Students protest arrests of civil society activists in Delhi in January 2011.

"दोतरफा बन्दूकों के बीच"

माओवादी संघर्ष में सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमले

Students protest arrests of civil society activists in Delhi in January 2011.  © 2011 Yogesh Kumar/The Times of India

लिंगाराम कोडोपी भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में आदिवासी अधिकारों के लिए काम कर रहा था. लिंगा कोडोपी पर माओवादी, जिन्हें नक्सल या नक्सलाइट भी कहा जाता है, और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी सन्देह करते थे. वर्ष 2009 में पुलिस ने बिना किसी कानूनी आधार के लिंगा को एक माह से अधिक समय तक अपने कब्जे में रखा, उन्हें पीटा गया और उस पर सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए दबाव डाला गया. जून 2011 में माओवादियों ने लिंगा कोडोपी के नाना पर हमला किया, उनके पांव में गोली मार दी गर्इ और उनके घर को लूट लिया गया. माओवादियों का आरोप था कि वे पुलिस के मुखबिर हैं. माओवादियों और सरकार दोनों की ओर से अपनी जान के लिए खतरा भांपकर लिंगा कोडोपी ने बस्तर छोड़कर दिल्ली आने का फैसला किया.
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