्लादेश के यार्डों में जहाजों को कबाड़ में बदलने वाली कंपनियां अंतरराष्ट्रीय नियमों-कायदों में मौजूद खामियों का इस्तेमाल कर बांग्लादेश के लोगों के जीवन और पर्यावरण की कीमत पर मुनाफा बटोर रही हैं.
  • शिपिंग कंपनियों को ऐसी मानक और सुस्थायी प्लेटफ़ॉर्म सुविधाओं के निर्माण में निवेश करना चाहिए जो मजदूरों के अधिकारों की पूरी तरह रक्षा करती हों और अपशिष्ट का निपटारा करती हों. यूरोपीय संघ को मौजूदा खामियों को दूर करने के लिए अपने नियमों में संशोधन करना चाहिए.

(ढाका) - ह्यूमन राइट्स वॉच और गैर सरकारी संस्था शिपब्रेकिंग प्लेटफॉर्म ने आज जारी एक रिपोर्ट में कहा कि अनेक यूरोपीय शिपिंग कंपनियां अपने पुराने हो चुके जहाजों को जानबूझकर बांग्लादेश के खतरनाक और प्रदूषण फैलाने वाले यार्डों में कबाड़ में बदलने के लिए भेज रही हैं.

90 पन्नों की रिपोर्ट, "मुनाफे के लिए जिंदगी से खिलवाड़: शिपिंग उद्योग बांग्लादेश के समुद्र तटों पर विषाक्त हो चुके जहाजों को कबाड़ में बदलने के लिए कैसे नियमों को दरकिनार कर रहा है," में पाया गया कि बांग्लादेश के जहाज तोड़ने वाले यार्डों में अक्सर सुरक्षा उपायों की अनदेखी की जाती है, ये जहरीले कचरे को सीधे समुद्र तट एवं इसके आसपास फेंक देते हैं और मजदूरों को जीवनयापन योग्य वेतन, आराम या घायल होने की स्थिति में मुआवजा देने से इनकार करते हैं. रिपोर्ट में जहाज मालिकों द्वारा अंतरराष्ट्रीय नियमों को दरकिनार करने वाले पूरे नेटवर्क का खुलासा किया गया है. ये नियम बांग्लादेश के वैसे यार्ड में इस तरह के जहाजों को भेजने पर रोक लगाते हैं जहां पर्यावरण संरक्षण या मजदूरों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं.

ह्यूमन राइट्स वॉच की वरिष्ठ एशिया शोधकर्ता जूलिया ब्लेकनर ने कहा, "बांग्लादेश के खतरनाक और प्रदूषण फैलाने वाले यार्डों में जहाजों को कबाड़ में बदलने वाली कंपनियां बांग्लादेश के लोगों के जीवन और पर्यावरण की कीमत पर मुनाफा कमा रही हैं. शिपिंग कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय नियमों की खामियों का फायदा उठाना बंद करना चाहिए और कचरे के सुरक्षित और जिम्मेदारीपूर्वक निपटारे की अपनी जवाबदारी लेनी चाहिए."

ह्यूमन राइट्स वॉच और शिपब्रेकिंग प्लेटफॉर्म ने बताया कि जहाजों के सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल रीसाइक्लिंग के हांगकांग अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, जो 2025 में लागू होगा, को मजबूती प्रदान किया जाना चाहिए ताकि शिप रीसाइक्लिंग उद्योग को सुरक्षित और टिकाऊ बनाया जा सके. तमाम देशों को चाहिए कि शिप रीसाइक्लिंग का नियमन करने वाले मौजूदा अंतरराष्ट्रीय श्रम और पर्यावरण कानूनों का और साथ ही खतरनाक कचरे के सीमा पार आवाजाही के नियंत्रण और उनके निपटान पर बेसल सम्मेलन का अनुपालन करें.

यह रिपोर्ट 45 जहाज तोड़ने वाले मजदूरों एवं उनके रिश्तेदारों और 10 डॉक्टरों तथा शिप रीसाइक्लिंग और बांग्लादेश पर्यावरण एवं श्रम कानूनों के विशेषज्ञों के साक्षात्कार पर आधारित है. साथ ही यह रिपोर्ट तैयार करने में शिपिंग उद्योग से संबंधित सार्वजनिक आंकड़ों, कंपनियों की वित्तीय रिपोर्ट और वेबसाइट, समुद्री मार्ग से होने वाले बांग्लादेश के आयात संबंधी दस्तावेजों और किसी तरह सार्वजनिक हुए आयात प्रमाणपत्रों के विश्लेषण का इस्तेमाल किया गया है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने शिपब्रेकिंग यार्ड, शिपिंग कंपनियां, फ्लैग रजिस्ट्रीज और नकद खरीदारों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक संगठन और चार बांग्लादेशी सरकारी एजेंसियों समेत  21 कंपनियों को पत्र लिखकर हमारे निष्कर्षों पर प्रतिक्रिया मांगी. ​​

बांग्लादेश पुराने जहाजों को कबाड़ में बदलने की सबसे पसंदीदा जगह है. 2020 के बाद, लगभग 20 हजार बांग्लादेशी मजदूरों ने 520 से अधिक पुराने जहाजों को कबाड़ में तब्दील किया है, जो किसी भी अन्य देश के मुकबले बहुत ज्यादा है.

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के मुताबिक पुराने जहाज को कबाड़ में बदलना दुनिया का  सबसे खतरनाक काम है. मजदूरों ने लगातार बताया कि उन्हें सुरक्षित तरीके से काम करने के लिए पर्याप्त सुरक्षात्मक उपकरण, प्रशिक्षण या उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं. उनके  मुताबिक वे पिघले स्टील से अपने हाथों को जलने से बचाने के लिए अपने मोज़ों को दस्ताने के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जहरीले धुएं से बचने के लिए अपने मुंह पर कमीज लपेटते हैं और स्टील के टुकड़ों की नंगे पैरों ढुलाई करते हैं.

मजदूरों ने स्टील के टुकड़े गिरने या आग लगने या पाइप में विस्फोट होने पर जहाज के अंदर फंसने से लगने वाली चोटों के बारे में बताया. शिपयार्डों (पोत कारखानों) में आपातकालीन चिकित्सा देखभाल सुलभ नहीं होने के कारण, कई मामलों में मजदूर अपने घायल सहकर्मियों को समुद्र तट से सड़क तक टांग कर ले गए और फिर उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए निजी वाहन का इंतजाम करना पड़ा. बांग्लादेश में इस उद्योग में कार्यरत कामगारों की जीवन प्रत्याशा औसत आयु से 20 साल कम है. जैसा कि एक 31 वर्षीय मजदूर ने कहा, "काम की जगह पर एक पल के लिए भी ध्यान भटकने पर मैं तुरंत मौत के मुंह में समा सकता हूं."

जहाज तोड़ने वाले मजदूरों से संबंधित 2019 के एक सर्वेक्षण के मुताबिक इस क्षेत्र के कार्यबल में 13 फीसदी बच्चे शामिल हैं. हालांकि, शोधकर्ताओं ने पाया कि अवैध रात्रि पाली के दौरान यह संख्या 20 फीसदी तक बढ़ जाती है. साक्षात्कार देने वाले में बहुत से मजदूरों ने तक़रीबन 13 साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था.

जहाज तोड़ने वाले मजदूरों ने कहा कि उन्हें अक्सर काम के बीच अंतराल नहीं मिलता या बीमार होने पर, यहां तक कि काम के दौरान घायल होने पर छुट्टी नहीं मिलती है जो कि बांग्लादेश श्रम कानूनों का सरासर उल्लंघन है. जहाज तोड़ने वाले मजदूर बांग्लादेश के न्यूनतम मजदूरी नियमों के तहत कानूनी तौर पर जितनी मजदूरी के हकदार हैं, उसके मुकाबले ज्यादातर मामलों में उन्हें अपनी मजदूरी के एक अंश का ही भुगतान किया जाता है. मजदूरों को शायद ही कभी औपचारिक अनुबंध पत्र दिया जाता है, जिसका अर्थ है कि यार्ड मालिक मजदूरों की मौत और चोट छिपा सकते हैं. कामगारों द्वारा यूनियन बनाने की कोशिश करने या काम की ख़राब स्थितियों का विरोध करने पर उन्हें निकाल दिया जाता है और हैरान-परेशान किया जाता है.

बांग्लादेश में शिपयार्ड "बीचिंग" तरीका अपनाते हैं जिसमें बंदरगाह या प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के बजाय जहाज को उच्च ज्वार के दौरान पूरी गति से चलाकर सीधे समुद्र तट की रेत पर पहुंचा दिया जाता है. चूंकि जहाज तोड़ने का काम रेत पर किया जाता है, ऐसे में कार्यस्थल पर भी कई तरह के खतरे पैदा होते हैं और जहरीला कचरा सीधे रेत एवं समुद्र में फेंक दिया जाता है. जहाजों से निकलने वाली जहरीली सामग्री, जिसमें एस्बेस्टस भी शामिल है, का निपटारा सुरक्षात्मक उपकरणों के बिना किया जाता है. कुछ मामलों में इसे पुराने सामानों के बाजार में बेचा जाता है, जिससे आसपास के समुदायों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

अंतर्राष्ट्रीय और स्थानीय कानूनों के मुताबिक बांग्लादेश के यार्ड जैसे स्थानों पर जहाजों के निर्यात पर रोक है जहां पर्यावरण या श्रमिकों संबंधी पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं होते हैं. ह्यूमन राइट्स वॉच और गैर सरकारी संस्था शिपब्रेकिंग प्लेटफॉर्म ने कहा कि फिर भी कई शिपिंग कंपनियों ने नियमों को दरकिनार करने और दोषी ठहराए जाने से बचने के तरीके ढूंढ लिए हैं.

यूरोपीय संघ फ्लैग में पंजीकृत जहाजों को यूरोपीय संघ द्वारा अनुमोदित सुविधा-केंद्रों में रीसाइकल कराना जरूरी है, लेकिन बांग्लादेश में ऐसा कोई केंद्र नहीं है. लिहाजा, कंपनियां दूसरे देश के "फ्लैग ऑफ कंविनियंस" (ऐसी स्थिति जहां जहाज उस देश में, जहां जहाज का मालिक रहता है या जहां की उसके पास नागरिकता है, से अलग दूसरे देश में पंजीकृत होता है.) का उपयोग करके इस शर्त के पालन से बचती हैं.

फ्लैग ऑफ कंविनियंस फ़्लैग रजिस्ट्रियों द्वारा बेचे जाते हैं, जो कई मामलों में अपने फ्लैग  स्टेट से अलग देश में काम करने वाली निजी कंपनियां होती हैं. 2022 में, जिस समय दुनिया के 30 फीसदी से अधिक पुराने जहाजी बेड़ों का मालिकाना यूरोपीय कंपनियों के पास था, लेकिन उन्हें तोड़ने के लिए जब बेचा गया तो उनमें 5 फीसदी से भी कम यूरोप में पंजीकृत थे.

शिपिंग कंपनियां अपने जहाजों को बांग्लादेश में कबाड़ में बदलने के लिए आमतौर पर अपने जहाज को स्क्रैप डीलर को बेचती हैं जिन्हें नकद खरीदार कहा जाता है. कई मामलों में, ये  नकद खरीदार किसी शेल कंपनी (मुखौटा कंपनी) के जरिए बांग्लादेश स्थित स्क्रैपयार्ड को जहाज की बिक्री करते हैं, जिससे इस बिक्री को नियंत्रित और इससे फायदा उठाने वाली सही कंपनी का पता लगाना मुश्किल हो जाता है.

अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और नियामक मानकों को पूरी तरह लागू नहीं किए जाने के कारण, जहाजों को खतरनाक और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले तरीकों से कबाड़ में तब्दील किया जाता है. बांग्लादेश में आयातित जहाजों में अपशिष्ट पदार्थ संबंधी विवरण अक्सर बिना किसी निरीक्षण, पारदर्शिता या स्पष्ट प्रमाणन के तैयार किए जाते हैं, जिसके संभावित परिणाम घातक होते हैं. निर्यातक देश पूरी तरह से इस बात की अनदेखी करते हैं कि आयातक देश बासेल सम्मलेन में तय आवश्यकताओं को पूरा करें. इनमें पूर्व सूचित सहमति प्राप्त करना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि पुराने जहाजों को केवल ऐसे देशों में भेजा जाए जिनके पास जहरीले कचरे के पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ निपटारे की पर्याप्त क्षमता हो.

हालांकि अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक संगठन (आईएमओ), शिपिंग कंपनियां और शिपब्रेकिंग यार्ड हांगकांग सम्मलेन की वकालत करते हुए इसे सुरक्षित और टिकाऊ शिप रीसाइक्लिंग उद्योग के लिए समाधान प्रस्तुत करने वाला बताती हैं, लेकिन विशेषज्ञ और कार्यकर्ता लंबे समय से उन अहम कमियों पर नाराजगी जताते आ रहे हैं जो सम्मेलन की पर्याप्त नियमन क्षमता को कमजोर करती हैं.

ह्यूमन राइट्स वॉच और गैर सरकारी संस्था शिपब्रेकिंग प्लेटफॉर्म ने कहा कि कंपनियों को अपनी असुरक्षित कार्यप्रणालियों को पर्यावरण अनुकूल बताने में समय और संसाधन जाया करने के बजाय शिप रीसाइक्लिंग के प्रमाणिक सुरक्षित तरीकों में निवेश करना चाहिए और "बीचिंग" को सुरक्षित तरीका बताने पर जोर देने से बाज आना चाहिए.

ह्यूमन राइट्स वॉच और गैर सरकारी संगठन शिपब्रेकिंग प्लेटफॉर्म ने कहा, "अगले दशक में पुराने हो चुके जहाजों की अनुमानित बड़ी संख्या के सुरक्षित रीसाइक्लिंग की वैश्विक क्षमता सुनिश्चित करने के लिए, शिपिंग कंपनियों को ऐसे मानक और टिकाऊ प्लेटफार्म सुविधा निर्माण में निवेश करना चाहिए जो श्रमिक अधिकारों की पूरी तरह से रक्षा करे और डाउनस्ट्रीम प्रबंधन (तैयार उत्पादों से लेकर ग्राहकों तक पहुंचाने की पूरी व्यवस्था) एवं कचरा निपटान व्यवस्थाओं से लैस हो." यूरोपीय संघ को शिपिंग कंपनियों को अपने शिप रीसाइक्लिंग नियमन को संशोधित करना चाहिए ताकि प्रभावी तरीके से शिपिंग कंपनियों को जवाबदेह ठहराया जाय और उन्हें कानून को दरकिनार करने से रोका जा सके.

गैर सरकारी संस्था शिपब्रेकिंग प्लेटफॉर्म की कार्यकारी निदेशक और संस्थापक इंगविल्ड जेन्सेन ने कहा, "ज्वार के साथ आए कीचड़ में जहाज के टुकड़े करने से मजदूरों को जानलेवा खतरे पैदा करने वाली अस्वीकार्य परिस्थितियों के बीच काम करना पड़ता है और ये संवेदनशील तटीय पारिस्थितिकी तंत्र को अपूरणीय क्षति पहुंचाते हैं. जहाजों के टिकाऊ रीसाइक्लिंग का खर्च शिपिंग क्षेत्र द्वारा वहन किया जाना चाहिए, न कि बांग्लादेश के लोगों द्वारा और पर्यावरण की कीमत पर."

 

चुने हुए उद्धरण, विवरण:

मजदूरों की सुरक्षा के लिए छद्म नामों का इस्तेमाल किया गया है.

बारह साल की उम्र से जहाज तोड़ने का काम करने वाले 39 वर्षीय कमरुल ने कहा, "हम काम करते समय शिपयार्ड में सुरक्षित नहीं होते हैं. हमें कीलें चुभती हैं और आग की लपटें हमें झुलसाती हैं. ज्यादातर कामगार कभी-न-कभी लपटों की चपेट में आए हैं. मैं कभी भी सुरक्षित महसूस नहीं करता."

26 वर्षीय अहमद ने कहा, “यह जहाज बड़ा है. हम जहाज के किनारों पर लगी रस्सी की सीढ़ी पर लटकते हुए इसे काटते हैं. मजदूर कभी-कभी फिसल कर पानी में गिर जाते हैं.”

25 वर्षीय हसन ने बताया कि जहाज की दूसरी मंजिल से गिरने के बाद अप्रैल 2021 में उन्होंने काम छोड़ दिया: "मेरे पास सुरक्षा उपकरण नहीं था, इसलिए लगभग 4.5 मीटर नीचे ग्राउंड फ्लोर पर गिर गया."

27 वर्षीय सोहराब ने कहा, "मैं रोज केवल 200 टका कमाता हूं, लिहाजा 800 टका का गमबूट नहीं खरीद सकता. मैं नंगे पैर काम करता हूं. यही कारण है कि मजदूर अक्सर आग लगने या पैरों में तार या कील चुभने से घायल हो जाते हैं. कंपनी हमें कोई सुरक्षा उपकरण नहीं देती.  इसकी मांग करने पर कंपनी मालिक काम छोड़ने को कहते हैं."

19 नवंबर, 2017 को, लगभग आधी रात एक अवैध रात्रि पाली के दौरान 20 साल का रकीब लोहे का एक भारी टुकड़ा काट रहा था. तभी वह टुकड़ा गिर गया, जिससे उसका बायां पैर कट गया, जबकि लोहे की एक छड़ उसके पेट में घुस गई. इससे पहले कि अन्य मजदूर उसे बचा पाते, वह 45 मिनट तक जमीन पर पड़ा रहा. आधी रात होने के कारण तुरंत कोई कार या रिक्शा नहीं मिला, इसलिए रकीब के सहकर्मी उसे अपने कंधों पर उठाकर अस्पताल ले गए. रकीब ने बताया कि यार्ड के मालिक केवल जीवनरक्षक इलाज़ के भुगतान करने को तैयार हुए और इसलिए उसे 17 दिनों के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. फिर उसके पैर में गैंग्रीन हो गया और परिवार को निजी अस्पताल में इलाज़ कराने के लिए कर्ज लेना पड़ा. रकीब ने बताया कि शिपयार्ड मालिकों ने किसी भी तरह का मुआवजा देने से इंकार कर दिया है. रकीब ने कहा, "मैं केवल 20 साल का हूं और इस दुर्घटना से मेरी जिंदगी पूरी तरह बर्बाद हो गई."

28 साल का सकावत 19 जून, 2019 को अपने कंधे पर लोहे का बंडल ढो कर ले जा रहा था, तभी वह फिसल कर गिर पड़ा. इस हादसे में बंडल उसके दाहिने पैर पर गिरा और पैर टूट गया. वह एक अस्पताल गया जहां आखिरकार उसका पैर काट कर अलग दिया गया गया. यार्ड के मालिकों ने उसके इलाज का खर्च उठाने से इनकार कर दिया. ऐसे में उसी अपनी पूरी बचत खर्च करनी पड़ी और दोस्तों से उधार लेना पड़ा. वह अब बेघर है, रेलवे स्टेशन पर रहता है और वहीं भीख मांग कर गुजारा करता है.

मजदूरों द्वारा श्वासयंत्र (रेस्पिरेटर्स) और अन्य जरूरी सुरक्षा उपकरणों के बिना जहाज़ों में जला कर काटने के दौरान सांस के जरिए बहुत जहरीले पदार्थ उनके शरीर में जा सकते हैं. कटर का काम करने वाले 50 वर्षीय तनवीर ने कहा, “जब हम जहाज काटते हैं, तो धुंए से हमें खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसी परेशानियां होती हैं. हमें कोई श्वासयंत्र नहीं दिया जाता है, इसलिए हम अपने कपड़ों को मास्क के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं लेकिन फिर भी धुआं अंदर चला जाता है.''

मजदूरों ने बताया कि सप्ताह में छह दिन 8-12 घंटे की शिफ्ट में काम करने के बावजूद, उन्हें शायद ही कभी अन्तराल या आराम करने की सुरक्षित जगह दी जाती है. 28 वर्षीय अरिफुल ने कहा कि उन्हें आराम करने पर डांटा जाता है: "अगर फोरमैन या यार्ड के अधिकारी हमें बैठे या आराम करते हुए पाते हैं, तो डांटते-फटकारते हैं."

मजदूर और श्रम अधिकार कार्यकर्ता राशिद ने बताया, "मजदूरों के पास कोई लिखित अनुबंध पत्र नहीं होता है और इसका मतलब है कि नियोक्ता वेतन देने से इनकार कर सकते हैं. साथ ही नियोक्ता सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान भी नहीं करते हैं. मालिक बस अपनी मर्जी से मजदूरी देते हैं."

 27 वर्षीय असोक ने कहा, "कुछ कंपनियां केवल आधिकारिक कामों के लिए मजदूरों के दस्तखत लेती हैं. लेकिन वास्तव में ये 'अनुबंध' मजदूरों को नहीं सौंपे जाते हैं. कभी-कभी हम अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर करते हैं, लेकिन कई दफा तो सिर्फ सादे कागज पर हस्ताक्षर करना पड़ता है.''

22 वर्षीय सैयद ने कहा, "हमारे अधिकारों के लिए लड़ने वाला कोई मजदूर संघ नहीं है. कोई भी हमारे या हमारे अधिकारों के लिए काम नहीं करता है." 39 वर्षीय कमरुल ने कहा, "अगर मजदूर अपनी आवाज बुलंद करेंगे, तो उनकी नौकरियां चली जाएंगी." 26 वर्षीय अहमद ने कहा: ''अगर कंपनी को पता चला कि मैंने आपसे बात की है तो वह बदले की कार्रवाई करेगी और मेरी नौकरी भी जा सकती है. लेकिन मैं आपको जो बता रहा हूं वह सच है. मुझे नहीं पता कि जहाज तोड़ने वाली यार्ड कंपनियां कभी हमें इंसान समझेंगी और हमें सुरक्षा उपकरण मुहैया कराएंगी.”

28 वर्षीय सोहेल ने कहा, "कंपनी मालिकों के दबाव के कारण यार्ड के अंदर या बाहर जहाज तोड़ने वाले मजदूरों की पहचान हमेशा छिपी रहती है. अगर हम बात करेंगे या आवाज उठाएंगे, तो हमारी नौकरी चली जाएगी."

45 वर्षीय असोक, जिन्होंने 10 साल की उम्र में जहाज तोड़ने का काम शुरू किया था, ने बताया  कि हाल के वर्षों में शिपयार्ड मालिकों ने कचरे के लिए कुछ भंडार गृह बनाए हैं, लेकिन "वे उस कचरे को समुद्र में फेंक रहे हैं." 25 वर्षीय ऐजाज़ ने बताया कि वह पहले एक मछुआरा का काम करता था लेकिन रोजगार ख़त्म हो जाने से उसने जहाज तोड़ने का काम शुरू किया: “जहाज के ईंधन और रसायन, जो समुद्री पौधों और मछलियों के लिए हानिकारक होते हैं, को पानी में फेंकने से यह प्रदूषित हो जाता है. मछुआरों को पहले की तरह मछलियां नहीं मिल रही हैं. यहां के तटीय इलाकों में मछलियों की कमी हो गई है.”

जहाज तोड़ने वाले यार्ड में घायल होने के बाद मछली बेचना शुरू करने वाले 44 वर्षीय मासूम ने कहा, "जहाज समुद्र को प्रदूषित कर रहे हैं और समुद्री पानी के जहरीला होने से मछुआरों को मछली नहीं मिल रही है. मछलियां मर रही हैं."

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